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महानिदेशक स्कूली शिक्षा के तुगलकी फरमान के विरोध में शिक्षक लामबंद, आदेश के मुताबिक करे कोई भरे कोई, विकास विभाग का ठीकरा शिक्षकों पर गया फोड़ा

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश सरकार के ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरण आनंद द्वारा जारी शिक्षकों के वार्षिक मूल्यांकन के आदेश को लेकर शिक्षकों में आक्रोश और रोष व्याप्त हो गया है सुबे के लाखों शिक्षकों में इस आदेश को लेकर जहां तरह-तरह की चर्चाएं हैं तो वहीं इस आदेश को लेकर के लोगों में इस कदर आक्रोश है लोगों ने इस आदेश के खिलाफ माननीय न्यायालय at शरण लेने का भी मन बना लिया है। स्कूली शिक्षा मह्मननिदेशक विजय किरण आनंद के आदेश के अनुसार शिक्षकों की वार्षिक मूल्यांकन आख्या ऑनलाइन भरी जानी है जिसमें शिक्षकों द्वारा अपना स्वयं का मूल्यांकन करना है और प्रतिवेदक अधिकारी ध्खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा मूल्यांकन किया जाना है और उनके अंक निर्धारित कियें गए है लेकिन महानिदेशक के आदेश के कुछ बिंदुओं को लेकर शिक्षकों में गहरा आक्रोश है।


प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष विवेक कुमार गुप्ता ने शिक्षकों को बैठक आयोजित करके बताया की आपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत जारी आदेश के मुताबिक विद्यालय में मूल भूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया था जिसको लेकर शासन द्वारा भी आदेश जारी करते हुए जिला अधिकारी ,मुख्य विकास अधिकारी और खंड विकास अधिकारी को आदेश पारित किया गया कि ग्राम निधि के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान और सचिव के द्वारा स्कूलों को 14 मूलभूत सुविधाओं से संतृप्त किया जाए इसके लिए बकायदा फंड की व्यवस्था भी शासन द्वारा ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराई गई थी। एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी स्कूलों के बंद होने के बावजूद द ज्यादातर ग्रामो में ग्राम प्रधान पंचायत सचिव की लापरबाही की बजह से स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं पूरी नहीं हो पाई, लेकिन महानिदेशक के ताजा आदेश के अनुसार ग्राम प्रधान द्वारा कराए जा रहे कार्यों को लेकर भी शिक्षकों को जिम्मेदारी तय कर दी गई जिसके लिए ना तो उनको कोई फंड की व्यवस्था की गई ना थी न ही इसको पूरा कराने को लेकर उनको कोई आदेश शासन द्वारा दिया गया। डीजी के इस आदेश की बजह से शिक्षकों का कहना है कि करे कोई भरे कोई अर्थात मूलभूत सुधार की जिम्मेदारी के लिए जिनको जिम्मेदारी दी गई थी उनके द्वारा काम न किए जाने को लेकर के उन पर तो कोई कार्यवाही नहीं की गईं लेकिन स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं दिए जाने के नाम पर स्कूल के शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करके उनकी गोपनीय आख्या में कम अंक देकर कार्यवाही का मन बना लिया है।जबकि यह नियम विरुद्ध हैं। शिक्षक धीरेंद्र प्रताप सिंह और सुजीत कुमार शर्मा ने बैठक में बताया को इस आदेश के दो बिंदुओं पर आपत्ति है। जिसमें आपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत कार्य पूर्ण ना छोने का जिम्मेदार अध्यापक को बनाया जाना जबकि ग्राम प्रधानों द्वारा मुख्यतः उन्हीं विद्यालयों में कार्य कराए गए हैं जहां पर पोलिंग बूथ हैं।विद्यालयों में आने बाली कम्पोजिट ग्रांट 14 पैरामीटर का काम कराने के लिए नाकापी है लेकिन उसको खर्च करने के निर्देश अलग है इस मद में खर्च नही कर सकते है। इसके लिए शिक्षक स्वयं के वेतन से हो कार्य कराएँ। ब्लाक अध्यक्ष बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा की यह बात सर्जवरिदित है कि सभी विद्यालयों में छात्र संख्या एक समान नहीं है किसी विद्यालय में 600 है तो किसी में 30 है, तो विभाग किस आधार पर किसी अध्यापक का आकलन कैसे कर सकता है कि उसने ई- लर्निंग पाठशाला में कितनी संख्या में अभिभावकों को जोड़ा है जहां पर छात्र संख्या कम है वहाँ कम ही संख्या में सदस्य जोड़े जा सकते है।सभी जगह पर अभिभावकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति एक समान नहीं है कहीं कहीं पर अभिभावक के पास स्मार्टफेन नहीं मिलेगा , अगर मिलेगा भी तो मोबाइल में डाटा नहीं मिलेगा।

प्रदीप मिश्रा का कहना है को ई ग्रुप में जोड़ी गई संख्या के आधार पर अध्यापक का आकलन करना हास्यास्पद है, इस आदेश का सन्देश स्पष्ट है कि अगर अभिभावक के पास स्मार्टफेन नहीं है तो अध्यापक अक्षम है। बैठक में शिक्षकों ने इस आदेश के विरोध में अपने विचार रखे और लामबंद होकर आगे की रणनीति तय करते हुए माननीय न्यायालय की शरण में जाने की बात कही। विवेक कुमार गुप्ता ने बताया की इस आदेश को लेकर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय ने शिक्षा मंत्री सतीश द्विबेदी के समक्ष पत्र देकर अपना विरोध दर्ज कराया है यदि आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो शिक्षक हित में आगे को रणनीति तय करते हुए माननीय न्यायालय की शरण में जाया जाएगा। इस मौके पर धीरेंद्र प्रताप सिंह, विमला सिंह, रजनीश शुक्ला, पछाली, अलोक, अनीता, इमामुद्दीन अंसारी, श्रद्धा मणि, रीता राना, भावना मिश्रा, रुद्रकांत, शेरबहादुर, सुजीत शर्मा, प्रभाकांत व सत्य प्रकाश आदि उपस्थित रहे।



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