परिषदीय शिक्षकों की भौतिक सेवा पुस्तिकाओं की वैधता समाप्त, मात्र ऑनलाइन सर्विस बुक ही मान्य होने सम्बन्धी आदेश जारी

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सात माह से वेतन से वंचित नवनियुक्त शिक्षकों के जल्द खत्म होंगे गरीबी के दिन

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अब बुजुर्गों को भी मिलेगा मिड डे मील, सरकार ने योजना को दिया अंतिम रूप

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पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा ना करवाए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की धमकी

पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा ना करवाए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की धमकी

सचिवालय व राज्य कर्मियों पर सरकार मेहरबान, जबकि पंचायत चुनाव में सर्वाधिक मुख्य भूमिका निभाने वाले शिक्षक स्वास्थ्य बीमा का पैसा देने को तैयार, फिर भी अधिकारी नहीं करवा रहे शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश (प्राथमिक संवर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष अजीत अजीत सिंह जी ने कहा कि बेसिक का शिक्षक क्यों नहीं हो सकता राज्य कर्मचारी। उन्होंने यह भी कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में ही भेदभाव पूर्ण दोहरी व्यवस्था क्यों? इससे यह सिद्ध होता है कि अधिकारी कैसे चालाकी से अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं?

प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह जी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्य उद्देश्य है विद्यालय संचालन के द्वारा आम जनमानस के बच्चों को शिक्षित करना। बेसिक शिक्षा परिषद के उद्देश्यों को अमलीजामा पहनाने की मुख्य जिम्मेवारी शिक्षक व विद्यालय स्टाफ की होती है। विद्यालय संचालन में मदद करने हेतु अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। अब यहीं पर खेल शुरू होता हैं। हमारा शिक्षक परिषदीय कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें न्यूनतम सुविधाएं दी जाती है। जबकि विभाग में शिक्षकों की सेवा व मदद हेतु स्थापित कार्यालयों में नियुक्त अधिकारी, बाबू, अनुचर को राज्य कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें कैशलेस चिकित्सा, विभिन्न प्रकार के भत्ते, वाहन, आवास तथा अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यदि इन अधिकारियों, बाबू व अनुचरों को भी परिषदीय कर्मचारी ही बनाए रखा जाता तो क्या दिक्कत थी। अब कोई बताए परिषद में शिक्षकों के साथ ही सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।

*यह मांग करते हुए प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा इस मांग की पैरवी लगातार की जा रही है पर अधिकारियों द्वारा लगातार शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया जा रहा है। यदि संगठन की इस मांग को शीघ्र ही ना माना गया तो राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश कोरोना काल में भी जमीनी आंदोलन करने को विवश होगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।

बेसिक शिक्षा परिषद विद्यालयों में सेवारत शिक्षकों जिनका चयन परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज द्वारा 01/04/2005 से पूर्व विज्ञापित पदों पर हुआ है, उनको पुरानी पेंशन नीति से आच्छादित किए जाने के संबंध में

Regarding covering the old pension policy for teachers serving in Basic Education Council schools, who have been selected on the posts advertised before 01/04/2005 by the exam regulatory authority Prayagraj.

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