नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर कम होने के बाद भले ही कुछ राज्यों ने नौवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के लिए स्कूलों को धीरे-धीरे खोलने का एलान किया हो, लेकिन आइसीएमआर ने उच्चतर शिक्षा के बजाय प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाई पहले शुरू करने की सलाह दी है।
आइसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव चौथे सीरो सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि बड़ों की तुलना में बच्चों पर कोरोना का प्रभाव कम पड़ता है। उच्चतर कक्षाओं के बजाय प्राथमिक कक्षाओं को पहले शुरू करने की वैज्ञानिक वजह बताते हुए डाक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना वायरस जिस एस रिसेप्टर के सहारे शरीर की कोशिकाओं से जुड़ता है, वह बच्चों में कम होता है। इसीलिए संक्रमित होने के बावजूद बच्चों पर उसका प्रतिकूल असर कम दिखता है। उन्होंने कहा कि चौथे सीरो सर्वे की रिपोर्ट से भी यह साबित होता है। डाक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि कोरोना की पहली लहर से लेकर तीसरी लहर तक यूरोप के कई देशों, जिसने स्कैंडिनेवियाई देश भी शामिल हैं, ने प्राथमिक स्कूलों को बंद नहीं किया और वहां लगातार कक्षाएं चलती रहीं। भारत में प्राथमिक कक्षाओं को पहले शुरू करने की सलाह देते हुए उन्होंने शिक्षकों समेत सभी स्टाफ को वैक्सीन का दोनों डोज अनिवार्य रूप से देने को कहा। उन्होंने स्कूलों और बच्चों को ले जाने वाली बसों में प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करने की सलाह दी।