New Education Policy: पीएम मोदी ने कहा- प्री-नर्सरी से पीएचडी तक जल्द ही लागू हों नई शिक्षा नीति के नियम

New Education Policy: पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि नई शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों का शीघ्र लागू होना बेहद जरूरी है. पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति (New Education Policy)के सभी प्रावधानों को प्री- नर्सरी से पीएचडी तक लागू किया जाना चाहिए.

पीएम ने एक वेबिनार में कहा कि एक आत्मनिर्भर भारत (Aatmnirbhar Bharat) का निर्माण करने के लिए देश के युवकों का आत्मविश्वास बढ़ाना बेहद जरूरी है. आत्मविश्वास तभी आता है, जब युवकों को अपनी शिक्षा और ज्ञान पर पूरा भरोसा हो. आत्मविश्वास तब आता है, जब उन्हें यह महसूस हो कि उनका अध्ययन उन्हें अपना काम करने के लिए उचित अवसर और अनिवार्य कुशलता दिलाता है

पीएम मोदी ने शिक्षा के संदर्भ में बने बजट का जिक्र करते हुए कहा कि यह बजट शिक्षा की सभी नीतियों के पूरा करने के लिए पर्याप्त है. उनके अनुसार नई शिक्षा नीति से ना सिर्फ रोजगार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि इससे कैपिटलिस्म को भी प्रोत्साहन मिलेगा. आज भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (Global Innovation Index) में 50 देशों की सूची में शामिल हो गया है. आगे इसे शीर्ष पर लाने का प्रयास चलता रहेगा

इंडिया में स्टार्टअप के लिए हैकथॉन आयोजित किया जा रहा है, जो कॉफी फायदेमंद है. निधि (National Initiative for Development and Promotion of Innovation) के जरिए देश में 3500 से ज्यादा स्टार्टअप बनाये जा रहे हैं.

पीएम ने कहा कि भारत में हाईड्रोजन मिशन पर गंभीरता से काम किया जाएगा. हाईड्रोजन मिशन (Hydrogen Mission) फ्यूचर फ्यूल (Future Fuel) और ग्रीन एनर्जी (Green Energy) को मजबूती देगा. प्रधानमंत्री ने वेबिनार में स्थानीय भाषाओं का भी जिक्र किया है. उनका कहना है कि विश्व के श्रेष्ठ साहित्य को भारत की हर भाषा में तैयार करने की जिम्मेदारी भाषा विशेषज्ञों एवं विद्यालयों की है.

नई शिक्षा नीति : यूपी बोर्ड परीक्षा वर्ष में एक बार, इम्प्रूवमेंट अगले साल की परीक्षा के साथ करने पर होगा विचार

कम्पोजिट स्कूल के लिए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा। वहीं यूपी बोर्ड की परीक्षा वर्ष में एक बार करने और इम्प्रूवमेंट के लिए अगले वर्ष की बोर्ड परीक्षा में मौका देने पर भी विचार किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स की छठवीं बैठक में कई बिन्दुओं पर मंथन किया गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि 21 फरवरी अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

डा. शर्मा ने निर्देश दिए कि एनईपी पर विचार करने के लिए जिला स्तर पर विभिन्न विभागों की एक समिति का गठन किया जाए। जिला स्तर पर बनने वाली समिति के सदस्य सचिव क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी या डीआईओएस होंगे। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा व सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा अनुसंधान औद्यौगिक क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित होगा। अब छात्रों को वास्तविक जीवन की औद्योगिक समस्याओं पर काम करने का अवसर मिलेगा।

अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने कहा कि पाठयक्रम में सुधार, अवस्थापना सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था आदि समेत कई काम चल रहे हैं। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने बेसिक शिक्षा विभाग की कार्ययोजना की जानकारी देते हुए कहा कि विभाग में मानव संपदा पोर्टल को लागू किया गया है। 2021 से शिक्षकों की सभी वार्षिक प्रविष्टियां ऑनलाइन की जा रही है।

कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक कुणाल सिल्कू ने बताया कि सभी सरकारी व प्राइवेट इकाइयां, जिनमें 30 से अधिक कर्मचारी है, वे अपनी जनशक्ति का 2.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक अप्रेटिंस या इन्टर्न रखने के लिए बाध्य है। अप्रेन्टिसकर्ता को मानदेय का भुगतान नियोक्ता द्वारा किया जाएगा। भुगतान राशि में 1500 रुपये की प्रतिपूर्ति केन्द्र सरकार व एक हजार रुपये की अतिरिक्त धनराशि राज्य सरकार देगी। इन्टर्नशिप की अवधि छह महीने से तीन वर्ष तक की हो सकती है।

बैठक में अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार, पूर्व निदेशक कृष्ण मोहन त्रिपाठी, पूर्व अध्यक्ष सीबीएसई अशोक गांगुली, लखनऊ विवि में प्रोफेसर अरविंद मोहन, डा निशि पांडे, विशेष सचिव उच्च शिक्षा अब्दुल समद मौजूद रहे।

NEW Education Policy : वर्ष 2022 से होगी सीखने सिखाने वाली पढ़ाई, मार्कशीट न बनेगी परिवार की प्रतिष्ठा

वर्ष 2022 से होगी सीखने सिखाने वाली पढ़ाई, मार्कशीट न बनेगी परिवार की प्रतिष्ठा

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को साफ किया कि साल 2022 से छात्रों की पढ़ाई नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहे पाठ्यक्रम से ही होगी। शिक्षा व्यवस्था की मौजूदा समस्याओं का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि एक बड़ी समस्या यह भी है कि हमारे देश में सीखने पर आधारित शिक्षा की जगह मार्क्‍स और मार्कशीट वाली शिक्षा व्यवस्था हावी है। सच्चाई यह है कि मार्कशीट अब मानसिक प्रेशर शीट और परिवार की प्रेस्टीज शीट बन गई हैं यानी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया गया है।

प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी में स्कूल शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के दो दिवसीय सम्मेलन को वचरुअल रूप से संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ाई से मिल रहे तनाव से अपने बच्चों को निकालना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर बेवजह का दबाव न पड़े। साथ ही कोशिश यह भी होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से छात्रों का मूल्यांकन न किया जाए, बल्कि उनके विकास के अलग-अलग पहलुओं से जुड़ा मूल्यांकन हो। यही वजह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को मार्कशीट की जगह उनके सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक रिपोर्ट कार्ड का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें छात्र की विशिष्ट क्षमता, योग्यता, रवैया, प्रतिभा, स्किल (कौशल), क्षमता शामिल होगा।

पीएम ने कहा ‘जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे तो छात्र इस नए पाठ्यक्रम के साथ नए भविष्य की तरफ कदम बढ़ाएंगे।’ यह पाठ्यक्रम दूरदर्शी, भविष्य निर्माण करने वाला और वैज्ञानिक होगा। वहीं मातृभाषा में पढ़ाई पर सवाल खड़ा करने वालों को भी पीएम ने जवाब दिया और कहा कि यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि भाषा शिक्षा का माध्यम है। भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। किताबी पढ़ाई में फंसे-फंसे कुछ लोग यह फर्क भूल जाते है।

एजुकेशन इन 21 फर्स्ट सेंचुरी” कॉन्क्लेव में पूरे देश के शिक्षा मंत्रियों एवं शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली साबित होगी।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत इंटर में पसंद के विषय चुनने की होगी आजादी, इंटर में अब नहीं होगी विषयों की बाध्यता,विज्ञान का छात्र समाज शास्त्र और इतिहास भी पढ़ सकेगा

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नई शिक्षा नीति पर मिले हैं दो लाख से ज्यादा सुझाव, नीति पर राज्यों के साथ गहन विचार विमर्श जारी

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FATEHPUR : नई नीति से नगर के स्कूलों में दूर होगी शिक्षकों की कमी, ग्रामीण से शहर-नगर क्षेत्र में भेजे जा सकेंगे शिक्षक

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शिक्षा नीति, 33 साल बाद बदलने वाली है पढ़ाई की शक्लो-सूरत

शिक्षा नीति, 33 साल बाद बदलने वाली है पढ़ाई की शक्लो-सूरत

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार जल्द ही नयी शिक्षा नीति लाने जा रही है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नोएडा में आयोजित एक कामर्यक्रम से इतर कहा कि सरकार जल्द ही 33 साल बाद नयी शिक्षा नीति लेकर आ रही है.   उन्होंने संवाददाताओं से कहा, विशेषज्ञों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और परिजनों के साथ व्यापक परामर्श किये गये हैं. एक लाख से अधिक ग्राम समितियों के साथ गहन परामर्श किया गया है. नयी नीति ‘ज्ञान, विज्ञान, नवाचार और संस्कार’ पर जोर देती है. उन्होंने कहा कि यह नीति भारत-केंद्रित होने वाली है और प्रधानमंत्री के नये भारत के सपने के अनुसार यह देश को सशक्त करेगी. उन्होंने कहा कि नीति को जल्दी ही सामने रखा जाएगा.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय करेगा नई शिक्षा नीति लागू, सरकार ने जारी किया रोडमैप

मानव संसाधन विकास मंत्रालय करेगा नई शिक्षा नीति लागू, सरकार ने जारी किया रोडमैप

नई दिल्‍ली: नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छह सूत्री रोड मैप जारी किया है. सरकार ने इसे 2030 तक पूरे देश में लागू करने का फैसला लिया है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि कोई भी नीति तभी सफल हो सकती है जब उस पर सही तरीके से काम किया जाए.

मंत्री ने कहा, “शिक्षा नीति भारत केंद्रित और इतनी ठोस और मजबूत होगी कि यह नए भारत के निर्माण में आधारशिला साबित होगी,” मंत्री ने कहा, 33 साल के अंतराल के बाद एक नया एनईपी लाया जा रहा है. पोखरियाल ने कहा कि दो लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं और उन्हें अत्यंत सावधानी के साथ माना जा रहा है.

सरकार की मानें तो नई शिक्षा नीति में छात्र को किसी भी स्कूली सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा. पोखरियाल ने कहा कि छात्रों को कभी भी बाधाओं और समस्याओं से डरना नहीं चाहिए, और उन्हें बड़ा सोचना चाहिए.

मोदी सरकार का बड़ा फैसला : मिड-डे मील समेत सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से अब शिक्षक होंगे मुक्त, देश भर के स्कूलों में दस लाख पद खाली हैं

मोदी सरकार का बड़ा फैसला : मिड-डे मील समेत सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से अब शिक्षक होंगे मुक्त, देश भर के स्कूलों में दस लाख पद खाली हैं

मोदी सरकार का बड़ा फैसला : मिड-डे मील समेत सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से अब शिक्षक होंगे मुक्त
Publish Date:Tue, 05 Nov 2019 08:24 PM (IST)
एचआरडी मंत्रालय ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के अपने अंतिम मसौदे में स्कूली शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से पूरी तरह से अलग करने का सुझाव दिया है।…
अरविंद पांडेय। नई दिल्ली। स्कूली शिक्षकों के लिए फिलहाल राहत देने वाली एक बड़ी खबर है। आने वाले दिनों में उन्हें सभी गैर- शैक्षणिक कार्यो से पूरी तरह से मुक्त किया जा सकता है। ऐसे में उनके जिम्मे अब सिर्फ और सिर्फ बच्चों को पढ़ाने की ही जवाबदेही रहेगी। अभी स्कूलों में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों का सबसे ज्यादा फोकस बच्चों के लिए दोपहर का भोजन (मिड-डे मील) तैयार कराने और उन्हें खिलाने को लेकर ही रहता है। इसके अलावा वोटर लिस्ट तैयार करने, जनगणना करने आदि काम भी उनके जिम्मे रहते है।

शिक्षक गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रहेंगे
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के अपने अंतिम मसौदे में स्कूली शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से पूरी तरह से अलग करने का सुझाव दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है, कि इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी दिखेगा।

शिक्षक मिड- डे मील की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे
प्रस्तावित नई शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने अपने प्रारम्भिक मसौदे में भी शिक्षकों को मिड- डे मील की जिम्मेदारी से अलग रखने का सुझाव दिया गया था। हालांकि इसे मंत्रालय ने अब और सख्त बताते हुए इनमें मिड-डे मील के साथ ही सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से उन्हें मुक्त रखने का सुझाव दिया है। यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की पहले से ही भारी कमी है।
देश भर के स्कूलों में दस लाख पद खाली हैं आगे पढ़ें
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के स्कूलों में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब दस लाख पद खाली पड़े है। यही वजह है कि मंत्रालय ने प्रस्तावित नीति ने इसे प्रमुखता से जगह दी है। प्रस्तावित नीति के जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की तैयारी है।
शिक्षकों को बीएलओ जैसी जिम्मेदारी से मुक्त करने का सुझाव
स्कूली शिक्षकों को चुनावी कार्य सहित दूसरे गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का सुझाव इससे पहले नीति आयोग ने भी दिया था। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस पर गंभीरता दिखाई और शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल आफीसर) जैसी जिम्मेदारी से अलग किया है। बावजूद इसके ज्यादातर राज्यों में अभी भी शिक्षकों को लंबे चलने वाले चुनाव कार्यो से जोड़कर रखा गया है। पिछले दिनों नीति आयोग ने राज्यों से ऐसे शिक्षकों को ब्यौरा मांगा था। साथ ही प्रत्येक जिलों से पूछा था कि क्या वह शिक्षकों के अलावा और किसी को भी चुनावी कार्यो की जिम्मेदारी दे सकता हैnext

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