राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई को 5+3+3+4 के फॉर्मूले के तहत चार चरणों में बाँटा गया है। पहले पाँच साल को फाउंडेशन स्टेज माना जा रहा है, जिसमें तीन साल की प्रारंभिक बाल्यवस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) को भी शामिल किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में प्रारंभिक बाल्यवस्था में देखभाल और शिक्षा को इतना महत्व देना एक उल्लेखनीय बात है।
इसका लक्ष्य है कि जब पहली कक्षा में किसी बच्चे का नामांकन हो तो ‘स्कूल जाने के लिए पूरी तरह तैयार’ हो। यानि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ‘स्कूल रेडिनेस’ को एक जरूरत की तरह देखती है। इसके साथ ही साथ ‘स्कूल रेडिनेस’ वाले कार्यक्रम बनाने और क्रियान्वित करने की तरफ संकेत भी करती है। इसे एक सकारात्मक क़दम कहा जा सकता है। ज़मीनी सच्चाइयों के मद्देनज़र यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन अच्छी बात है कि भारत में शिक्षा की दिशा और दशा निर्धारित करने वाली नीति बनाते समय इस चुनौती को स्वीकार किया गया है।
इस संदर्भ में कहा गया है कि बच्चों के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाता है। इसलिए प्रारंभिक बाल्यवस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर ध्यान देने की जरूरत है। यह भी स्वीकार किया गया है कि प्राथमिक शिक्षा से पहले मिलने वाली ‘विद्यालय पूर्व शिक्षा’ (जिसे निजी स्कूलों के संदर्भ में नर्सरी और एलकेजी व यूकेजी कहते हैं) से बहुत से विद्यार्थी वंचित हैं, इसलिए उनको यह अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत है। वर्तमान में आँगनबाड़ी के माध्यम से बच्चों के पोषण और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की जरूरत को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। 2030 तक इस लक्ष्य को हासिल करने की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020में कही गई है।