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प्रार्थना संग्रह: माता सरस्वती की प्रार्थना
Mata Saraswati’s Prayer

“ या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता , 
या वीणावरदण्डमण्डित  करा या श्वेत पद्मासना । 
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता , 
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा । । 

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीम् ,
वीणा पुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् । 
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् , 
वन्दे तां परमेश्वरी भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदाम् । ।

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु लिरिक्स Subah Savere Lekar Tera Naam Prabhu Lyrics

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ऑडियो

वह शक्ति हमें दो दयानिधे

माँ शारदे कहाँ तू वीणा बजा रही हैं लिरिक्स Maa Sharde Kahan tu Veena Baja Rahi Hai Lyrics Ma Sharda Bhajan Lyrics

सरस्वती नमस्तुभ्यं
वरदे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि
सिद्धिर्भवतु मे सदा

माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं

किस भाव में भवानी
तू मग्न हो रही है
विनती नहीं हमारी
क्यों माँ तू सुन रही है
हम दीन बाल कब से
विनती सुना रहें हैं
चरणों में तेरे माता
हम सर झुका रहे हैं
हम सर झुका रहे हैं
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं

अज्ञान तुम हमारा
माँ शीघ्र दूर कर दो
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में
माँ शारदे तू भर दे
बालक सभी जगत के
सूत मात हैं तुम्हारे
प्राणों से प्रिय है हम
तेरे पुत्र सब दुलारे
तेरे पुत्र सब दुलारे
मां शारदे कहाँ तू

हमको दयामयी तू
ले गोद में पढ़ाओ
अमृत जगत का हमको
माँ शारदे पिलाओ
मातेश्वरी तू सुन ले
सुंदर विनय हमारी
करके दया तू हर ले
बाधा जगत की सारी
बाधा जगत की सारी
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही हैं
किस मंजु ज्ञान से तू
जग को लुभा रही हैं 

सरस्वती वंदना- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी

हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनीअम्ब विमल मति दे।

अम्ब विमल मति दे॥

 जग सिरमौर बनाएं भारत,वह बल विक्रम दे।

वह बल विक्रम दे॥

 हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनीअम्ब विमल मति दे।

अम्ब विमल मति दे॥

साहस शील हृदय में भर दे,जीवन त्याग-तपोमर कर दे,

संयम सत्य स्नेह का वर दे,स्वाभिमान भर दे।

स्वाभिमान भर दे॥1॥

 हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनीअम्ब विमल मति दे।

अम्ब विमल मति दे॥ 

लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें

हममानवता का त्रास हरें हम,

सीता, सावित्री, दुर्गा मां,फिर घर-घर भर दे।

फिर घर-घर भर दे॥2॥ 

हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनीअम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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