अंशकालिक अनुदेशकों का जिले के अंदर किया जाएगा स्थानांतरण, नए विद्यालय के लिए अनुबंध नवीनीकरण की प्रक्रिया विभाग द्वारा तय की जाएगी, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनेगी समिति, ऑनलाइन होगी कार्यवाही

अंशकालिक अनुदेशकों का जिले के अंदर किया जाएगा स्थानांतरण

नए विद्यालय के लिए अनुबंध नवीनीकरण की प्रक्रिया विभाग द्वारा तय की जाएगी

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनेगी समिति, ऑनलाइन होगी कार्यवाही

लखनऊ। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशकों का जिले के अंदर स्थानांतरण (विद्यालय परिवर्तन) किया जाएगा। इसके लिए शासन की ओर से ऑनलाइन अनुबंध नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। प्रदेश में लगभग 26 हजार अंशकालिक अनुदेशक तैनात हैं।

शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद के 100 से अधिक नामांकन वाले उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तैनात अनुदेशकों का जिले के अंदर नए विद्यालय में अनुबंध नवीनीकरण की नीति जारी की है। पहली बार यह कार्यवाही ऑनलाइन तीन चरणों में की जाएगी। इनका नए विद्यालय का अनुबंध नवीनीकरण कला शिक्षा से कला शिक्षा, शारीरिक व स्वास्थ्य शिक्षा से शारीरिक व स्वास्थ्य शिक्षा तथा कार्य शिक्षा से कार्य शिक्षा में ही किया जाएगा।

इसके लिए डीएम की अध्यक्षता वाली समिति बनाई जाएगी। इसमें सीडीओ उपाध्यक्ष, डायट प्राचार्य व समग्र शिक्षा के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी सदस्य तथा बीएसए बतौर सदस्य सचिव शामिल हैं। पहले चरण में 100 से कम छात्र नामांकन वाले विद्यालयों में खाली पदों के सापेक्ष प्रक्रिया पूरी की जाएगी। किसी विद्यालय में खाली पदों के सापेक्ष एक से अधिक आवेदन मिलने पर निर्धारित भारांक के अनुसार चयन होगा।

प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार के अनुसार दूसरे चरण में 100 से अधिक छात्र नामांकन वाले विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का जिले के अंदर स्थानांतरण किया जाएगा। इसके लिए अनुदेशकों को पांच विद्यालयों का ऑनलाइन विकल्प देना होगा। वहीं तीसरे चरण में 100 से अधिक छात्र नामांकन वाले विद्यालय के अनुदेशकों का पारस्परिक स्थानांतरण किया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि ऑनलाइन आवेदन के बाद अनुदेशक इसकी प्रति डाउनलोड कर खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दो प्रति में जमा करेंगे। इसकी रसीद उनको दी जाएगी। बीईओ आवेदन पत्र, भारांक व अभिलेख परीक्षण कर अपनी संस्तुति बीएसए को देंगे। बीएसए इस पर ऑनलाइन अपनी संस्तुति देंगे। इसके बाद अनुबंध नवीनीकरण के लिए गठित समिति परीक्षण कर इसे वेबसाइट पर अपलोड करेगी।

अनुदेशकों को 100 छात्र से कम होने पर हटाने पर रोक, 7000 रुपये मानदेय देने पर तीन हफ्ते में जवाब तलब

उरुआ, गोरखपुर में नियुक्त अनुदेशकों को सौ छात्र से कम संख्या होने के कारण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। सातों याची अनुदेशकों को 31 जनवरी 2013 के शासनादेश के तहत कार्य करने देने व मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अनुदेशकों को मानदेय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के न्यूनतम वेतन से कम सात हजार रुपये देने पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

यह आदेश न्यायमूíत पंकज भाटिया ने प्रभु शंकर व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 21-ए के तहत केंद्र सरकार ने अनिवार्य शिक्षा कानून बनाया। शिक्षकों की जरूरत पूरी करने के लिए मानदेय पर 11 माह के लिए नवीनीकृत करने की शर्त के साथ अनुदेशकों की नियुक्ति की व्यवस्था की गयी। कला, स्वास्थ्य, शारीरिक कार्य शिक्षा देने के लिए 41307 अनुदेशकों के पद सृजित किये गये। इन्हें भरने के लिए विज्ञापन निकाला गया।


याचियों की 2013 में नियुक्ति हुई। फिर समय-समय पर कार्यकाल बढ़ाया जाता रहा। मई 2019 के बाद याचियों का नवीनीकरण करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया गया कि जरूरत नहीं है। छात्र संख्या 100 से कम हो गयी है। इसे चुनौती दी गयी। कोर्ट ने जिलाधिकारी को नवीनीकरण पर निर्णय लेने पर विचार का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने निरस्त कर दिया तो यह याचिका दाखिल की गयी है।

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