मेरिट के आधार पर होंगे BEO के स्थानांतरण,
कार्य दक्षता संकेतकों का किया गया निर्धारण, 13 बिंदुओं पर किया जाएगा मूल्यांकन
लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) का अब मेरिट के आधार पर स्थानांतरण होगा। विभाग ने इसके लिए शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए कार्य दक्षता संकेतक (वर्क परफॉर्मेंस इंडीकेटर) निर्धारित किए हैं। इसमें उनके कामों व चल रही योजनाओं के आधार पर उनको नंबर दिए जाएंगे। इसी आधार पर उनका मूल्यांकन कर स्थानांतरण किया जाएगा। प्रदेश में लगभग 1031 बीईओ तैनात हैं।
विभाग के अनुसार नए तबादला सत्र में समूह ग के लिपिकों का उनके वर्तमान तैनाती के स्थान पर अधिकतम ठहराव व बीईओ के लिए मेरिट के आधार पर स्थानांतरण प्रस्तावित किया गया है। समूह ग के कर्मचारियों का सही विवरण मानव संपदा पोर्टल पर उपलब्ध कराने के निर्देश अपर शिक्षा निदेशक बेसिक को दिए गए हैं। वहीं, बीईओ के कार्य दक्षता संकेतक मानव संपदा पोर्टल पर फीड कर दिए हैं।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि आख्यागत अवधि में बीईओ अगर एक से अधिक ब्लॉक में काम करते हैं तो जिस ब्लॉक में वे अधिकतम समय होंगे, उसी के आधार पर उनका मूल्यांकन होगा। दो से अधिक विकास खंड का प्रभार होने की स्थिति में मूल विकास खंड के अनुसार मूल्यांकन किया जाएगा।
कार्य दक्षता संकेतक से संबंधित शासनादेश जारी करने के लिए प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रेरणा, मानव संपदा, दीक्षा पोर्टल और विद्या समीक्षा केंद्र से संकलित डाटा के आधार पर इनका उद्देश्यपरक तरीके से मूल्यांकन होगा।
मूल्यांकन के प्रमुख मानक
बीईओ के लिए ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के संतृप्तीकरण, ब्लॉक में शिक्षकों की उपस्थिति की स्थिति, कुल नामांकन के सापेक्ष ग्रेड में उल्लेखनीय प्रदर्शन वाले छात्रों की संख्या, निपुण विद्यालयों की संख्या, दिव्यांग छात्रों की उपस्थिति, आवंटित बजट के व्यय, डीवीटी से लाभांवित छात्रों की स्थिति दक्षता संकेतक के मानक होंगे। इसके आधार पर बीईओ को लक्ष्य प्राप्त करने पर निर्धारित नंबर दिए जाएंगे।
बेसिक शिक्षा के प्रयोगों पर नजर
पूर्व में कुछ विभागों ने कार्य दक्षता संकेतकों के आधार पर अपने तबादले किए थे, जिसे काफी सराहा गया। हालांकि कुछेक विभागों में बाद में ऑनलाइन तबादलों में बदलाव की बात भी सामने आई। इससे ऑनलाइन सिस्टम में सुधार किए गए हैं। अब इसे पूरी तरह फूलप्रूफ बनाकर लागू करने का प्रयास हो रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग में इस व्यवस्था को पारदर्शी तरीके से लागू करने के प्रयासों पर नजर है।