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UP में कांवड़ियों की सेवा करेंगे बेसिक के टीचर ! आदेश वायरल होने पर BSA की सफाई

https://youtu.be/UThG68ETEs8

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक आदेश पर विवाद हो गया . दरअसल कांवड़ यात्रा में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के फरमान के बाद सवाल उठ रहे हैं . विवाद के बाद बीएसए को सफाई देने आना पड़ा।

जिस फरमान को कड़ाई से पालन करने का लिखित आदेश आया था , बाद में उसे ही स्वैच्छिक सेवा बताया गया , लेकिन सवाल है कि जनगणना , पोलियो ड्रॉप पिलाने के बाद क्या अब शिक्षक कांवड़ियों की सेवा भी करेंगे ? तो फिर बच्चों को पढ़ाएंगे कब ?

लखीमपुर खीरी जिले में गोला गोकरननाथ में पड़ने वाले पौराणिक शिव मंदिर पर सावन के हर सोमवार को उमड़ने वाली कांवड़ियों की भीड़ की सेवा में बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक और अध्यापिकाओं की ड्यूटी लगाई गई है . गोला कस्बे में सावन के हर सोमवार को कांवड़ियों की हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठा होती है , जिसके चलते हर साल गोला कस्बे के करीब 3 किलोमीटर के दायरे के सभी स्कूल कॉलेज प्रत्येक सोमवार को बंद कर दिए जाते हैं।

इस बार कांवड़ियों की सेवा के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित 3 किलोमीटर के दायरे में पढ़ने वाले सभी स्कूल के शिक्षक – शिक्षिकाओं की ड्यूटी कांवड़ियों की सेवा में वॉलिंटियर्स के तौर पर लगाई गई है . गोला तहसील के एसडीएम ने 6 जुलाई 2022 को एक आदेश जारी किया था , जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग से अनुरोध किया गया था कि सावन के महीने में पढ़ने वाले हर सोमवार को कस्बे के 3 किलोमीटर के दायरे में सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद रखे जाएं।

साथ ही उनमें तैनात शिक्षक – शिक्षिकाओं की ड्यूटी वॉलिंटियर्स के तौर पर कांवड़ियों की सेवा में लगाई जाए , जिसका अनुपालन करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने 15 जुलाई 2022 को गोला कस्बे में 3 किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले सभी स्कूलों के शिक्षक और शिक्षकों की ड्यूटी वॉलिंटियर्स के तौर पर लगा दी है।

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए शिक्षक शिक्षिकाओं के वॉलिंटियर्स के तौर पर कांवड़ियों की सेवा में ड्यूटी लगाए जाने के आदेश के वायरल होने के बाद लखीमपुर खीरी जिले के बीएसए लक्ष्मी कांत पांडे ने आज तक से बातचीत करते हुए बताया कि गोला कस्बे में पढ़ने वाले शिव मंदिर के 3 किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले सभी स्कूलों के शिक्षक और शिक्षिकाओं को वॉलिंटियर्स के तौर पर लगाने की बात कही गई है , लेकिन कोई बाध्यता नहीं है।

बीएसए लक्ष्मी कान्त पांडेय ने कहा ,

“हमने यह लिख रखा है कि वॉलिंटियर्स के रूप में ही अध्यापक काम करेंगे , शायद किसी को कन्फ्यूजन हुआ है , यह स्वैच्छिक है और कोई कंपलसरी नहीं है किसी के लिए“।

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