उत्तर प्रदेश में बुधवार से शुरू हुई सरकारी कर्मचारियों व शिक्षकों की हड़ताल को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अवैध घोषित कर दिया है। इस संबंध में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि यह हड़ताल सरकारी कर्मचारियों के सेवा आचरण नियमों के खिलाफ है। वहीं, अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की वीडियोग्राफी करवाएं और नियमानुसार कार्रवाई करें।
इस मामले में अधिवक्ता राजीव मिश्रा ने याचिका दायर की थी। याची का कहना था कि इस समय यूपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू चुकी हैं। इनमें लाखों विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। सरकारी कार्य भी चल रहे हैं। इनके बीच अचानक हड़ताल की घोषणा कर दी गई। इसे 12 तारीख तक चलाया जा रहा है। जिससे समस्त व्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
प्रदेश सरकार ने इसे लेकर एस्मा लगा दिया है फिर भी हड़ताल की जा रही है। याची ने सुप्रीम कोर्ट के 1962 के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि आवश्यक अवसरों पर सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकते।
सुबह शुरू हुई सुनवाई के बाद जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा और जस्टिस अजय भनोट ने सरकार को दोपहर तक अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। याची के वकील अनुराग शुक्ला के अनुसार सरकार की ओर से बताया गया है कि एस्मा लगाया गया फिर भी करीब 10 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल पर हैं। मामले में एक अन्य जनहित याचिका दायर की गई है, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी।