पंचायत चुनाव के कारण शिक्षकों की मौत और अन्य कर्मचारियों के मौत बढ़ते सिलसिले को रोकने के लिए यूपी पंचायत चुनाव की काउंटिंग रोकने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने किया ख़ारिज

दिल्ली –

यूपी पंचायत चुनाव की काउंटिंग रोकने की मांग

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई

हम पहले राज्य चुनाव आयोग को सुनेंगे-SC

राज्य चुनाव आयोग ने क्या कदम उठाया है-SC

आखरी दौर का चुनाव खत्म हो चुका है- ASG

चुनाव आयोग की तरफ से कदम उठाए गए हैं- ASG

क्या आप दिन की स्थिति का आंकल कर रहे थे?-SC

क्या आपने वर्तमान स्थिति का आकलन किया है? –SC

आपका नवीनतम क्या कदम उठाया है?-SC

हमने कल आदेश पास कर दिए हैं, 4 स्तरों में हैं-ASG

एएसजी ने माना कि केंद्रों पर रैपिड एंटीजन काउंटर उपलब्ध होंगे। वह बताती हैं कि हर मतगणना टेबल पर 150 से अधिक अधिकारी नहीं होंगे और 15-20 से अधिक उम्मीदवार नहीं होंगे।

कोर्ट को बताया गया कि मतगणना स्थल पर 75 से अधिक लोग नही रहेंगे, सुरक्षा कर्मियों को भी ले कर
कोर्ट ने कहा यह संख्या भी कम कीजिये

बेंच: आप वापस नहीं आ सकते हैं और कह सकते हैं कि हमारे पास सबसे अच्छी सुविधाएं थीं।

ASG: जब चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई थी, हम दूसरे उछाल में नहीं थे।

#SupremeCourt # COVID19 भारत

एएसजी: 25000 सुरक्षा अधिकारी हैं जिन्हें स्थिति की निगरानी के लिए परिधि पर रखा गया है।

बेंच: आपके पास अपने अधिकारियों के निर्देश हैं। लेकिन आज वहां शिक्षक संघ का प्रतिनिधित्व है। 700 शिक्षकों की मौत हो चुकी है।
आप उसे कैसे संभालेंगे?

ASG ने 8 घण्टे की वर्किंग शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया।

यादव: अगले 10-15 दिन बहुत फर्क नहीं पड़ेगा।

बेंच: आप केवल 10 दिन ही क्यों कहते हैं?

यादव: यह मेरा मूल सबमिशन है। जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता।

#SupremeCourt # COVID19 भारत

🅰️जज- जीवन की रक्षा ज़रूरी है, चाहे कितने भी संसाधन लगें

भाटी- मतगणना शिफ्ट में होगी। एक बार में अधिकतम 75 कर्मचारी मतगणना केंद्र पर होंगे। 8 घंटे बाद सेनिटाइजेशन होगा।मतगणना केंद्र के बाहर स्थिति नियंत्रित रखने के लिए सुरक्षाकर्मी होंगे। परिणाम लाउडस्पीकर से बताए जाएंगे

बत्रा: मैं एक मास्क पहन रहा हूं क्योंकि मैं एक संक्रमित वातावरण में बैठा हूं। हम अग्नि-युद्ध कर रहे हैं।

न्यायालय: आप कार्यवाही में भाग ले रहे हैं, आप जानते हैं कि स्थिति क्या है। इस अग्निशमन को आगे बढ़ना होगा।

यूपी पंचायत चुनाव की काउंटिंग रोकने की मांग

➡याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

➡हमने दो आदेश जारी किए हैं-निर्वाचन आयोग

➡‘यह पूरी तरह से EC के निर्देशों पर आधारित है’

➡‘काउंटिंग में सोशल डिस्टेंसिंग,मास्क अनिवार्य है’

➡‘हम तापमान के साथ ऑक्सीमीटर चेक,SPO2 भी देखते हैं’

➡तालिकाओं को दूरी पर रखा जाएगा-निर्वाचन आयोग

➡‘जिनमे भी कोरोना के लक्षण हैं उसे अनुमति नहीं दी जाएगी’

एएसजी ने माना कि केंद्रों पर रैपिड एंटीजन काउंटर उपलब्ध होंगे। वह बताती हैं कि हर मतगणना टेबल पर 150 से अधिक अधिकारी नहीं होंगे और 15-20 से अधिक उम्मीदवार नहीं होंगे।
आलम: कुछ अधिकारी ऐसे होते हैं जिन्हें मामले में जिम्मेदारी और जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। मुझे खुशी होगी अगर प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा, मैं केवल इस बात से चिंतित हूं कि वे नहीं हो सकते हैं।

एएसजी: पहले हम तेजी से एंटीजन काउंट उपलब्ध नहीं करा पा रहे थे। लेकिन, अब हम करते हैं और इसमें कम समय लगता है।

बेंच: RTPCR को कम से कम 24 घंटे की समय सीमा की आवश्यकता होती है।

ASG: इसमें संशोधन किया गया है।

एएसजी: तेजी से प्रतिजन काउंटरों के साथ, प्रत्येक व्यक्ति को प्रवेश करने से पहले परीक्षण करना संभव होगा।

पीठ: यह “या” नहीं होना चाहिए। यह “और” होना चाहिए।

ASG: यह एक रचनात्मक सुझाव है, हम इसे अधिकारियों के सामने रखेंगे।

एएसजी: आप आज हमसे आश्वासन ले सकते हैं कि कर्फ्यू भी रहेगा।

बेंच: हमें चर्चा के लिए पांच मिनट का समय दें।

बेंच: ,०० केंद्र हैं, आप कह रहे हैं। यदि आप पर्यवेक्षण के अनुसार 2-3 मिनट में अपने निर्देश प्राप्त कर सकते हैं। अधिकारी संयुक्त सचिव के स्तर का होना चाहिए।

ASG: प्रभुत्व सिर्फ मुझे एक मिनट देता है।

एएसजी: मुझे सूचित किया गया है कि प्रत्येक जिले में वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। वे COVID प्रोटोकॉल के पालन की देखरेख करेंगे। और ये प्रमुख सचिव स्तर के IAS अधिकारी होंगे।

खंडपीठ: केवल पर्यवेक्षक ही नहीं, यदि कुछ भी गलत होता है, तो उन्हें जवाबदेह होना चाहिए।

खंडपीठ: आपको अपनी वेबसाइट पर तुरंत सूचित करना होगा। ASG: आप हमें निर्देशित कर सकते हैं।

आलम: आप स्थिति पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे होने पर विचार कर सकते हैं। यह एक गंभीर मसला है। जब हम प्रबंधन के बारे में बात करते हैं, हम केवल केंद्रों के बारे में बात कर रहे हैं। जो कोई भी शेड्यूल के पीछे चल रहा है, उसमें भारी भीड़ होगी।

एएसजी: एक क्लास १ राजपत्रित अधिकारी है। हम यह कहते हुए एक आदेश पारित करेंगे कि वे COVID दिशानिर्देशों के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे। सीसीटीवी कैमरे भी मौजूद हैं।

खंडपीठ: जिसे संरक्षित किया जाएगा। एएसजी: हां, इसे अंत तक संरक्षित रखा जाएगा।

आलम: कृपया हमें अवमानना के मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं। बेंच: उसके लिए किसी लिबर्टी की आवश्यकता नहीं है। जो अधिकारी वहां हैं, हमें आभारी होना चाहिए। आलम: मैं उन्हें नमन करता हूं। इसलिए मैं उनकी सुरक्षा से चिंतित हूं।

आर्डर

खंडपीठ ने आदेश सुनाया। “एसएलपी इलाहाबाद एचसी के आदेश के खिलाफ निर्देशित है। हम SEC के सबमिशन रिकॉर्ड करके खारिज किए गए चुनावों के अनुरोध को मानते हैं कि सभी प्रोटोकॉल पत्र और भावना में देखे जाएंगे। ”

खंडपीठ: विभिन्न प्रस्तुतिकरण पर विचार करने के बाद, हम राज्य सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के साथ-साथ एसईसी, यूपी को दिए गए आश्वासन को रिकॉर्ड करते हुए एसएलपी में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हैं, जो कि समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के संदर्भ में आवश्यक उपाय करेंगे।

ऑर्डर :

मतगणना टालने की याचिका ख़ारिज : सुप्रीम कोर्ट

पंचायत चुनाव में आरक्षण मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज करेगा अहम सुनवाई आरक्षण

पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर 26 मार्च को होने वाली सुनवाई के बाद ही आयोग अपने अगले कदम के बारे में कोई निर्णय करेगा। बीते 15 मार्च को हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के खिलाफ सीतापुर जिले के बिसवां के दिलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल कर रखी है। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार तथा पंचायती राज विभाग के साथ-साथ राज्य निर्वाचन आयोग भी पक्षकार बनाया गया है। लिहाजा भावी प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके कार्यकर्ताओं की निगाह भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर लगी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: तदर्थ शिक्षकों को वेटेज देकर भरें खाली पद, शिक्षकों के खाली पदों पर चयनित तदर्थ शिक्षकों की जुड़ेगी पुरानी सेवा


लखनऊ : अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती करने में हो रहे देर पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है और इन्हें जल्द भरने के निर्देश दिए हैं। चयन आयोग को समय पर भर्ती न कर पाने पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। कोर्ट ने इन स्कूलों में वर्षों से पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों को भर्ती में वेटेज देने और चयनित होने पर पुरानी सर्विसेज को जोड़ने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि इन शिक्षकों को आगे पेंशन इत्यादि मिलने में दिक्कत न हो। जो तदर्थ शिक्षक चयनित नहीं हो पाएंगे वह बाहर कर दिए जाएंगे। जुलाई 2021 तक शिक्षकों के खाली सभी पद भरे जाने और तदर्थ शिक्षकों की व्यवस्था खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं।

माध्यमिक स्कूलों में समय पर भर्ती न हो पाने के खिलाफ संजय सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संजय किशन और केएम जोजफ की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 में दी गई असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह फैसला सुनाया है। उन्होंने शिक्षकों के खाली पदों पर शीघ्र परीक्षा आयोजित कर उन्हें भरने के निर्देश दिए हैं। वहीं वहीं तदर्थ शिक्षकों की पुरानी सर्विस का सत्यापन कराने का जिम्मा राज्य सरकार का होगा। कहा, विद्यार्थियों के हितों के लिए शिक्षकों की पर्याप्त संख्या जरूरी है। ऐसे में जुलाई 2021 से पहले खाली पदों पर भर्ती कर ली जाए। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने बताया कि फैसले का अध्ययन कर क्रियान्वयन किया जाएगा।

69000 शिक्षक भर्ती सुप्रीम कोर्ट लाइव अपडेट – पल पल की अपडेट के लिए यहां क्लिक करें👇

🔴केस नंबर- 13517/2020 स्वर्णिमा श्रीवास्तव एंड others) 

🔴वर्चुअल  कोर्ट नम्बर 02 में आइटम नम्बर 21.1


🔴आज के केस1- 22000 सीट जुड़वाने2- भारांक3- उत्तर कुंजी

🔴आंसर की पर सेम आर्डर ऋषभ मिश्रा  वाला केस खारिज

🔴भारांक का मामला भी 15 को टैग हो गया है।

🔴सर्वोच्च–न्यायालयसारे मुद्दे का बंच बनते जा रहा। 15 जुलाई को होगी सुनवाई। शेष अपडेट थोड़ी देर में…..

मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपापन में 29334 गणित / विज्ञान भर्ती के 8 चरणों की काउंसिलिंग में चयनित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में आदेश👇

मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपापन में 29334 गणित / विज्ञान भर्ती के 8 चरणों की काउंसिलिंग में चयनित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में

सरकारी नौकरी में सिर्फ प्रतिभा या सफल लोगों को अहमियत देने से समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों का क्या होगा : सुप्रीम कोर्ट, कटऑफ मार्क्स से ज्यादा अंक लाने वाले ही मेधावी, ऐसी सोच विकृत

68500 शिक्षक भर्ती का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, यूपी सरकार को नोटिस

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच चुका है। मंगलवार को मामले की जांच सीबीआई से कराने वाली अर्जी पर न्यायालय ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। न्यायालय में यह याचिका मामले की सीबीआई जांच पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ लगाई गई है। पिछले साल इलाहाबाई उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।

फरवरी में उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच ने सीबीआई जांच पर रोक लगाई थी। परीक्षा में असफल रहे अभ्यर्थियों ने अदालत में याचिका दायर करके सीबीआई जांच को बरकरार रखने की मांग की है। यूपी में 68,500 पदों पर नियुक्तियां हुई थीं।


परीक्षा में मिली धांधलियों की जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। लेकिन इसमें दो सदस्य परीक्षा प्रक्रिया तय करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग से होने के तर्क पर इलाहबाद उच्च न्यायालय की एकल जज ने एक नवंबर 2018 को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए थे। इसे खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि केवल इस आधार पर कि जांच कर रहे अधिकारी दागी पाए जा रहे विभाग से हैं। मामले की जांच सीबीआई को नहीं दी जानी चाहिए।

एक नजर में मामला

इस परीक्षा में शामिल सोनिका देवी ने याचिका दायर कर परीक्षा प्रक्रिया पर आपत्तियां जताई गईं। सुनवाई के दौरान परीक्षा नियामक प्राधिकरण इलाहाबाद से मंगवाए गए दस्तावेजों की जांच हुई। इसमें सामने आया कि अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं को बदला गया है।

सरकार ने जांच के लिए समिति बनाई, जिसमें प्रमुख सचिव चीनी उद्योग संजय आर भूसरेड्डी को अध्यक्ष और सर्व शिक्षा अभियान निदेशक वेदपति मिश्रा व बेसिक शिक्षा के डायरेक्टर सर्वेंद्र विक्रम सिंह को सदस्य बनाया गया। प्राधिकरण सचिव सुतता सिंह को निलंबित किया गया। समिति ने बताया कि 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां में गड़बड़ियां सामने आई।

23 अभ्यर्थियों को परीक्षा परिणाम की दूसरी लिस्ट में योग्य घोषित किया गया, वे पहली लिस्ट में फेल थे। वहीं 24 अभ्यर्थियों को योग्य होते हुए भी आयोग्य घोषित किया गया। इस याचिका पर एक नवंबर को दिए निर्णय में हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपीटेट 2018 में result invalid मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार सहित सम्बंधित ऑथोरिटी को जारी किया नोटिस

आज सुप्रीम कोर्ट ने यूपीटेट 2018 में result invalid मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार सहित सम्बंधित ऑथोरिटी को नोटिस जारी किया है*


*इस मामले में ऐसे लोग प्रभावित थे जो लैंग्वेज या कैटगरी का सर्कल ब्लैक नही कर पाए थे जिससे इनकी कॉपी नही जांची गई और result invalid बता रहा था इससे पहले यूपीटेट 2017 में भी ऐसे लोग हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए थे लेकिन सफलता नही थी*
*लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट के बेसिक शिक्षा मामलों के विद्धवान एडवोकेट आर के सिंह जी की याचिका पर आज यूपीटेट 2018 रिजल्ट इनवैलिड मामले पर नोटिस हुआ है अगर इस मामले में एसएलपी allow हुई तो हजारों छात्रों को रिलीफ मिलेगी*

नामांकन पत्र की जांच से पहले झूठा शपथपत्र सुधारना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि उम्मीदवार का झूठा शपथ पत्र देना भ्रष्ट व्यवहार नहीं माना जाएगा, यदि उसने नामांकन पत्रों की जांच से पहले उसे दुरुस्त कर दिया हो। यह व्यवस्था महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ ही दिनों में लोकसभा और कुछ विधानसभाओं के चुनाव होने वाले हैं।

जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला असम की एक विजयी उम्मीदवार की विशेष अनुमति याचिका पर दिया। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार के अपना शपथपत्र नामांकन पत्रों की जांच से पहले ही सही कर दिया था और उसमें अपने आपराधिक मामलों की जानकारी दे दी थी। निर्वाचन अधिकारी ने दुरुस्त शपथपत्र को ही अंतिम माना और उसके आधार ही उसे उम्मीदवार घोषित किया। ऐसे में यह नहीं कह जा सकता कि चुनाव में उम्मीदवार ने अपराधिक मामलों को छिपाकर लोगों से वोट मांगे। इसलिए कोर्ट की राय में यह आरपी ऐक्ट, 1951 की धारा 123 (2) के तहत भ्रष्ट व्यवहार नहीं माना जाएगा। यह उम्मीदवार की ओर से एक गलती भर थी जिसे उसने नामांकन पत्रों की जांच से पहले सुधार लिया।

मोरंग की विधायक का मामला
डिब्रूगढ़ से चुनाव लड़ने वाली जीबोनतारा घटोवार पर आरोप था कि उन्होंने 2012 में विधानसभा चुनाव में मोरंग सीट से नामांकन पत्र दाखिल करते समय धारा 33-ए के तहत शपथपत्र में अपने आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी थी। इस कानून के अनुसार चुनाव के उम्मीदवार को अपने खिलाफ लंबित ऐसे सभी मामलों की जानकारी देना जरूरी है, जिनमें दो साल या ज्यादा की सजा जा प्रावधान हो। घटोवार आईपीसी की धारा 420, 468 और 193 के तहत चल रहे मामलों में अभियुक्त थीं

विरोधी प्रत्याशी ने दी थी याचिका
घटोवार चुनाव में वह जीत गई, लेकिन विरोधी उम्मीदवार ने उनके खिलाफ चुनाव याचिका दायर कर दी। विरोधी उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि घटोवार ने चुनाव में झूठा शपथपत्र दाखिल किया था जिसमें उन्होंने अपने अपराधिक मामलों की सूचनाएं छिपाई थीं। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी और कहा कि इससे चुनाव पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।