पुरानी पेंशन बहाली / राज्य कर्मचारियों की हड़ताल अवैध घोषित, कोर्ट ने कहा- मांगों को लेकर मैकेनिज्म बनाए सरकार

  • हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियेां के खिलाफ सरकार केा दिया कार्यवाही का आदेश
  • हाईकोर्ट के आदेश का अवलोकन करने में जुटे कर्मचारी संगठन

लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने राज्य कर्मचारियेां की हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि न तो कोई कर्मचारी यूनियन हड़ताल करेगी और न ही किसी कर्मचारी को हड़ताल के लिए प्रेरित करेगी। इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार को भी  निर्देश दिया है कि यदि कोई कर्मचारी या यूनियन हड़़ताल पर जाती है तेा उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाए। 

हालांकि कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्ती के साथ साथ कोर्ट ने उनकी मांगो के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए सरकार को आदेश दिया है कि कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए एक मैकेनिज्म विकसित किया जाए और उनकी मागों पर विचार किया जाए।

यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा व जस्टिस अजय भनेाट की बेचं ने राजीव कुमार की ओर से दायर एक रिट याचिका पर पारित किया। याचिका में कहा गया था कि याची की माता पिता व पत्नी बीमार रहती हैं  जिन्हें चिकित्सीय सुविधायें दिलाना आवश्यक है किन्तु राज्य कर्मचारियेां ने 6 से 12  फरवरी के बीच हड़ताल पर जाने का आवाहन कर रखा है जिसके चलते वह बीमार माता पिता व पत्नी को चिकित्सीय सुविधाएं नही दिला पाएगा। यह भी कहा गया कि इस समय बच्चों की परीक्षाएं चल रहीं है और हड़ताल के कारण उसमें भी व्यवधान पड़ेगा।

इस प्रकार याची ने राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध घोषित करने की मांग की थी। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट  को बताया कि सरकार स्वयं हड़ताल पर सख्त है और केवल दस प्रतिशत कर्मचारियेां के हड़ताल पर जाने की सूचना है।

याचिका पर सुनवायी करते हुए बेंच ने हड़ताल पर के खिलाफ सख्त कदम उठाया। कोर्ट ने कहा कि हर सरकारी विभाग में सीनियर अफसर कर्मचारियों की अटेंडेंस लें व यदि कोई धरना प्रदर्शन होता है तो उसकी वीडियोग्राफी करायें। कोर्ट ने हड़ताल पर की गयी कार्यवाही के बावत सरकार को एक माह के भीतर रिपेार्ट पेश करने का आदेश दिया है।

इस बीच कमर्चारी संगठन के नेता हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि अभी उन्हें हाईकोर्ट का आदेश नहीं मिला है। आदेश मिलने के बाद उसका अवलोकन किया जाएगा और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

दरअसल, पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर उप्र के विभिन्न संगठनों के 20 लाख कर्मचारी छह जनवरी से हड़ताल पर चले गए थे। सरकार की ओर से उनको मनाने की कोशिश की गई लेकिन सफलता नहीं मिली।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.