चुनाव से ठीक पहले नरेंद्र मोदी सरकार दलित-आदिवासियों और ओबीसी को साधने की कवायद में है. प्रधानमंत्री आवास पर गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में 13 प्वॉइंट रोस्टर को पलटकर 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम लागू करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई. माना जा रहा है कि मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में यह आखिरी कैबिनेट बैठक है।
मोदी सरकार ने 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम की जगह आरक्षण के पुराने 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को बहाल करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. SC/ST/OBC को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पुराने सिस्टम के हिसाब से आरक्षण को बहाल करने को मंजूरी दी गई है. साथ ही 50 नए केंद्रीय विद्यालय बनाने को भी कैबिनेट की मंजूरी दी गई है.
विश्वविद्यालयों की नौकरियों में दलित, आदिवासियों और ओबीसी के लिए आरक्षण लागू करने के नए तरीके 13 प्वॉइंट रोस्टर के लेकर मोदी सरकार के खिलाफ लगातार विरोध जारी है. दलित-आदिवासियों और ओबीसी संगठनों ने पांच मार्च को भारत बंद किया था. इनकी मांग है कि 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम को लागू किया जाए.
13 प्वॉइंट रोस्टर को लेकर बढ़ती नाराजगी को देखते हुए मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉफ्रेंस करके भरोसा दिलाया था कि सरकार इस मसले पर गंभीर है और अध्यादेश लाने के बारे में विचार कर रही है. उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार हमेशा सामाजिक न्याय के पक्ष में है. सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद हमने अध्यादेश लाने का फैसला किया है.
बता दें कि जनवरी 22 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम हटाने के आदेश दिए थे. इसकी जगह 13 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम लागू करने को कहा गया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाया था, जिसे कोर्ट ने रिजेक्ट कर दिया.
इसके बाद से दलित-ओबीसी और आदिवासी संगठन 13 पॉइंट रोस्टर को लेकर विरोध कर रहे हैं. इनकी मांग है कि 200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम को लागू किया जाए.
दरअसल, 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम के तहत पूरी यूनिवर्सिटी को एक यूनिट की तरह देखा जाता है. इस नियम के तहत 200 पदों में से 99 पद एससी(SC) एसटी(ST) और ओबीसी (OBC) के लिए आरक्षित और बची 101 सीटें अनारक्षित होती थी. लेकिन, 13 प्वॉइंट रोस्टर तहत यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट को एक यूनिट के रूप में स्थापित किया जाता है. इसके तहते हर विभाग के लिए निकलने वाली नौकरियों को आरक्षण के दायरे में रखा जाता है. इस नियम के तहत दलित और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटें कम हो जाती है।