69000 शिक्षक भर्ती में 70% आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी, बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को दिए जवाब में तथ्य आये सामने, 04 दिसम्बर को होनी है अहम सुनवाई
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत 29 फीसदी सीटों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। सबसे अधिक 45.80 प्रतिशत सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) 23.49 प्रतिशत सीटों पर अनुसूचित जाति, जबकि अनुसूचित जनजाति के मात्र .36 (दशमलव तीन छह प्रतिशत) अभ्यर्थियों का सेलेक्शन हुआ है। यानि कुल 69.64 या 70 प्रतिशत अभ्यर्थी आरक्षित जबकि 28.70 फीसदी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को दिए जवाब में ये तथ्य सामने आए हैं। इस शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी मामले की सुनवाई आयोग के नई दिल्ली कार्यालय में 4 दिसंबर को होनी है। 69000 पदों में 34500 पद अनारक्षित वर्ग के लिए निर्धारित थे। आयोग में दाखिल जवाब के अनुसार सामान्य वर्ग के 19805,ओबीसी के 31605, एससी के 16212 जबकि एसटी वर्ग के मात्र 245 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है।
एसटी वर्ग के पर्याप्त अभ्यर्थी नहीं मिलने के कारण इस कैटेगरी के लिए आरक्षित पदों में से 1133 खाली रह गए। बड़ी संख्या में ओबीसी और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने हाई मेरिट हासिल की जिससे उनका चयन भी नियमानुसार अनारक्षित वर्ग में हुआ।
68500 की पहली लिस्ट में 62% थे आरक्षित वर्ग के इससे पहले 2018 में शुरू हुई 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की पहली लिस्ट में 62 प्रतिशत अभ्यर्थी आरक्षित वर्ग के थे। 13 अगस्त को घोषित परिणाम में 41566 अभ्यर्थी सफल हुए थे। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डॉ . प्रभात कुमार ने अपने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी थी कि 41566 अभ्यर्थियों में से 15772 (37 .95 या 38 प्रतिशत) सामान्य, 19168 (46 .12 या 46 प्रतिशत) ओबीसी, 6616 (15.92 या 16 फीसदी) एससी/एसटी वर्ग के अभ्यर्थी थे।