69000 सहायक अध्यापक भर्ती के अवशेष रिक्त पदों को भरने की तैयारी शुरू, 69000 शिक्षक भर्ती पूरा कार्यक्रम देखें Assistant Teacher Vacancy Program 2021
बेसिक शिक्षा परिषद में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में रिक्त रहे पदों पर प्रतीक्षा सूची से भरा जाएगा। करीब 5 हजार से अधिक अभ्यर्थियों को 30 जून को नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंजूरी के बाद शासन ने कार्यक्रम जारी किया है
एनआईसी की ओर से चयन और जिला आवंटन की सूची 26 जून को जारी की जाएगी। 28 से 29 जून तक जिलों में काउंसलिंग और दस्तावेजों की जांच होगी। 30 जून को नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे।
69000 शिक्षक भर्ती में नवनियुक्त बी.एड. डिग्री धारकों को ब्रिज कोर्स, नियुक्ति की तिथि से मात्र 2 वर्ष के भीतर पूर्ण करना अति आवश्यक है। चूंकि अगले वर्ष,2022 में उ.प्र. विधानसभा चुनाव हैं।
👉दो चरणों में पुर्ण हुई 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थी को लगभग 6 से 9 महीने हो चुका है,और 6 माह का ब्रिज कोर्स नियुक्ति कि तिथि से 2 वर्ष के भीतर ही पूर्ण करनी है। 👍🏻इसका तात्पर्य यह है कि ब्रिज कोर्स दोनों चरणों में अलग-अलग अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति की तिथि से डेढ़ साल=1वर्ष 6 माह के भीतर ही शुरू कर देनी होगी,तभी यह कोर्स 2 वर्ष के भीतर पुर्ण हो सकेगा, ☠️ अगर 1 वर्ष 6 माह से 1 दिन भी अधिक हुआ। तो समस्त चयनित बीएड डिग्री धारकों के ऊपर संकट के तलवार लटक जाएगी।
🙏🏻अतः आप सभी सम्मानित शिक्षक गण वक्त की नजाकत और भविष्य की कठिनाईयों से बचने के लिए अभी से अपने स्तर से प्रयास करना शुरू करें,ताकि उ.प्र. सरकार अतिशीघ्र ब्रिज कोर्स शुरू करें, ताकि हम नवनियुक्त अध्यापक/अध्यापिकाओं की भविष्य सुरक्षित हो सके। 📎कृपया अधिक से अधिक Share किजिए धन्यवाद
(भारत सरकार का राजपत्र संलग्न है) 👇
69000 शिक्षक भर्ती में नवनियुक्त बी.एड. डिग्री धारकों को ब्रिज कोर्स
69000 शिक्षक भर्ती में 5,844 सीटों पर धांधली- पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट, सरकार से मांगा जवाब
यूपी में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट में 5,844 सीटों पर आरक्षण घोटाला सामने आया है. इस पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. लेकिन योगी सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा कराई गई 2019 की शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाला सामने आया है, जिसमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने योगी सरकार से 15 दिन के भीतर जवाब मांगा तो सरकार ने जवाब भी नहीं दिया है, 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट में 5,844 सीटों पर आरक्षण घोटाला सामने आया है. इस पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. लेकिन योगी सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है.
मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 69,000 पदों पर भर्ती के लिए ‘सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019, परीक्षा आयोजित की गई थी. भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के संबंध में अत्यधिक अनियमितताएं की गईं, जिसके फलस्वरुप पिछड़े वर्ग के हजारों अभ्यर्थी आरक्षण के लाभ पाने से वंचित हो गए.
शिकायतकर्ता ने उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षकों के चयन में, आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया है. शिकायतकर्ता ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में 69,000 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की अधिसूचना के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था. जिसमें राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए ‘उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर सर्विस रूल, 1981’ के अनुसार, आरक्षण को राज्य में लागू कानूनों और प्रावधानों के अनुसार चयन प्रक्रिया पर लागू किया जाना था.
इसके बाद भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को आयोजित की जानी सुनिश्चित की गई थी, 1 मई 2020 को अंतिम चयन जारी की गई. शिकायतकर्ताओं के अनुसार अंतिम चयन सूची जो 1 मई 2020 को प्रकाशित की गई है उसमें आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवंटित सीटें, अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गईं. आरक्षण के नियमों का उल्लंघन किया गया था, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने आयोग से संपर्क किया.
इसके बाद पिछड़ा वर्ग आयोग ने जांच की, जिसमें आयोग को अनियमितताएं मिलीं, इसे लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग ने यूपी सरकार को 15 दिन में जवाब देने को कहा था, लेकिन अभी तक सरकार ने जवाब नही दिया है.
इसे लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह यादव ने कहा है ”उत्तर प्रदेश में यूं तो योगी आदित्यनाथ सरकार ज्यादातर भर्तियां कर ही नहीं पाई है, जो भर्ती हुईं भी हैं उसमें भ्रष्टाचार हुए हैं. 69 हज़ार की भर्ती में भी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस बात को माना है कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ों का हक मारा गया है. 27 फीसद आरक्षण योगी सरकार ने नहीं दिया है. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछड़ों, दलितों का हक मारा है ।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति पा चुके 69000 शिक्षक भर्ती में नियुक्त सभी शिक्षकों की नियुक्ति से संकट अब हमेशा के लिए टल गया है क्योंकि परीक्षा कराने वाली संस्था को कोर्ट से उत्तर कुंजी विवाद पर बड़ी जीत मिली है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आंसर की पर दायर समस्त याचिकाओं को एक सिरे से खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आजकल संस्थाओं द्वारा जारी आंसर की को चुनौती देना एक फैशन सा बन गया है जैसे ही परीक्षा संस्था उत्तर कुंजी जारी करती है उस पर बिना वजह याचिकाएं दायर कर दी जाती हैं ऐसा ही 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में हुआ है साथ ही कोर्ट ने परीक्षा संस्था को आगे की परीक्षाओं में प्रश्नोत्तरी तैयार करने में अधिक सतर्कता बरतनी को कहा है।
69000 शिक्षक भर्ती पर इन्हीं विवादों के चलते आज तक पूर्ण पदों पर भर्ती नहीं हो पाई है। अब तक तकरीबन मात्र 64000 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं सरकार को मिली इस जीत के बाद अब अगले चरण की तीसरी काउंसलिंग कराने का विचार है जिसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं जल्द ही तीसरी काउंसलिंग करा कर शिक्षकों को नियुक्ति दे दी जाएगी।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी मानी है। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार की ओरसे प्रस्तुत जिलावार सूची का उद्धरण यह दर्शाता है कि अनारक्षित उम्मीदवारों को आरक्षित उम्मीदवारों के बजाय नियुक्तियां दी गई हैं। चयन प्रक्रिया में आरक्षण नीति का घोरउल्लंघन हुआ है। आयोग के समक्ष राज्य का उत्तर विरेधाभासों से भरा हे और यह संदेश व अनुमानों पर आधारित है। वर्तमान चयन प्रक्रिया में आरक्षण नियमों को कैसे और किस तरह से लागू किया गया है, यह दिखाने में राज्य विफल रहा है। अंतिम सूची में चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख नहीं किया गया। हालांकि जब सूचियों को जिलेवार प्रकाशित किया गया था, तब चयनित उम्मीदवारों की श्रेणी का उल्लेख किया गया था।