बेसिक शिक्षा विभाग:- पूरा देश है बंद तो यूपी को इतनी जल्दी क्यों, देखें बेसिक शिक्षकों को 1 जुलाई से विद्यालय उपस्थित होने संबंधी अमिताभ अग्निहोत्री की रिपोर्ट
*कुरौना काल में जब बच्चे ही स्कूल नहीं आएंगे तो शिक्षक को बुलाने का क्या मतलब*
शिक्षक समाज का दर्पण है महामारी के विपरीत परिस्थितियों में विद्यालय खोलने का आदेश सुरक्षात्मक दृष्टि से उचित नहीं।
सामूहिक हित के लिए सभी शिक्षक और सभी शिक्षक संगठन चिंतित है, सभी लोग एक सुर में एक ही आवाज उठा रहे हैं कि इस महामारी के दौर में परिषदीय विद्यालय अभी ना खोले जाएं।
आम शिक्षक जो दूरदराज के विद्यालयों में सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पहुंचता है कोविड-19 महामारी के शिकार होने का बहुत ही आसान माध्यम बन सकता है अतः विद्यार्थी , विद्यार्थियों के अभिभावकों,शिक्षकों के परिवार ,समाज की सुरक्षा हेतु यह अति आवश्यक है की सरकार सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए 1 जुलाई से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय ना खोलें।
सुरक्षित परिस्थितियों में शिक्षक मांगे गए सभी आंकड़े ऑनलाइन विभाग को उपलब्ध कराता रहा है आगे भी कराता रहेगा जब तक की स्थितियां सामान्य नहीं हो जाती………………………… महामारी की विषम परिस्थितियों में एक ओर जहां सोशल डिस्टेंसिंग ,सैनिटाइजेशन ,साफ सफाई इत्यादि की बात कही जा रही है वही बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय शहर में ना होकर गांव के दूर-दराज इलाकों में होते हैं जहां तक पहुंचने के लिए अधिकतर शिक्षकों के पास निजी वाहन नहीं होते वह बस टैक्सी ,ट्रेन के माध्यम से और कुछ शिक्षक मिलकर वैन को किराए पर लेकर दुरूह इलाकों में स्थित विद्यालय तक पहुंचते हैं…. जो एक सामान्य बात है।
परंतु महामारी के इस विषम समय यह बिल्कुल भी संभव नहीं कि सार्वजनिक संसाधनों में जाने के बाद सामाजिक दूरी का पालन हो सकेगा और शिक्षक संक्रमण से सुरक्षित नहीं रह पाएंगे।
कोरोना महामारी कि इन विषम परिस्थितियों में बहुत से विद्यालय कोरेंटाइन सेंटर बनाए गए थे….. जिनका सेनेटाईजेशन अभी पूर्ण नहीं हुआ है।
दिन प्रतिदिन करोना मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है जिसके तहत हम रोज ही समाचार के माध्यम से बीआरसी में मानव संपदा की फीडिंग को सही कराने पहुंचे शिक्षकों को किसी न किसी ब्लॉक में संक्रमित पा रहे हैं ।
चुकीं शिक्षक जिले के विभिन्न इलाकों से होता हुआ विद्यालय और बीआरसी तक पहुंच रहा है और यह गतिविधि महीनों से जारी है फिर भी किसी एक भी शिक्षक की त्रुटि में संशोधन नहीं हो पा रहा।
शिक्षक ,शिक्षार्थी ,परिवार ,समाज और देश यह सब आपस में एक सूत्र से बंधे हुए सामाजिक
तंत्रिया हैं और यदि इनमें से शिक्षक ही कॉरोना महामारी से ग्रसित हो कर वाहक हो जाएगा तो आप कल्पना कर सकते हैं कि उसके संपर्क में आने वाले कितने लोग प्रभावित होंगे और इस तरह कहीं ना कहीं अनजाने में अपने समाज ,अपने देश को covid-19 संक्रमण को समर्पित करने जा रहे हैं ।
अतः नीति निर्माताओं से आम शिक्षकों का यह अनुरोध है कि 1 जुलाई से परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक बिना शिक्षार्थी के जा कर बैठे और गांव वालों से कागज एकत्र करें इस आदेश पर पुनर्विचार कर निरस्त करें तथा जब तक महामारी की परिस्थितियां सामान्य नहीं हो जाती तब तक मांगे गए आंकड़े ऑनलाइन स्वीकृत करें।
अनुरोध आम शिक्षक