कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए 50 दिन चलेगा रेमेडियल शिक्षा कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6 से 8 तक) में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अब 50 दिन का सुधारात्मक शिक्षण कार्यक्रम (Remedial Education Program) शुरू होगा.

कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए 50 दिन चलेगा रेमेडियल शिक्षा कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6 से 8 तक) में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अब 50 दिन का सुधारात्मक शिक्षण कार्यक्रम (Remedial Education Program) शुरू होगा.

 

कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए 50 दिन चलेगा रेमेडियल शिक्षा कार्यक्रम

 

उत्तर प्रदेश में उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6 से 8 तक) में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अब 50 दिन का सुधारात्मक शिक्षण कार्यक्रम (Remedial Education Program) शुरू होगा.

Lucknow:- बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6 से 8 तक) में पढ़ने वाले बच्चों को अब 50 दिन की सुधारात्मक शिक्षण कार्यक्रम (Remedial Education Program) शुरू करने जा रहा है. इसके तहत इन कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के स्किल को बेहतर करने का काम किया जाएगा. फिलहाल विभाग हिंदी और गणित विषय के लिए यह कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी की है. इस कार्यक्रम के तहत तीनों कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का हिंदी और गणित विषय में वास्तविक मानसिक स्तर को जानने के लिए एक बेस लाइन आकलन विभाग की ओर से किया जाएगा. इसमें विद्यार्थियों से पूर्व की कक्षा में सीखें चीजों के आधार पर प्रश्न पूछे जाएंगे. उनका सही-सही आंकलन हो सकेगा.

50 दिनों तक नियमित रूप से बच्चों को विद्यालय भेजना होगा: महानिदेशक बेसिक शिक्षा विजय किरण आनंद की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के बेसलाइन आंकलन तैयार करने के लिए अभिभावकों के साथ शिक्षकों को बैठक कर आंकलन के आधार पर परिणाम तैयार कर उन्हें बताना होगा. इसके लिए अगले 50 दिनों तक नियमित रूप से बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए अभिभावकों से सहमति लेनी होगी. इन 50 दिनों में शिक्षक विद्यार्थियों की शुरुआती गलतियों को दूर करने के साथ उनके ज्ञान के स्तर को बढ़ाने की कोशिश करेंगे. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के संबंधित विषय में दक्ष बनाना है.

 

 

सुधारात्मक शिक्षक कार्य का मुख्य उद्देश्य

– विद्यार्थियों की भाषा संबंधी अशुद्धियों को दूर करना.

– विद्यार्थियों की ज्ञान को बढ़ाने के लिए सभी तरह की कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करना.

– विद्यार्थियों के समस्याओं का समाधान करके उनको और समायोजन से बचाना तथा उनके मानसिक रूप से स्वस्थ व प्रतिस्पर्धा बनाना.

– विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर करना.

– विद्यार्थियों को भाषा संबंधित गलतियों से परिचित कराना व वह भाषागत गलतियों को दूर कैसे करें इसके लिए उन्हें प्रेरित करना.

 

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