सुरक्षित कर लिया गया लेकिन लखनऊ खंडपीठ में भर्ती रद्द कराने के याचिका की सुनवाई होना अभी बाकी है।इस भर्ती में आए दिन कोई ना कोई पेच फंस रहा है। जिसके चलते भर्ती प्रक्रिया संपन्न होने का नाम ही नहीं ले रही है।करीब डेढ़ साल से कानून के फेर में फंसी यह भर्ती परीक्षा अब सरकार के गले की फांस बन गई है। ऐसे में नौकरी के सपने देख रहे अभ्यर्थियों की दशा पर आसमान से गिरा खजूर पर अटका मुहावरा बिलकुल सटीक बैठता है।अब 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती
परीक्षा को रद्द करने और मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दाखिल की गई है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के लिए 6 अगस्त की तारीख तय की है।यूपी सरकार की तरफ से महाधिवक्ता बहस करेंगे।अभी तक जितनी भी सुनवाई हुई है महाधिवक्ता हाजिर नहीं हुए हैं।दायर याचिका में कहा गया है कि 6 जनवरी 2019 को इस परीक्षा के बाद पेपर लीक के संबंध में एसटीएफ तथा केंद्र अधीक्षकों द्वारा प्रदेश के कई स्थानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिससे व्यापक स्तर पर पर्चा लीक होने की बात साबित होती है। आज भी एसटीएफ इस केस में विवेचना कर रहा है,लेकिन अभी तक चन्द्रमा यादव एवम मायापति दुबे एवम केएल पटेल के गुर्गों को पकड़ने में नाकामयाब रही है।बन्टी पाण्डेय ने बताया कि एसटीएफ की जांच इस मामले में लीपापोती कर रही है।उन्होंने मुख्यमंत्री श्री योगि आदित्यनाथ जी से इस भर्ती की सीबीआई जांच के लिए कई बार गुहार भी लगाई।अब याचिका में परीक्षा को निरस्त करने तथा एसटीएफ पर सरकार के दवाब में काम करने के आधार पर सीबीआई जांच कराये जाने की मांग की गयी है। आपको बता दें कि अजय कुमार ओझा तथा उदयभान चौधरी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में यह याचिका दाखिल की गई है।सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में प्रदेश सरकार तथा परीक्षा नियामक प्राधिकरण की ओर से प्रदेश के महाधिवक्ता स्वयं बहस करेंगे जो आज अभी तक हुई बहस में उपलब्ध नहीं हुए हैं। इसलिए अब इस मामले की सुनवाई 8 अगस्त को होगी।वही बन्टी पाण्डेय जी के द्वारा बताया गया है कि कोर्ट में जो साक्ष्य भर्ती रद्द कराने के लिए लगाए गए हैं वो अकाट्य साक्ष्य हैं उसको देखते हुए न्यायालय भर्ती को जरूर रद्द करेगी।