फतेहपुर : पिछड़े जिलों में शुमार फतेहपुर जिला जिसको अग्रणी बनाने का जिम्मा शिक्षकों ने तथा संबंधित विभाग के अधिकारियों ने उठा रखा है फिर चाहे योजनाओं का क्रियान्वयन हो अथवा शिक्षा व्यवस्था , हर कदम पर शिक्षकों ने अधिकारियों का पूरे मन से सहयोग किया और आज जब हिटलर वादी सरकार उन शिक्षकों के ऊपर ही नए नए नियमों को थोपती है तथा उसकी सोच को एक कमरे में बंद करने का काम करती है तो भला ऐसे हालात में एक शिक्षक अपने विद्यार्थी को संपूर्ण विश्व की कल्पना एक कमरे में बैठकर कैसे करा सकता है शासन को इस बात को समझना चाहिए किसी घर का सबसे मजबूत पहलू उसकी नेह होती है और अगर नेह ही कमजोर हो जाए तो भला मकान कैसे बनेगा , बनाने दीजिए शिक्षकों को मजबूत नेह अपने तरीके से ,अफसोस तो तब होता है जब विभाग का मुखिया ही ऐसी बातें करने लगे , जो भी हो पर सवाल तो उठेगा ही आखिर क्यों जब शिक्षकों के वेतन या एरिया या डॉक्यूमेंट संबंधी आदेश जारी करना होता है तो बीएसए फतेहपुर का आदेश सबसे आखरी में आता है विद्यालय आवंटन का केस हो इंग्लिश मीडियम का या फिर पारस्परिक स्थानांतरण का, फिर ऐसी क्या मजबूरी हो गई जिसके चलते संपूर्ण शिक्षा विभाग जिस पर सरकार तानाशाही दिखाती है पर अपने ही शिक्षकों का साथ छोड़ने को तैयार हो गए बेसिक शिक्षा अधिकारी , निश्चित तौर पर इस तरह के निर्णय से शिक्षक साथियों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है