नई शिक्षा नीति : यूपी बोर्ड परीक्षा वर्ष में एक बार, इम्प्रूवमेंट अगले साल की परीक्षा के साथ करने पर होगा विचार

कम्पोजिट स्कूल के लिए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा। वहीं यूपी बोर्ड की परीक्षा वर्ष में एक बार करने और इम्प्रूवमेंट के लिए अगले वर्ष की बोर्ड परीक्षा में मौका देने पर भी विचार किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स की छठवीं बैठक में कई बिन्दुओं पर मंथन किया गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि 21 फरवरी अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

डा. शर्मा ने निर्देश दिए कि एनईपी पर विचार करने के लिए जिला स्तर पर विभिन्न विभागों की एक समिति का गठन किया जाए। जिला स्तर पर बनने वाली समिति के सदस्य सचिव क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी या डीआईओएस होंगे। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा व सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा अनुसंधान औद्यौगिक क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित होगा। अब छात्रों को वास्तविक जीवन की औद्योगिक समस्याओं पर काम करने का अवसर मिलेगा।

अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने कहा कि पाठयक्रम में सुधार, अवस्थापना सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था आदि समेत कई काम चल रहे हैं। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने बेसिक शिक्षा विभाग की कार्ययोजना की जानकारी देते हुए कहा कि विभाग में मानव संपदा पोर्टल को लागू किया गया है। 2021 से शिक्षकों की सभी वार्षिक प्रविष्टियां ऑनलाइन की जा रही है।

कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक कुणाल सिल्कू ने बताया कि सभी सरकारी व प्राइवेट इकाइयां, जिनमें 30 से अधिक कर्मचारी है, वे अपनी जनशक्ति का 2.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक अप्रेटिंस या इन्टर्न रखने के लिए बाध्य है। अप्रेन्टिसकर्ता को मानदेय का भुगतान नियोक्ता द्वारा किया जाएगा। भुगतान राशि में 1500 रुपये की प्रतिपूर्ति केन्द्र सरकार व एक हजार रुपये की अतिरिक्त धनराशि राज्य सरकार देगी। इन्टर्नशिप की अवधि छह महीने से तीन वर्ष तक की हो सकती है।

बैठक में अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार, पूर्व निदेशक कृष्ण मोहन त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष सीबीएसई अशोक गांगुली, लखनऊ विवि में प्रोफेसर अरविंद मोहन, डा निशि पांडे, विशेष सचिव उच्च शिक्षा अब्दुल समद मौजूद रहे।

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यह ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन का वादा भी करता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो वर्तमान में गुणवत्ता शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार, स्कूलों में शिक्षकों के चयन के लिए क्लास में डेमो देना या इंटरव्यू एक जरूरी मानदंड होगा।

नई शिक्षा नीति 29 जुलाई को आई थी। “इन इंटरव्यू का उपयोग स्थानीय भाषा में पढ़ाने में आसानी और प्रतिभा का आकलन करने के लिए किया जाएगा, ताकि प्रत्येक स्कूल / स्कूल परिसर में कम से कम कुछ शिक्षक हों जो स्थानीय भाषा और छात्रों की अन्य प्रचलित घरेलू भाषाओं में छात्रों के साथ बातचीत कर सकें। टीचर्स का सिलेक्शन राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा या केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा के माध्यम से किया जाता है।

एनईपी ने इन परीक्षणों में सुधार के लिए नए दिशानिर्देश तय किए हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) सामग्री और शिक्षाशास्त्र दोनों के संदर्भ में बेहतर परीक्षा सामग्री को विकसित करने के लिए मजबूत किया जाएगा। स्कूल शिक्षा के सभी चरणों (फाउंडेशनल, प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक) में शिक्षकों को शामिल करने के लिए टीईटी को भी बढ़ाया जाएगा।


इसमें बी.एड. शिक्षकों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के रूप में डिग्री। 2030 तक, शिक्षण के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत B.Ed डिग्री होगी। नीतिगत दस्तावेज़ में कहा गया है कि घटिया स्टैंड-अलोन शिक्षक शिक्षा संस्थानों (TEIs) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नई शिक्षा नीति शिक्षकों के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी) को राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा 2022 तक विकसित किया जाएगा, यह काम एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और विशेषज्ञ संगठनों के साथ सभी स्तरों और क्षेत्रों के परामर्श के बाद होगा। स्थानीय भाषा में शिक्षण प्रदान करने पर, नीति का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों से नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करना है।


इसके माध्यम से यह परिकल्पना की गई है कि स्थानीय भाषा में कुशल वाले उच्च योग्य शिक्षकों को शिक्षण क्षेत्र में जोड़ा जाएगा। यह ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन का वादा भी करता है, खासकर उन क्षेत्रों में जो वर्तमान में गुणवत्ता शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं।


आसपास के क्षेत्र में आवास सुविधा जैसे प्रोत्साहन या आवास भत्ते में वृद्धि प्रमुख प्रोत्साहन के बीच होगी जो ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाने वालों को प्रदान की जाएगी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित एनईपी को 1986 में बनाई गई शिक्षा नीति की जगह दी गई, और इसका उद्देश्य स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है।

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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार जल्द ही नयी शिक्षा नीति लाने जा रही है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नोएडा में आयोजित एक कामर्यक्रम से इतर कहा कि सरकार जल्द ही 33 साल बाद नयी शिक्षा नीति लेकर आ रही है.   उन्होंने संवाददाताओं से कहा, विशेषज्ञों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और परिजनों के साथ व्यापक परामर्श किये गये हैं. एक लाख से अधिक ग्राम समितियों के साथ गहन परामर्श किया गया है. नयी नीति ‘ज्ञान, विज्ञान, नवाचार और संस्कार’ पर जोर देती है. उन्होंने कहा कि यह नीति भारत-केंद्रित होने वाली है और प्रधानमंत्री के नये भारत के सपने के अनुसार यह देश को सशक्त करेगी. उन्होंने कहा कि नीति को जल्दी ही सामने रखा जाएगा.

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