Site icon Basic Shiksha Parishad

सुझाव / जनता से पुलिस के व्यवहार की निगरानी के लिए पुलिसकर्मियों के कंधे पर कैमरे लगाए जाएं-दिल्ली हाईकोर्ट

गैजेट डेस्क. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस से दिशा-निर्देशों की मांग की, जिसमें पुलिस के उचित व्यवहार को सुनिश्चित करने और पारदर्शी अभियोजन के लिए पुलिस को बॉडी वॉर्न कैमरा से लैस करने के सुझाव हैं। गौरतलब है कि हाल ही में मुखर्जी नगर में एक टेम्पो ड्राइवर और उसके बेटे की पिटाई के मामले में पुलिस पर अतिरिक्त बल प्रयोग का आरोप लगा था। इसके मद्देनजर एक याचिका पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ ने गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी के रिप्रेजेंटेशन पर विचार करते हुए निर्णय लेने को कहा। हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि वह किसी प्रकार का निर्देश नहीं दे रहा।

16 जून को मुखर्जी नगर में टेम्पो ड्राइवर और पुलिस की झड़प का वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा

बीते 16 जून को मुखर्जी नगर एरिया में टेम्पो ड्राइवर और पुलिस के बीच की झड़प का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसके बाद पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया। मामले को सही ढंग से हैंडल नहीं कर पाने के आरोप में 3 पुलिस वाले को सस्पेंड किया गया था। पुलिस के अनुसार घटना में सिंह के टेम्पो ने पुलिस की गाड़ी को टक्कर मार दी थी जिसके बाद बवाल हुआ और सिंह पुलिस वाले के पीछे तलवार लेकर दौड़ा। रोकने को दूसरे पुलिसवालों ने उसे धक्का देकर गिरा दिया।

क्या है बॉडी वॉर्न कैमरा

बॉडी वॉर्न कैमरा पुलिस अधिकारी और कर्मचारी कंधे या सीने के पास लगाकर रखते हैं। खुद की आवाज के साथ घटनाक्रम की वीडियो-रिकॉर्डिंग होती है। कैमरे का डाटा डिलीट न किया जाए तो इसे सुरक्षित रखा जा सकता है।

साक्ष्य और तथ्यों का सटीक संकलन किया जा सकेगा

कई बार लॉ एंड ऑर्डर के हालात में या भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान लोग पुलिस से हुज्जत करते हैं। और भिड़ भी जाते हैं। ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप भी लगते हैं। बॉडी वॉर्न कैमरा होने से सब कुछ रिकॉर्ड होगा। ताकि बाद में इससे साक्ष्य जुटाए जा सकें।

Exit mobile version