सहायक शिक्षक के 69 हजार पदों पर भर्ती मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को जब क्वालिफाइंग मार्क्स तय किये जाने से सम्बंधित मूल फाइल न्यायालय के समक्ष पेश की गई तो न्यायालय ने पाया कि फाइल के एक पन्ने को दूसरे पन्ने के ऊपर चिपका दिया गया है। न्यायालय ने पाया कि चिपके हुए नीचे के पन्ने पर कुछ नोटिंग है हालांकि वह पढने में नहीं आ रही। न्यायालय के पूछने पर राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने किसी प्रकार की छेड़छाड़ से इंकार किया। इस पर न्यायालय ने सरकार को एक मौका देते हुए कहा कि अगली सुनवाई पर इसका स्पष्टीकरण दिया जाए और उसी दिन न्यायालय उक्त फाइल के सम्बंध में फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मद ले सकती है। मामले की अग्रिम सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद रिजवान आदि की ओर से दाखिल कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। उल्लेखनीय है कि सहायक शिक्षक के 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए 6 जनवरी को लिखित परीक्षा हुई थी व परीक्षा के बाद 7 जनवरी को क्वालिफाइंग मार्क्स 60 व 65 प्रतिशत करने का शासनादेश जारी किया गया था। वर्तमान याचिकाओं में 7 जनवरी के इसी शासनादेश को चुनौती दी गई है।
दरअसल कुछ याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि 7 जनवरी का शासनादेश आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किये बगैर ही जारी कर दिया गया है। इस पर न्यायालय ने सरकार को क्वालिफाइंग मार्क्स का निर्णय लिये जाने सम्बंधी मूल फाइल पेश करने को कहा था ताकि न्यायालय जान सके कि उक्त निर्णय किस प्रकार लिया गया। न्यायालय के इसी आदेश के अनुपालन में सरकार की ओर से मूल फाइल पेश की गई जिसका अवलोकन करने पर न्यायालय ने पाया की पृष्ठ संख्या 42 के ऊपर पृष्ठ संख्या 43 चिपका दिया गया है। न्यायालय ने पाया कि पृष्ठ संख्या 42 पर कुछ नोटिंग है हालांकि ऊपर पृष्ठ संख्या 43 के चिपके होने के कारण वह पढने में नहीं आ पा रही थी। इस पर न्यायालय ने कहा कि कोर्ट की यह जानने में उत्सुकता है कि पृष्ठ संख्या 42 क्या है व उस पर क्या लिखा है और यह भी कि ऐसा क्यों किया गया।
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