सुनने में अजीब जरूर है, लेकिन बात सोलह आने सच है। सरकार दो बच्चों की पढ़ाई पर लगभग अस्सी हजार रुपये प्रतिमाह खर्च कर रही है। फिर भी बच्चों की शिक्षा का स्तर बेहद कमजोर है। दो बच्चों को पढ़ाने के लिए दो शिक्षिकाएं लगाई गई हैं। स्कूल का भवन जर्जर है, जबकि सामने ही बड़ा सा गड्ढा दुर्घटनाओं को दावत दे रहा है।
गौरीगंज विकास क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय इस्माइलपुर का अजब हाल है। 2012 में धन की बंदरबांट करने के लिए स्कूल का निर्माण एकदम कोने में करा दिया गया है। निर्माण में मानकों की किस कदर अनदेखी की गई, यह स्कूल के पास पहुंचने से ही दिख जाता है। स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो गई है। वहीं स्कूल के सामने ही एक बड़ा सा गड्ढा बना हुआ है, जिसे भरवाने की जिम्मेदारी छह साल में कोई भी नहीं उठा सका। स्कूल तक आने के लिए कोई संपर्क मार्ग भी नहीं है। वहीं एकतरफ बनी बाउंड्रीवाल भी टूट चुकी है। यह तो रही बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की बात। शिक्षा के मामले में तो स्कूल की स्थिति और दयनीय है। आलम यह है कि स्कूल में कुल नामांकन दस है। जबकि पढ़ने आते हैं महज दो बच्चे। इन्हीं दो बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षिकाओं को लगाया गया है। दो शिक्षिकाएं मिलकर दो बच्चों को पढ़ा रही हैं।
इस्माइलपुर में दो शिक्षिकाएं दो बच्चों को पढ़ा रही है। जबकि विकास खंड के दर्जनों स्कूल ऐसे हैं। जहां संख्या 50 के पार है। जबकि यहां मात्र एक ही अध्यापक की तैनाती है।
बोले बीएसए
दो बच्चों पर दो शिक्षक होना गलत है। अगर ऐसा है तो स्कूल का स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा। अटैच शिक्षिका को कहीं और तैनात किया जाएगा।
विनोद कुमार मिश्र
बीएसए, अमेठी
Source – hindustan newspaper