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यूपी के 42 और खंड शिक्षा अधिकारियों की होगी जांच

यूपी के 42 और खंड शिक्षा अधिकारियों की जांच होगी



लखनऊ,। अपने दायित्वों के प्रति लापरवाह और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे करीब 42 और खण्ड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) पर जांच की तलवार लटकी है। ये ऐसे बीईओ हैं जिनके खिलाफ प्राप्त शिकायतों से जुड़े फीडबैक बेसिक शिक्षा निदेशालय को आधे-अधूरे रूप में प्राप्त हुए हैं।

विभागीय मुख्यालय इन पर लगे सभी आरोपों की पुष्टि में जुटा है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में आरोपों की पुष्टि की दशा में बचे हुए सभी बीईओ के खिलाफ जांच कराई जाएगी। सूत्र बताते हैं कि 42 में से कुछ ऐसे बीईओ हैं जिन्होंने टेलीफोनिक फीडबैक को लेकर सवाल उठाए हैं और फोन पर अधीनस्थों से सूचक प्रश्न के उत्तर के आधार पर प्रस्तावित कार्यवाही के विरुद्ध जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन में शिकायतें दर्ज कराई है।

भ्रष्टाचार की जांच मामले में BEO संघ ने प्रक्रिया को किया कटघरे में खड़ा, ऐसी जांचें बीएसए से लेकर अन्य शिक्षा कार्यालय के अफसरों के न कराने पर भी उठाया सवाल


प्रयागराज : भ्रष्टाचार के आरोपी 25 खंड शिक्षाधिकारियों के समर्थन में उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद के सामने मोर्चेबंदी के लिए कमर कसी है। संघ ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक समेत बेसिक शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, निदेशक बेसिक शिक्षा को पत्र लिखकर पूरी जांच प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है।


संघ ने आरोप लगाया है कि टेलीफोनिक फीडबैक के आधार पर जांच में आरोप की पुष्टि बिना सुनवाई का मौका दिए एकतरफा कार्रवाई है। यह नैसर्गिक न्याय और विधिक प्रक्रिया का भी उलंघन है। निरीक्षक संघ ने ऐसी जांचें बीएसए, उप शिक्षा निदेशक बेसिक, सचिव बेसिक शिक्षा, राज्य परियोजना कार्यालय के अफसरों का न कराने पर भी सवाल उठाया है। साथ ही नवरात्र के पहले दिन लखनऊ में खंड शिक्षाधिकारियों की बैठक संघ ने बुलाई थी।


विद्यालय निरीक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेन्द्र कुमार शुक्ल और महामंत्री वीरेंद्र कुमार कनौजिया ने स्कूल शिक्षा महानिदेशक को संबोधित तीन पेज के पत्र को मीडिया को भी जारी किया है।
इसमें लिखा है कि मात्र टेलीफोन कॉल किसी के विरुद्ध कार्रवाई का कोई ठोस विधिक आधार नहीं है। खंड शिक्षा अधिकारियों के मामले में टेलीफोनिक फीडबैक लेकर कार्रवाई किए जाने के पूर्व कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है। सरकारी सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने के संबंध में सरकारी सेवक अनुशासन एवं अपील नियमावली-1999 में निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है।


सरकार की सरकारी सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के संबंध में उनके विरुद्ध प्राप्त शिकायती पत्र को शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत करने की स्थिति में ही संज्ञान में लिए जाने की कार्मिक विभाग के स्पष्ट शासनादेशों और उच्च न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया है।


शिक्षकों से फीडबैक लेने के संबंध में यह भी नहीं देखा गया कि ऐसे शिक्षकों से फीडबैक ना लिया जाए जिनके खिलाफ किसी भी स्तर पर विभागीय कार्यवाही चल रही हो या लंबित हो। किन शिक्षकों से फीडबैक लिया जाना है, इसे भी तय नहीं किया गया है।


फीडबैक केवल खंड शिक्षा अधिकारियों के संबंध में लिए गए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी समेत अन्य विभागीय उच्चाधिकारियों के संबंध में उनके अधीनस्थों से कोई भी फीडबैक नहीं लिया गया है। संघ ने यह सवाल भी उठाया है कि शिक्षा निदेशालय बेसिक एवं राज्य परियोजना कार्यालयों द्वारा संचालित योजनाओं एवं परियोजनाओं के संबंध में विद्यालय स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में भी शिक्षकों से कोई भी फीडबैक नहीं लिया गया है।


प्रदेश अध्यक्ष प्रमेन्द्र कमार शुक्ला ने मांग की है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत शीर्ष स्तर से लेकर धरातल तक सभी स्तरों पर कार्मिक विभाग की नीतियों के तहत कार्रवाई किए जाने की प्रणाली विकसित की जाए। साथ ही 30 वर्षों की सेवा के उपरांत बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे खंड शिक्षा अधिकारियों की वेतन विसंगतियों और पदोन्नति से जुड़ी समस्याओं का भी निराकरण किया जाए, जिससे वह और ज्यादा अच्छी तरह कार्य कर सकें।


उधर, कुछ शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का दावा है निरीक्षक संघ ने जिन मुद्दों को उठाया है ऐसी ही समस्याओं पर वह शिक्षकों के खिलाफ बिना नियमों को ताक पर रखकर कार्रवाई करते रहे हैं। उन्हें भी ऐसे मामलों में शिकायतकर्ता से शपथ पत्र लेने के बाद ही कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।







केवल फोन पर लिए फीडबैक के आधार पर कार्रवाई की तैयारी पर BEO संघ ने जताई नाराजगी

बात नहीं सुनी गई तो पूरे प्रदेश के बीईओ देंगे धरना और करेगें प्रदर्शन


लखनऊ। शासन की ओर से मात्र फोन के आधार पर खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी पर उप्र विद्यालय निरीक्षक संघ ने नाराजगी जताई है। इंदिरा नगर स्थित आरएलबी स्कूल में बुधवार को हुई बैठक में 25 खंड शिक्षा अधिकारियों ( बीईओ) के खिलाफ की गई जांच पर आपत्ति जताते हुए महानिदेशक स्कूल शिक्षा को ज्ञापन भेजा। साथ ही चेतावनी दी कि अगर उनकी बात को नहीं सुना गया तो पूरे प्रदेश के बीईओ धरना-प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।




बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रमेंद्र शुक्ला ने कहा कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच का आधार सिर्फ फोन नहीं हो सकता है। शिक्षकों से सिर्फ फोन पर फीडबैक लिया गया है, विभाग की तरफ से न तो कोई ठोस आधार लिया गया और न ही सेवा नियमावली का ध्यान रखा गया। यह नियमों के भी खिलाफ है।


प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र कनौजिया ने कहा कि शिक्षकों से फीडबैक लेने से पहले यह तय नहीं किया गया कि किन शिक्षकों से फीडबैक लिया जाए। फीडबैक मात्र बीईओ संवर्ग के बारे में ही प्राप्त किया गया है।

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