Site icon Basic Shiksha Parishad

बजट- 2019:: नहीं, सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय कर-मुक्त नहीं की है, टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, ध्यान से पढ़े यहां पूरी जानकारी।।

केंद्रीय वित्त मंत्री पियूष गोयल ने 1 फरवरी को लोकसभा में, असंगठित क्षेत्र और मध्यम-वर्ग के लिए महत्वपूर्ण प्रस्तावों के साथ, 2019 का अंतरिम बजट पेश किया। सरकार द्वारा घोषित सर्वाधिक चर्चा में रही रियायतों में से एक, मध्यमवर्गीय करदाताओं के लिए प्रस्तावित रियायत थी। इसे, 5 लाख रुपये तक की आय को ‘कर-मुक्त’ श्रेणी में आ जाने के साथ, टैक्स स्लैब में परिवर्तन के रूप में समझा गया।

जबकि, वर्तमान टैक्स स्लैब में परिवर्तन का कोई प्रस्ताव नहीं है।

अंतरिम बजट में टैक्स के बारे में क्या कहा गया है?
वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा — “अभी के लिए, आयकर की वर्तमान दर वित्त वर्ष 2019-20 में जारी रहेगी। मैं निम्नांकित परिवर्तन प्रस्तावित करता हूँ — 5 लाख रुपये तक की कर-योग्य आमदनी रखने वाले व्यक्तिगत करदाताओं को पूरी कर रियायत मिलेगी।” – (अनुवादित)

मिलेगी।” – (अनुवादित)

NDTV

@ndtv

| “Individual taxpayers having annual income upto Rs 5 lakh will get full tax rebate”: @PiyushGoyal in speech

Track updates here: http://goo.gl/N8iQyQ

Follow special coverage on http://ndtv.com/budget and NDTV 24×7

इसका मतलब है कि सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आमदनी करने वाले करदाताओं को “कर-मुक्त” श्रेणी में शामिल करके टैक्स स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव नहीं किया है। इसमें, वास्तव में, जमा कर दिए गए करों पर उन्हें पूरी रियायत देने का प्रस्ताव है।

अभी के टैक्स स्लैब के अनुसार (जो वित्त वर्ष 2019-20 में जारी रहने वाला है), 2.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ता है।

जब कुल आय 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो, लेकिन 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो, तब करदाताओं को 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 5% की दर से कर देना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी कर-योग्य आय 3.5 लाख रुपये है, तब आपको 1 लाख रुपये पर 5% का कर देने की जरूरत है।

यदि कुल वार्षिक आय 5 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तब कर देनदारी 12,500 रुपये तथा 5 लाख रुपये से ऊपर पर 20% बनती है। इसका मतलब है कि यदि आप वार्षिक 7 लाख रुपये की आय करते हैं, तब आपको कर के रूप में 52,500 रुपये (12,500 + 2,00,000 का 20%) देने की जरूरत है।

जहां कुल आय 10 लाख रुपये से ज्यादा होती है, वहां कर देनदारी 1,12,500 रुपये तथा 10 लाख से ऊपर की राशि पर 30% की बनती है।

ऊपर वर्णित टैक्स स्लैब अपने वर्तमान स्वरूप में बने रहेंगे, जबकि सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को पूरी रियायत देने का प्रस्ताव किया है।

उपर्युक्त स्लैब वर्तमान में भी जारी रहेगा, जबकि सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को पूर्ण छूट देने का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार द्वारा केवल 5 लाख रुपये से अधिक की आय पर कर लगाया जाएगा। 7 लाख रुपये कमाने वाले व्यक्ति को अभी भी 4.5 लाख रुपये पर कर का भुगतान करना होगा क्योंकि भारतीय कर प्रणाली केवल 2.5 लाख रुपये तक की कर छूट की अनुमति देती है।

कर रियायत का क्या मतलब है और यह कर-मुक्त से अलग कैसे है?

कर-मुक्त का मतलब, वह आय, खर्चे और निवेश हैं, जिन पर कोई कर नहीं लगता है। भारतीय कर प्रणाली के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोग कर भुगतान से मुक्त हैं।

दूसरी तरफ, कर रियायत दिए गए कर में से वापसी (refund) के रूप में करदाताओं को दी जाने वाली रियायत है। आयकर अधिनियम की धारा 87A, जिन व्यक्तियों की आय 3.5 लाख रुपये से ज्यादा न हो, उन्हें, 2500 रुपये या जमा करने योग्य कर (जो भी कम हो) की रियायत प्रदान करती है।

सरकार ने धारा 87A में परिवर्तन का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री पियूष गोयल ने 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय अर्जित करने वाले करदाताओं को पूर्ण रियायत का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब है कि करदाता 12,500 रुपये (2.5 लाख रुपये का 5%) की कर रियायत पा सकते हैं।

अपने भाषण में, वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि 6.5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले किसी व्यक्ति को कोई कर देने की जरूरत नहीं होगी।

6.5 लाख रुपये तक कर आकलन

आयकर अधिनियम की धारा 80C, जीवन बीमा, प्रोविडेंट फण्ड, एलआईसी म्यूच्यूअल फण्ड, सुकन्या समृद्धि अकाउंट आदि जैसे कर-मुक्त निवेशों पर 1.5 लाख रुपये तक की अधिकतम राशि की कटौती की अनुमति देती है। कर कटौती, करदाताओं की कुल आय में से कटौती हैं, ताकि कर के अधीन राशि कम हो।

यदि कोई व्यक्ति 6.5 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाते हैं, तो वे 5 लाख रुपये पर कर रियायत पा सकते हैं और बाकी 1.5 लाख रुपये कर-मुक्त निवेश के विकल्पों में निवेश कर सकते हैं।

हालांकि, आयकर अधिनियम, धारा 80C से और अधिक कटौती की अनुमति देता है। इसके अलावा, सरकार ने मानक कटौती सीमा को 50,000 रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी किया है।

मानक कटौती, वेतनभोगी व्यक्तियों की आय से उनके रोजगार संबंधी किए गए खर्चों के लिए एक सपाट कटौती (standard deduction) की अनुमति देता है। यह आयकर की धारा 16 के तहत आता है। 2018 में, यह 40,000 रुपये तय था और अब 10,000 रुपये की वृद्धि प्रस्तावित की गई है।

नए प्रस्तावों के बाद कुल कटौतियां क्या होगी?

धारा 80C के तहत कटौती (1.5 लाख रुपये) की अनुमति व प्रस्तावित मानक कटौती (50,000 रुपये) के अलावा, करदाता, आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अन्य कटौतियों का भी लाभ उठाता है।

धारा 80CCD(1B) में कहा गया है, “धारा 80CCD(1B) के अनुसार, 80CCD(1) में निर्दिष्ट कर-निर्धारिती को उसकी आय की गणना में, अधिसूचित पेंशन योजना के तहत अथवा जैसा केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, पिछले वर्ष में अपने खाते में भुगतान या जमा की गई पूरी राशि की कटौती, जो कि 50,000 रुपये से अधिक नहीं होगी, की अनुमति दी जाएगी।”

धारा 80D, स्वयं और/या परिवार के सदस्यों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से संबंधित कटौती की अनुमति देता है। कटौती की अधिकतम राशि 25,000 रुपये है और परिवार में वरिष्ठ नागरिक के मामले में, यह सीमा 50,000 रुपये है।

अंत में, धारा 80TTA, बचत खाते में जमा (परिपक्वता वाली जमा नहीं) पर अर्जित ब्याज आय पर 10,000 रुपये की (गैर-वरिष्ठ नागरिकों को) अधिकतम कटौती प्रदान करता है।

इकोनॉमिक्स टाइम्स के एक विश्लेषण के अनुसार, 7.75 लाख रुपये तक की आय वाले वेतनभोगी व्यक्ति शून्य कर का भुगतान करेंगे, यदि वे उपरोक्त कटौतियों और छूट का लाभ उठाते हैं।

टैक्स स्लैब में परिवर्तन नहीं

अंतरिम वित्त बजट, कर स्लैब में किसी बदलाव का प्रस्ताव नहीं करता है, बल्कि, कर रियायत (2,500 रुपये से 12,500 रुपये) और मानक कटौती (40,000 रुपये से 50,000 रुपये) का विस्तार करता है।

Exit mobile version