योगी सरकार ने दिया नए साल में ‘शिक्षकों’ को तोहफा, अब शहर में भी मिलेगी तैनाती
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो करीब 40 सालों में शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कभी सीधी भर्ती नहीं हुई. 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा 6 जनवरी को होनी है.
बेसिक शिक्षा विभाग में होने वाली 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में इस बार शहर के स्कूलों को भी शिक्षक मिलेंगे. बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने न्यूज18 से खास बातचीत में बताया कि इस बार शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थियों को ग्रामीण और नगर क्षेत्र दोनों का विकल्प दिया जाएगा. इस मामले में न्यूज 18 ने हाल ही में नगर क्षेत्र के शिक्षकों की कमी के मुद्दे को गंभीरता से उठाया था. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो करीब 40 सालों में शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कभी सीधी भर्ती नहीं हुई. 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती परीक्षा 6 जनवरी को होनी है.
इस भर्ती में अभ्यर्थियों को पहली बार शहरी क्षेत्रों में नियुक्ति का भी विकल्प मिलेगा. वहीं जहां तक बात अपर प्राइमरी स्कूलों की है तो विभाग वहां पर शिक्षकों की कमी को ट्रांसफर पॉलिसी से दूर कर सकता है. मालूम हो कि प्रदेश के नगर क्षेत्रों में इस समय 4516 प्राइमरी स्कूल हैं. लेकिन इनमें पढ़ाने वाले शिक्षक सिर्फ 3480 यानी इनमें 1036 स्कूल ऐसे हैं जिनके पास एक भी शिक्षक नहीं है.
जबकि 3480 स्कूल सिर्फ 1-1 शिक्षक के भरोसे हैं. वहीं अपर प्राइमरी स्कूलों में भी 1208 स्कूलों के लिए सिर्फ 1429 शिक्षक ही हैं. पिछली सरकारों से लेकर अब तक सहायक अध्यापकों की जो भी भर्तियां हुई वह सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए था. इतना ही नहीं विभाग के पास ऐसी कोई पॉलिसी भी नहीं कि ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों से नगर क्षेत्र में शिक्षकों को ट्रांसफर करके यहां शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सके.
पिछले कई सालों में सिर्फ 3 बार ही ग्रामीण क्षेत्रों से नगर क्षेत्रों में शिक्षकों का समायोजन और ट्रांसफर किया गया. इसके बाद 2016 में एक बार फिर ऐसा करने का शासनादेश तो हुआ लेकिन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही 2017 में विधानसभा चुनाव के चलते आचार सहिंता लागू होने से यह रुक गया. नगर क्षेत्र में शिक्षामित्रों के समायोजन से जो कमी पूरी हुई थी तो जुलाई 2017 में उन शिक्षामित्रों का समायोजन भी सुप्रीम के निर्देश पर रद्द हो गया.
मामला सिर्फ इतना ही नहीं। जिन स्कूलों में एक टीचर है या जहां एक टीचर दो-दो स्कूल संभाल रहे हैं वहां की स्थितियां काफी चौंकाने वाली हैं. एक टीचर को ही बच्चों को पढ़ाने और परीक्षा के अलावा जूते-मोजे, स्वेटर, यूनिफॉर्म, किताबें बांटने से लेकर मीड डे मील बंटवाने तक सारी व्यवस्था देखनी होती है. इसके अलावा कभी विभागीय बैठक तो कभी पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग.