केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, मेडिकल दाखिले में अब ओबीसी को 27 व आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10 फीसद आरक्षण

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मेडिकल शिक्षा की सभी स्नातक और स्नातकोत्तर की सीटों पर नामांकन के लिए केंद्रीय कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की खातिर 27 फीसद आरक्षण लागू करने का फैसला किया है। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) के लिए भी 10 फीसद सीटें आरक्षित की जाएंगी। यह आरक्षण इसी शैक्षणिक सत्र से लागू हो जाएगा। चूंकि, आरक्षण का यह प्रविधान केंद्रीय कोटे की सीटों के लिए किया जा रहा है, इसीलिए इसका लाभ सिर्फ केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी को ही मिल सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर इस अहम फैसले की जानकारी दी और इसे अभूतपूर्व बताया। यह आरक्षण मेडिकल शिक्षा के सभी एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डिप्लोमा, बीडीएस, एमडीएस कोर्स में मिलेगा।

यूं तो यह कवायद लंबे अरसे से चल रही थी, लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के आगामी चुनाव से पहले इस घोषणा का राजनीतिक महत्व भी है। अभी कुछ दिन पहले ही कैबिनेट के विस्तार के बाद मोदी मंत्रिमंडल में ओबीसी मंत्रियों की संख्या बढ़कर 27 हो गई है। उसके बाद इस फैसले को तुरुप का पत्ता माना जा रहा है।

एक दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में ओबीसी मंत्रियों व सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर मेडिकल पाठ्यक्रम में ओबीसी आरक्षण लागू करने का आग्रह किया था। फैसले के तत्काल बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने भी ट्वीट कर इसका स्वागत किया।



’ पीएम ने 26 जुलाई को केंद्रीय कोटे में आरक्षण का प्रविधान करने का निर्देश दिया था। मंत्रलय ने बुधवार को इसे लागू करने का एलान कर दिया।

’ दूसरे राज्यों में मौजूद अच्छे मेडिकल कालेजों तक प्रतिभाशाली छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित कराने के लिए 1986 में केंद्रीय कोटे की व्यवस्था की गई थी। सभी मेडिकल कालेजों में स्नातक सीटों का 15 और स्नातकोत्तर सीटों का 50} कोटे में रखा गया था।

’ उप्र, उत्तराखंड और पंजाब चुनाव से पहले फैसला राजनीतिक रूप से अहम

’ सिर्फ केंद्रीय सूची में शामिल ओबीसी को ही मिल सकेगा लाभ

’ इससे केंद्रीय कोटे में स्नातक की सीटों पर 1,500 और स्नातकोत्तर की सीटों पर 2,500 छात्रों को ओबीसी कोटे से नामांकन का लाभ मिलेगा

’ इसी तरह आर्थिक रूप से कमजोर तबके के 550 छात्र स्नातक और 1,000 छात्र स्नातकोत्तर कोर्स में नामांकन करा सकेंगे

’ वर्ष 2014 में जहां देश में एमबीबीएस की 54,348 सीटें थी। यह 56 फीसद बढ़ोतरी के साथ वर्ष 2020 में 84,649 हो गई हैं

’ स्नातकोत्तर की सीटें वर्ष 2014 में 30,191 से बढ़कर 2020 में 54,275 हो गई हैं, जो 80 फीसद की बढ़ोतरी है

’ सात वर्षो में 179 नए मेडिकल कालेज खोले गए

बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, गरीब कोटे से बन गए थे असिस्टेंट प्रोफेसर

यूपी के मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, गरीब कोटे से बन गए थे असिस्टेंट प्रोफेसर
उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के छोटे भाई अरुण द्विवेदी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. EWS कोटे से अरुण द्विवेदी की असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के बाद काफी बवाल हुआ था.

इस्तीफे के बाद जारी किया ये प्रेस नोट

उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. हाल ही में EWS कोटे (आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी) के तहत सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई थी, जिसके बाद काफी विवाद हुआ था.

जानकारी के मुताबिक, अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है. जिसे कुलपति सुरेंद्र दुबे ने मंजूर भी कर लिया है. अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुई थी.

बड़े भाई की छवि को धूमिल करने का प्रयास: अरुण द्विवेदी
अरुण द्विवेदी ने इस्तीफा देने वाले पत्र में उन्होंने अपनी योग्यता बताते हुए कहा कि उनका चयन निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य से उनके कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही उनके बड़े भाई सतीश द्विवेदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया. अरुण ने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि उनके कारण उनके भाई पर बेबुनियाद आरोप लगे.

मंत्री के भाई ने कहा कि वह मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहे हैं और उनके लिए परिवार और उनके बड़े भाई सतीश त्रिवेदी कि सामाजिक और राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत किसी भी चीज की नहीं है.

अरुण द्विवेदी ने दावा किया कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय उन्होंने अपनी आर्थिक आर्थिक स्थिति के अनुसार ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र बनवाकर आवेदन दिया था. बाद में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की का शादी का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन की बेहतरी का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि इस भर्ती के लिए उन्होंने सारी प्रक्रियाएं पूरी की थी और सतीश द्विवेदी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.



विवाद पर मंत्री ने कहा था- करा लो जांच
मंत्री के भाई की नियुक्ति की प्रक्रिया पर जब सवाल खड़े होने लगे, तब मंत्री सतीश द्विवेदी ने सफाई में कहा था कि उनके भाई की अलग पहचान है. उसके पास अपना प्रमाण पत्र है, लेकिन उसके बाद भी किसी को आपत्ति हो तो वह जांच करवा सकता है.

हालांकि, तमाम विवादों के बीच अरुण द्विवेदी ने बीते शुक्रवार को अपना पद ग्रहण कर लिया था. वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र दुबे की ओर से सफाई में कहा गया था कि उनके पास नियुक्ति के सभी प्रमाण पत्र मौजूद हैं, किसी तरह की कोई सिफारिश का नियुक्ति के पीछे कोई हाथ नहीं है.


सीएम योगी के दौरे से पहले ही इस्तीफा
आपको बता दें कि मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी का ये इस्तीफा उस दिन आया है, जब गुरुवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिद्धार्थनगर पहुंच रहे हैं. यूपी सीएम इन दिनों कोरोना संकट के बीच प्रदेश के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर रहे हैं, तैयारियों का जायजा ले रहे हैं. इसी कड़ी में उन्हें गुरुवार को सिद्धार्थनगर पहुंचना है.

नियुक्ति पर खड़े हुए थे गंभीर सवाल
राज्य सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई की इस तरह नियुक्ति होना किसी को सामान्य नहीं लगा. ऐसे में कई गंभीर सवाल उठाए गए, सोशल मीडिया से लेकर अलग-अलग तबकों ने सरकार पर निशाना साधा.

पूर्व अफसर अमिताभ ठाकुर, नूतन ठाकुर ने इस विषय में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को चिट्ठी लिखी थी और एक्शन लेने की अपील की थी. वहीं, जब यूनिवर्सिटी पर सवाल खड़े हुए तो बार-बार कुलपति सुरेंद्र दुबे ने यही कहा कि अगर EWS सर्टिफिकेट फर्जी निकलता है, तो फिर एक्शन लिया जाएगा.

प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ

प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ कर दिया है। 

इसके लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग करेगा आरक्षण का प्रावधान।

UPTET 2019: टीईटी में 10% सवर्ण आरक्षण मिलना मुश्किल, यह दिया विभाग ने तर्क

UPTET 2019 : सवर्णों ने 10% फीसदी आरक्षण को दायर की याचिका, राज्य सरकार से यह व्यवस्था न होने की जानकारी तलब

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CTET: केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में 10 फीसदी आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस

CTET: केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में 10 फीसदी आरक्षण की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण के तहत अंकों में छूट को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर अब कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है। सीटेट में अभी तक सरकार द्वारा दिए गए 10 फासदी आरक्षण को शामिल नहीं किया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कोर्ट ने यह कहते हुए अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया कि यह नीतिगत निर्णय है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि प्रवेश की पात्रता के लिए आयोजित परीक्षा में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं हो सकता। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की पीठ ने सीटेट, 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी के आरक्षण के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण दिया था।
पीठ ने कहा था कि प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कोई आरक्षण नहीं हो सकता। ये पूरी तरह से गलत है। ये केवल पात्रता प्राप्त करने की परीक्षा है। आरक्षण का सवाल तो प्रवेश के समय उठेगा। वहीं जब याचिकाकर्ता के वकील ने सात जुलाई को होने वाली परीक्षा की अधिसूचना का जिक्र किया था तो पीठ ने कहा कि परीक्षा की अधिसूचना अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को भी किसी प्रकार का आरक्षण प्रदान नहीं करती है।
जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के हैं और इस परीक्षा को देने जा रहे हैं। सीबीएसई ने 23 जनवरी, 2019 को इस परीक्षा के आयोजन को लेकर विज्ञापन जारी किया था, जिसमे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों को यह लाभ नहीं दिया गया था। जिसके चलते याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी।

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CTET-2019: आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसद आरक्षण की मांग, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, पात्रता परीक्षा में आरक्षण नहीं


आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसद आरक्षण की मांग, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, पात्रता परीक्षा में आरक्षण नहीं

आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग को 10% आरक्षण के लिए आय और परिसंपत्ति प्रमाण पत्र ऑनलाइन होगा जारी,सवर्णों को आरक्षण के लिए स्वयं बतानी होगी आय!

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