ईवीएम की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के भुगतान के लिए सरकार ने मांगे 1600 करोड़ रुपए

केंद्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में 1,637 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि मांगी है ताकि कानून मंत्रालय आगामी लोकसभा चुनावों से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और पेपर ट्रेल मशीनों (वीवीपीएटी) की आपूर्ति करने वाली दो कंपनियों को भुगतान कर सके। साल 2018-19 के लिए पूरक अनुदान मांगों के तीसरे बैच में सरकार ने 1,637.14 करोड़ रुपए के लिए संसद की मंजूरी मांगी है ताकि कानून मंत्रालय ईवीएम और पेपर ट्रेल मशीनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को पैसे दे सके

पूरक अनुदान मांगों का तीसरा बैच 13 फरवरी तक पारित होने की संभावना है। संसद का मौजूदा बजट सत्र 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। आगामी लोकसभा चुनावों में नवीनतम एम3 प्रकार की ईवीएम इस्तेमाल की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ईसीआईएल और बीईएल पर ईवीएम की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी है और दोनों ने चुनाव आयोग को 22.3 लाख बैलट यूनिट एवं 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट की आपूर्ति कर दी है।

करीब 22.3 लाख बैलट यूनिट, 16.3 लाख कंट्रोल यूनिट और करीब 17.3 लाख वीवीपीएटी आगामी लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल किए जाएंगे। मशीनों की इस संख्या में प्रशिक्षण एवं खराबी होने पर बदले जाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें भी शामिल हैं। अगले संसदीय चुनावों में इन मशीनों को देश भर में करीब 10.6 लाख मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा।

बीईएल और ईसीआईएल पर जिम्मेदारी दी थी कि वे इन मशीनों को 30 सितंबर 2018 तक चुनाव आयोग को मुहैया कराएं। साल 2000 से अब तक 113 विधानसभा चुनावों और तीन लोकसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल हो चुका है।

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