प्राइमरी के अध्यापक बन गए जीआइसी के प्रधानाचार्य, जबकि यह है नियम

नियम है कि राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य वही शिक्षक बन सकते हैं, जिन्हें इंटर कालेज में कम से कम तीन वर्ष पढ़ाने का अनुभव हो। अनुभव प्रमाण पत्र संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा सत्यापित होना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश लॉकसेवा आयोग की पीसीएस-2018 की भर्ती में ऐसे शिक्षक भी प्रधानाचार्य पद पर चयनित हो गए, जो प्राइमर्ण में अध्यापक थे। कुछ की आयुसीमा व अनुभव भी कम था। आयांग की सारी दलीलें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दीं। अब आयोग को नए सिरे से प्रधानाचार्य पद की भर्ती करनी होगी। उत्तर प्रदेश लॉकसेवा आयोग ने पीसीएस-2018 के तहत अलग-अलग पदों की 988 रिक्तियों की भर्ती निकाली थी। इसमें राजकीय इंटर कालेज में प्रधानाचार्य के 83 पद शामिल थे। अंतिम परिणाम 11 सितंबर, 2020 को जारी हुआ। 976 अभ्यर्थी सफल हुए। मुख्य परीक्षा में 75 अभ्यर्थी चयनित हुए। चयनितों में 33 का सशर्त चयन किया गया था। भर्ती में गड़बड़ी का अंदेशा होने पर अभ्यर्थी अशोक कुमार ने जलालपुर आंबेडकरनगर के खंड शिक्षाधिकारी से आरंटीआइए के तहत एक अभ्यर्थी के बारे में जानकारी मांगी। उन्हें 10 नवंबर 2020 को जवाब मिला तो पता चला कि प्राथमिक विद्यालय मगुरडिला, विकास खंड जलालपुर व जिला आंबेडकरनगर में कार्यरत सहायक अध्यापक का चयन हो गया।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.