समन्वित बाल विकास परियोजना कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की मानदेय पर नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण सम्बन्धी शासनादेश जारी, देखें
Month: March 2023
समन्वित बाल विकास परियोजना कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की मानदेय पर नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण सम्बन्धी शासनादेश जारी, देखें
समन्वित बाल विकास परियोजना कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं की मानदेय पर नियुक्ति हेतु चयन प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण सम्बन्धी शासनादेश जारी, देखें
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Anganwadi Bharti: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 52 हजार रिक्त पदों पर भर्ती का रास्ता साफ
Anganwadi Bharti: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 52 हजार रिक्त पदों पर भर्ती का रास्ता साफ
लखनऊ। बाल विकास परियोजना कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की नियुक्ति में भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लयूएस) को आरक्षण का लाभ मिलेगा। शासन ने इन पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया का पुनर्निर्धारण करते हुए मंगलवार को आदेश जारी किया।
शासन ने जनवरी 2021 में 52 हजार पदों की भर्ती निकाली थी। उस समय ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान नहीं था। चयन समिति भी केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार नहीं बनी थी। नतीजतन मामला कोर्ट में गया और भर्ती फंसी गई। मंगलवार को विभाग की सचिव अनामिका सिंह ने नया शासनादेश जारी किया। इसमें एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण का प्रावधान कर दिया गया है। अब ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों को भर्ती में 10% आरक्षण मिल सकेगा। इससे दो साल से अटकी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। फिर न फंसे पेच
चयन समिति में पूर्व में निर्धारित सदस्यों के साथ बाल विकास परियोजना अधिकारी को भी सदस्य / प्रस्तुतकर्ता बनाया गया है। पूर्व में इन्हें शामिल नहीं किया गया था। जबकि केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार चयन समिति में बीडीओ व तहसीलदार को भी शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा न होने से एक बार फिर भर्ती में पेच फंस सकता है।
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अंशकालिक अनुदेशकों का जिले के अंदर किया जाएगा स्थानांतरण, नए विद्यालय के लिए अनुबंध नवीनीकरण की प्रक्रिया विभाग द्वारा तय की जाएगी, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनेगी समिति, ऑनलाइन होगी कार्यवाही
अंशकालिक अनुदेशकों का जिले के अंदर किया जाएगा स्थानांतरण
नए विद्यालय के लिए अनुबंध नवीनीकरण की प्रक्रिया विभाग द्वारा तय की जाएगी
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनेगी समिति, ऑनलाइन होगी कार्यवाही
लखनऊ। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशकों का जिले के अंदर स्थानांतरण (विद्यालय परिवर्तन) किया जाएगा। इसके लिए शासन की ओर से ऑनलाइन अनुबंध नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। प्रदेश में लगभग 26 हजार अंशकालिक अनुदेशक तैनात हैं।
शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद के 100 से अधिक नामांकन वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अनुदेशकों का जिले के अंदर नए विद्यालय में अनुबंध नवीनीकरण की नीति जारी की है। पहली बार यह कार्यवाही ऑनलाइन तीन चरणों में की जाएगी। इनका नए विद्यालय का अनुबंध नवीनीकरण कला शिक्षा से कला शिक्षा, शारीरिक व स्वास्थ्य शिक्षा से शारीरिक व स्वास्थ्य शिक्षा तथा कार्य शिक्षा से कार्य शिक्षा में ही किया जाएगा।
इसके लिए डीएम की अध्यक्षता वाली समिति बनाई जाएगी। इसमें सीडीओ उपाध्यक्ष, डायट प्राचार्य व समग्र शिक्षा के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी सदस्य तथा बीएसए बतौर सदस्य सचिव शामिल हैं। पहले चरण में 100 से कम छात्र नामांकन वाले विद्यालयों में खाली पदों के सापेक्ष प्रक्रिया पूरी की जाएगी। किसी विद्यालय में खाली पदों के सापेक्ष एक से अधिक आवेदन मिलने पर निर्धारित भारांक के अनुसार चयन होगा।
प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार के अनुसार दूसरे चरण में 100 से अधिक छात्र नामांकन वाले विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का जिले के अंदर स्थानांतरण किया जाएगा। इसके लिए अनुदेशकों को पांच विद्यालयों का ऑनलाइन विकल्प देना होगा। वहीं तीसरे चरण में 100 से अधिक छात्र नामांकन वाले विद्यालय के अनुदेशकों का पारस्परिक स्थानांतरण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन आवेदन के बाद अनुदेशक इसकी प्रति डाउनलोड कर खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दो प्रति में जमा करेंगे। इसकी रसीद उनको दी जाएगी। बीईओ आवेदन पत्र, भारांक व अभिलेख परीक्षण कर अपनी संस्तुति बीएसए को देंगे। बीएसए इस पर ऑनलाइन अपनी संस्तुति देंगे। इसके बाद अनुबंध नवीनीकरण के लिए गठित समिति परीक्षण कर इसे वेबसाइट पर अपलोड करेगी।
बिना पदोन्नत हुए एक ही पद पर 22 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले सभी परिषदीय शिक्षकों को 20% की सीमा समाप्त करते हुए प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने उठाई मांग
NCTE के द्वारा 23 अगस्त 2010 को जारी व्यवस्था / अधिसूचना के अनुक्रम में पदोन्नति प्रक्रिया सम्पन्न किए जाने हेतु जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का पत्र
यूपी : इस साल के अन्त तक 44000 से अधिक स्कूल और 75 ब्लॉक बनाए जाएंगे निपुण
🔴 योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को दिया लक्ष्य, 2024 से पहले इतने स्कूल बनेंगे निपुण
यूपी : इस साल के अन्त तक 44000 से अधिक स्कूल और 75 ब्लॉक बनाए जाएंगे निपुण
प्रदेश की बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को नया लक्ष्य दिया है। इसके तहत इस साल के अन्त तक प्रदेश में 44 हजार प्राइमरी विद्यालयों को निपुण विद्यालय का दर्जा हासिल करना होगा, साथ ही प्रत्येक जिले में एक निपुण ब्लॉक भी तैयार करना होगा। इस प्रकार से कुल 75 निपुण ब्लॉक बनाने का लक्ष्य दिया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बीते दिनों की गई समीक्षा में इस लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिए गए। निपुण भारत मिशन का उद्देश्य यह तय करना है कि देश में प्रत्येक बच्चा अनिवार्य रूप से 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त कर ले। यह मिशन, जिसे समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तत्वावधान में शुरू किया गया है, स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक पहुंच प्रदान करने और उन्हें स्कूल में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
निर्देशों के साथ ही रणनीति भी तय
बेसिक शिक्षा विभाग को दिए गए निर्देशों के अनुसार प्रत्येक एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) को दिसंबर तक 10 स्कूलों को निपुण बनाना होगा। इस तरह इस वर्ष के अन्त तक ही 44 हजार से ज्यादा स्कूलों को निपुण बनाना लक्ष्य है। इसी तरह शिक्षक संकुलों के लिए जुलाई 2023 तक अपने स्कूलों को निपुण बनाना अनिवार्य होगा। इसके माध्यम से 41 हजार से ज्यादा स्कूलों को निपुण बनाने का लक्ष्य है। यही नहीं प्रत्येक जिले में कम से कम एक ब्लॉक को भी निपुण बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
इस तरह दिसंबर 2023 तक 75 ब्लॉक को निपुण बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। निर्देशों के साथ-साथ टूलकिट भी तय की गई है। इसके तहत निर्देशिका में उल्लिखित लेसन प्लान को 100 प्रतिशत कक्षाओं में लागू करना होगा। निपुण तालिका के द्वारा 100 प्रतिशत स्कूल बेस्ड असेसमेंट पूर्ण करना होगा। साथ ही मेंटर्स के द्वारा स्पॉट असेसमेंट किया जाएगा, जबकि डायट स्टूडेंट्स द्वारा स्पॉट असेसमेंट सुनिश्चित किया जाएगा।
दाखिला रद्द कराने वाले छात्रों की फीस लौटाने के लिए विश्वविद्यालयों से UGC को 30 करोड़ रुपये मिले
दाखिला रद्द कराने वाले छात्रों की फीस लौटाने के लिए विश्वविद्यालयों से UGC को 30 करोड़ रुपये मिले
College Fee Refund : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को दिल्ली विश्वविद्यालय से करीब 17 करोड़ रुपये सहित देशभर के विश्वविद्यालयों से लगभग 30 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं जिसका इस्तेमाल 2022-23 अकादमिक सत्र के दौरान दाखिला रद्द कराने या विश्वविद्यालय बदलने वाले छात्रों की फीस वापस करने के लिए किया जाएगा।
यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में यह आंकड़ा साझा किया और कहा कि प्राप्त धनराशि 14,443 छात्रों को वितरित की जाएगी। कुमार ने कहा, ”बड़ी संख्या में छात्र आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्हें बेहतर विश्वविद्यालय में दाखिला लेने की आजादी होनी चाहिए लेकिन जब तक उन्हें पहले के विश्वविद्यालय से फीस वापस नहीं मिल जाती तब तक वह ऐसा नहीं कर पाते होंगे।”
उन्होंने कहा, ”हमें छात्रों से बड़ी संख्या में शिकायतें मिलीं और उसके आधार पर हमने विश्वविद्यालयों से बात की तथा यह सुनिश्चित किया कि फीस वापस की जाए। जाहिर तौर पर कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक खुद ही फीस वापस कर देते हैं लेकिन कई विश्वविद्यालयों के मामले में हमें हस्तक्षेप करना पड़ता है और अत: 12.14 करोड़ रुपये 832 छात्रों को वापस किए गए जिन्होंने केंद्रीय, राज्य, निजी या डीम्ड विश्वविद्यालयों में दाखिले लिए थे।”
यूजीसी ने पहले कहा था कि 31 अक्टूबर 2022 तक दाखिला रद्द कराने या अन्य विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की पूरी फीस वापस की जाए। इस तिथि के बाद 31 दिसंबर 2022 तक संस्थानों से कहा गया कि वे फीस में से 1,000 रुपये से ज्यादा की राशि नहीं काट सकते।
कुमार ने कहा, ”यूजीसी ने संस्थानों द्वारा इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के संबंध में शिकायतों तथा छात्रों एवं अभिभावकों द्वारा अदालतों में दायर मामलों को गंभीरता से लिया है। यूजीसी ने दोहराया है कि दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए और इनका उल्लंघन करने वाले संस्थान को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”
यूजीसी प्रमुख ने यह भी कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने अन्य विश्वविद्यालयों के लिए एक मिसाल कायम की है कि छात्रों की ऐसी शिकायतों से कैसे निपटा जाए और फीस लौटायी जाए। उन्होंने कहा, ”डीयू ने 13,611 छात्रों की फीस लौटायी है जो कि 16.95 करोड़ रुपये है। अत: यूजीसी को 14,443 छात्रों के 29.10 करोड़ रुपये मिले हैं।”