स्कूलों में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने में हिमाचल देशभर में दूसरे नंबर पर रहा है। नीति आयोग के मानकों पर खरा उतरते हुए प्रदेश ने 100 में से 82 अंक हासिल किए हैं। वहीं केरल अब भी पहले पायदान पर काबिज है। केरल ने 100 में से 87 अंक प्राप्त किए हैं। यह खुलासा नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ है।
जल्द ही प्रदेश के शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा। नीति आयोग ने स्कूलों में दी जा रही शिक्षा को लेकर पूरे देश में सर्वे किया था। इसमें क्वालिटी एजुकेशन को परखा गया। नीति आयोग के सर्वे में हिमाचल के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थियों की 92.87 फीसद एनरोलमेंट दर्ज की गई, जबकि छह से 13 साल तक के केवल 0.21 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल से बाहर हैं। इसके अलावा वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 6.07 फीसद बच्चे स्कूल से बाहर पाए गए जो देश के सभी राज्यों से बेहतर है। इसमें हिमाचल को 100 फीसद अंक मिले हैं।
यही नहीं हिमाचल के स्कूलों में 95.75 फीसद शिक्षक पढ़ाने में पूरी तरह निपुण हैं और प्रशिक्षित हैं। यह शिक्षक शिक्षा का अधिकार अधिनियम के मापदंडों को पूरा कर रहे हैं। प्रदेश के 96.10 फीसद स्कूलों में शिक्षक पूरे हैं। हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए केंद्र सरकार की ओर से चलाए गए सभी कार्यक्रमों का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन किया जा रहा है। सीखने के प्रतिफल के तहत शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। वहीं स्कूलों में भी इसे लागू किया गया। 55 फीसद तक यह कार्य पूरा हो चुका है। इससे पहले भी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुका है।
क्वालिटी एजुकेशन में हिमाचल का दूसरे नंबर पर आना गर्व की बात है। शिक्षा विभाग ने प्रदेश में बेहतर कार्य किया है। प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा रही है। कुछ समय से क्वालिटी एजुकेशन पर ही फोकस किया गया है।