लखनऊ। प्रदेश सरकार समूह ‘ख’ व समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद कर्मचारियों को शुरुआती पांच वर्ष तक संविदा के आधार पर नियुक्त करने की योजना है। इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे। पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे, उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी। शासन का कार्मिक विभाग इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष बिचार के लिए लाने की तैयारी कर रहा है।
इस प्रस्ताव पर विभागों से राय मशबिरा शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में सरकार अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया से चयन के बाद संबंधित संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति देती है। इस दौरान कर्मियों को नियमित कर्मी की तरह बेतन व अन्य लाभ दिए जाते हैं। वे वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं। नियमित होने पर वे नियमानुसार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। पर, प्रस्तावित पांच वर्ष की संविदा भर्ती और इसके बाद मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही से समूह ‘ख’ ब ‘ग’ की पूरी भर्ती प्रक्रियः ही बदल जाएगी। नई व्यवस्था में तय फॉर्मूले पर इनका छमाही मूल्यांकन होगा। इसमें प्रतिवर्ष ७0% से कम अंक पाने बाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। जो तय शर्तों के साथ पांच वर्ष की सेवा पूरी कर सकेंगे, उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। इसे सरकारी विभाग समूह ‘ख’ एवं ‘ग’ के पदों पर नियुक्ति (संबिदा पर) एवं विनियमितीकरण नियमावली, 2020 कहा जाएगा।
पीसीएस, पीपीएस व पीसीएस-जे ही बाहर
प्रस्तावित नियमावली सरकार के समस्त सरकारी विभागों के समूह “ख’ व समूह “ग’ के पदों पर लागू होगी। यह सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 पर भी लागू होगी। इसके दायरे से केवल प्रादेशिक प्रशासनिक सेवा ( कार्यकारी एवं न्यायिक शाखा ) तथा प्रादेशिक पुलिस सेवा के पद ही बाहर होंगे।
नियुक्त कर्मियों को नियत वेतन
संविदा पर नियुक्त व्यक्ति को समूह ‘ख’ व ‘ग’ के संबंधित पद का राज्य मरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति आधारित नियत वेतन दिया जाएगा। 5 वर्ष की संविदा अवधि निर्धारित शर्तों पर पूर्ण होने पर संबंधित व्यक्ति को संगत सेवा नियमावली में स्थान देते हुए मौलिक नियुक्ति दी जाएगी।
- हर 6 माह में मूल्यांकन, हर वर्ष में 60% से कम अंक तो नौकरी से बाहर
- पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से बचे तभी पक्की नौकरी की सौगात
पक्ष में तर्क: कर्मियों की दक्षता बढ़ेगी, देशभक्ति के भाव का होगा विकास
नई व्यवस्था के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे राज्य कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने, नैतिकता, देशभक्ति एवं कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास करने में मदद मिलेगी। वित्तीय व्ययभार कम होगा।