Budget 2019 को लेकर सूत्रों की मानें, तो आम चुनाव 2019 से कुछ ही समय पहले पेश किए जाने वाले इस बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली आम आदमी, यानी मध्यम वर्ग को खासी राहत दे सकते हैं
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Govt) का अगला और आखिरी बजट (Budget 2019)पिछले दो साल की तरह 1 फरवरी को ही पेश होने जा रहा है, और अगर सूत्रों की मानें, तो आम चुनाव 2019 से कुछ ही समय पहले पेश किए जाने वाले इस बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) आम आदमी, यानी मध्यम वर्ग को खासी राहत दे सकते हैं. बताया जा रहा है कि चुनावी बजट होने के अलावा इस फैसले में इस सच्चाई का भी दखल है कि कुछ ही वक्त पहले BJP तीन अहम राज्यों में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवा चुकी है, और अब उनके पास मध्यम वर्ग को साधने के अलावा ज़्यादा विकल्प शेष नहीं हैं. इसी उद्देश्य से कुछ ही दिन पहले अफरातफरी में केंद्र सरकार ने सवर्ण जातियों के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक भी पारित करवाया था.
इस नए कानून में आरक्षण का हकदार होने के लिए जिन शर्तों का उल्लेख था, उनमें से एक यह भी था कि अभ्यर्थी की वार्षिक आय आठ लाख रुपये सालाना से ज़्यादा न हो. लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की कड़ॉी आलोचना की, क्योंकि इनकम टैक्स की मौजूदा दरों के मुताबिक, आठ लाख रुपये की आय वालों से 20 फीसदी आयकर वसूला जाता है. विपक्ष का कहना था कि जो शख्स अपनी कमाई का पांचवां हिस्सा इनकम टैक्स के रूप में सरकार को दे रहा है, वह आर्थिक रूप से कमज़ोर कैसे माना जा सकता है, या दूसरे शब्दों में जिसे सरकार आरक्षण कानून में ‘गरीब’ बता रही है, उससे वह 20 फीसदी टैक्स कैसे ले सकती है.