अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सातवें राष्ट्रीय अधिवेशन गणपत विश्वविद्यालय मेहसाना, गुजरात में प्रारंभ।
उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख मा. अनिरुद्ध देशपांडे जी ने कहा कि शिक्षक के ही बूते पर *डेस्टिनी ऑफ द नेशन* तय होगा। शिक्षा के केंद्र बिंदु में छात्र हैं । नेशनल एजुकेशन पॉलिसी से श्रेष्ठ परिवर्तन आने वाला है। परिवर्तन के वाहक शिक्षक बनेंगे। *शिक्षक समाज की चिंता करने वाले युवा पैदा करें। दायित्व संस्कारों की ही एक श्रृंखला है। समाज की उन्नति के लिए शिक्षा है*।
*मुख्य अतिथि गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री मा. विजय भाई रुपाणी* ने गांधी पटेल की धरती पर स्वागत करते हुए कहा कि स्वराज से सुराज की ओर और विकास की राजनीति की प्रतिष्ठापना गुजरात की धरती से हुई। शिक्षा और संस्कार, शिक्षा – दीक्षा, शिक्षक के द्वारा ऐसा समाज निर्मित होगा जो देश को जगत जननी बनाएगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर जे पी सिंघल जी ने समाज और प्रकृति के साथ संबंध की बात करते हुए जिज्ञासा को बढ़ाने का कार्य शिक्षक का बताया। इस अवसर पर अधिवेशन की स्मारिका नारी भारतीय दृष्टि और भविष्य महासंघ की मासिक पत्रिका शैक्षिक मंथन और पर्यावरण संरक्षण पर लिखित पुस्तक का विमोचन मंचस्थ अतिथियों ने किया। अधिवेशन में महासंघ के महामंत्री शिवानंदन सिंदनकेरा, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मा.ओमपाल जी, राष्ट्रीय उच्च शिक्षा संवर्ग प्रभारी मा. महेंद्र कुमार जी, स्वागताअध्यक्ष मा. गणपत भाई पटेल सहित देशभर के महासंघ से सम्बद्ध शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। इस अधिवेशन में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ फतेहपुर इकाई भी प्रतिभाग कर रही है ।