प्रॉजेक्ट अलंकार : एडेड कॉलेजों में सूरत संवारने का रास्ता होगा साफ, स्कूल प्रबंधतंत्र को नहीं देनी होगी 50 फीसदी मैचिंग ग्रांट !
लखनऊ: जल्द ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों की सूरत संवारने का रास्ता साफ होगा। प्रॉजेक्ट अलंकार के तहत मरम्मत और निर्माण कार्य के अव प्रबंधतंत्र को 50 फीसदी मैचिंग ग्रांट नहीं देनी होगी। उच्च स्तरीय वैठकों में सहमति बनने के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग से इसके लिए प्रस्ताव मांगा गया है। मैचिंग ग्रांट के कारण ही प्रबंधतंत्र आवेदन नहीं कर रहे थे। कुछ ने आवेदन किए, उन्होंने भी निर्माण में रुचि नहीं ली।
₹300 करोड़ बजट : कई राजकीय और एडेड कॉलेजों के भवन बहुत पुराने हैं। इनमें से कई तो काफी जर्जर हालत में हैं। खासतौर से एडेड कॉलेजों में शिक्षकों के वेतन के अलावा कोई अन्य अनुदान सरकार नहीं देती थी। फीस इतनी कम है कि उससे भी निर्माण और मरम्मत करवाना मुश्किल है। इसे देखते हुए विद्यालयों की सूरत संवारने के लिए सरकार ने प्रॉजेक्ट अलंकार की शुरुआत की पिछले वजट सत्र में प्रॉजेक्ट अलंकार के लिए 300 करोड़ रुपये के वजट का भी प्रावधान किया। इसमें से 100 करोड़ राजकीय विद्यालयों के लिए और 200 करोड़ एडेड विद्यालयों के लिए रखे गए थे।
एडेड कॉलेजों के लिए यह शर्त रखी गई कि जितने का निर्माण कार्य होगा, उसका 50 फीसदी धनराशि सरकार देगी और 50 फीसदी कॉलेज प्रबंधतंत्र वहन करेंगे। राजकीय में चूंकि प्रबंधन खुद सरकार का ही होता है, इसलिए वहां पूरी धनराशि देने का प्रावधान किया गया।
मांगा गया प्रस्ताव
इस समस्या को ध्यान में रखते हुए हाल ही में स्कूल शिक्षा महानिदेशक, प्रमुख सचिव और शिक्षा मंत्री के स्तर से हुई बैठकों में मैचिंग ग्रांट को खत्म करने पर सहमति बनी। बैठक कहा गया कि या तो मैचिंग ग्रांट पूरी तरह खत्म कर दी जाए या फिर नाम मात्र की टोकन के तौर पर ली जाए। शिक्षा निदेशालय को इस बाबत प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया है।
प्रॉजेक्ट अलंकार के काम में तेजी लाने के लिए स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने सात दिसंबर को शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ ही सभी सीडीओ के साथ एक बैठक भी बुलाई है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव का कहना है कि मैचिंग ग्रांट के कारण एडेड कॉलेज रुचि नहीं ले रहे हैं। जल्द ही शासन स्तर से इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा ।
45 आवेदन आए, वे भी तैयार नहीं
इसी सत्र की शुरुआत से निर्माण कार्य और मरम्मत के काम के लिए आवेदन मांगे। करीब 150 राजकीय कॉलेजों ने आवेदन किए। इनको 20-20 लाख रुपये की पहली किस्त जारी भी की गई। वहीं, एडेड विद्यालयों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई। कई बार निर्देश देने और प्रधानाचार्यों के साथ बैठकें करने के बावजूद महज 45 विद्यालयों ने आवेदन किए। बाद में उन्होंने भी 50 फीसदी मैचिंग ग्रांट देने में आनाकानी की और कहीं भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।