Interim budget 2019:दस फीसदी ही बढ़ सका देश का शिक्षा बजट,पढ़े पूरी जानकारी।।

लोक-लुभावन बजट का खामियाजा स्वास्थ्य के साथ शिक्षा को भी उठाना पड़ा। सामान्य वर्ग को आरक्षण, सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ते एवं बढ़ी हुई फेलोशिप के चलते खर्च में भारी-भरकम बढ़ोतरी होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बजट में मात्र 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल शिक्षा के लिए 85,010 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, वह इस साल 93.84 हजार करोड़ हो गया है। ऐसे में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट की राह देख रहे शिक्षाविदों को जरूर निराशा होगी।

स्कूली शिक्षा बजट को इस साल 56,386.63 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल 50 हजार करोड़ रुपये था। स्कूली शिक्षा बजट का आधा से अधिक हिस्सा यानी 36,322 करोड़ रुपये समग्र शिक्षा अभियान के लिए रखा गया है। यह योजना पिछले साल सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, शिक्षक शिक्षण एवं वयस्क शिक्षा कार्यक्रम को मिलाकर बनाई गई थी। वहीं, स्कूल में बच्चों को नि:शुल्क भोजन मुहैया कराने वाली ‘मिड डे मील’ योजना के लिए बजट में 11 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल इस योजना के लिए 10,500 करोड़ दिए गए थे। केंद्रीय विद्यालय संगठन को इस साल 4862 करोड़ रुपये दिए गए हैं। पिछले साल बजट में इसके लिए 4425 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। हालांकि, संशोधित बजट में इसे बढ़ाकर 5006.75 करोड़ रुपये कर दिया गया था।

उच्च शिक्षा के लिए वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने 37,461.01 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले साल उच्च शिक्षा के लिए 35,010 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसमें से 6143.02 करोड़ रुपये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटीज) के लिए आवंटित किए गए हैं। पिछले साल आईआईटी के लिए 5613.00 करोड़ रुपये का बजट था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए 6604.46 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले साल के 6445.23 करोड़ रुपये के बजट से मामूली बढ़ोतरी है।

न तो आयकर छूट की सीमा बढ़ी है, न ही कर-दरों में कोई बदलाव – पीयूष गोयल

बजट पेश करने के बाद पीयूष गोयल ने प्रेस कांफ्रेंस में स्थिति साफ की तो ज्यादातर लोगों की खुशी काफूर हो गई। गोयल ने साफ कहा कि सरकार ने न तो आयकर छूट की सीमा बढ़ाई है और न मौजूदा कर-दरों में कोई बदलाव किया है।

अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल के वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट ने व्यक्तिगत आयकरदाताओं में खूब भ्रम पैदा किया। गोयल ने छोटे व मझले आयकरदाताओं को राहत देने के लिए पांच लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वालों को आयकर से मुक्त करने की घोषणा की थी। पर लोगों ने इसे आयकर छूट सीमा बढ़ाना समझ लिया। हर कोई खुश दिखा कि आयकर छूट की ढाई लाख रुपए सालाना की मौजूदा सीमा को दोगुना कर सरकार ने पांच लाख रुपए कर दिया है। इस स्लैब की आमदनी पर आयकर की दर दस फीसद है। यानी लोगों को यह लगा कि पांच लाख या उससे ज्यादा आमदनी वाले हर आयकरदाता को सरकार ने पच्चीस हजार रुपए का सीधा लाभ मिलेगा। लेकिन बजट पेश करने के बाद पीयूष गोयल ने प्रेस कांफ्रेंस में स्थिति साफ की तो ज्यादातर लोगों की खुशी काफूर हो गई। गोयल ने साफ कहा कि सरकार ने न तो आयकर छूट की सीमा बढ़ाई है और न मौजूदा कर-दरों में कोई बदलाव किया है। इसी तरह स्रोत पर आयकर कटौती (टीडीएस) से जुड़ी दो घोषणाओं को लेकर भी ज्यादातर लोग भ्रमित हुए। बजट में वित्त मंत्री ने कहा कि अब बैंक ब्याज की 40 हजार रुपए तक की सालाना आमदनी पर टीडीएस की कटौती नहीं करेंगे। मौजूदा सीमा दस हजार है। इसे भी ज्यादातर लोगों ने ब्याज की आय पर आयकर से छूट मान लिया।

किराए की आमदनी से जुड़ी घोषणा को लेकर भी यही स्थिति दिखी। मंत्री ने किराए की आमदनी पर टीडीएस की कटौती से छूट की मौजूदा सीमा एक लाख 60 हजार रुपए को बढ़ा कर दो लाख 40 हजार रुपए सालाना किया है। पर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि किराए की आमदनी पर आयकर से मुक्ति मिल गई। दरअसल टीडीएस की कटौती से करदाता के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी हो जाता है। बेशक उसकी आमदनी कर योग्य हो या न हो। यानी सरकार ने आयकर से छूट नहीं बल्कि रिफंड लेने के झंझट से करदाताओं को राहत दी है।

अलबत्ता नौकरीपेशा तबके के लिए अंतरिम बजट में थोड़ी राहत मानक कटौती के रूप में जरूर दी गई है। मानक कटौती को 40 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए सालाना करने का प्रस्ताव किया गया है। पांच लाख रुपए से अधिक कर योग्य आमदनी वालों को पहले की तरह ही आयकर चुकाना होगा। उन्हें कोई राहत नहीं देने के बाबत सवाल पर वित्त मंत्री बोले कि चुनाव बाद जब सरकार पूर्ण बजट लाएगी तो उनके बारे में भी सोचेगी।

संपत्ति से होने वाली आय पर आयकर बचाने के लिए सरकार ने कुछ राहत जरूर दी है। अभी तक ऐसी आय को एक घर खरीदने पर खर्च करने से आयकर छूट मिलती थी। अंतरिम बजट में यह छूट अब दूसरा घर खरीदने की सूरत में भी देने की घोषणा की गई है। हालांकि यह बंदिश भी लगाई गई है कि संपत्ति से आय दो करोड़ रुपए से कम होने पर ही यह लाभ मिलेगा और जीवन में इसका फायदा केवल एक बार ही मिल पाएगा।

पांच लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वालों को आयकर के दायरे से बाहर कर देने के फैसले से वित्त मंत्री ने सरकारी खजाने पर 18 हजार 500 करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ने की बात कही। उन्होंने अनुमान जताया कि इससे तीन करोड़ लोग लाभान्वित होंगे। इसी तरह मानक कटौती की सीमा बढ़ाने से आयकर दाताओं को 4700 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचेगा।

झंझट से राहत: अब बैंक ब्याज की 40 हजार रुपए तक की सालाना आमदनी पर टीडीएस की कटौती नहीं करेंगे। मौजूदा सीमा दस हजार है। इसे भी ज्यादातर लोगों ने ब्याज की आय पर आयकर से छूट मान लिया। दरअसल टीडीएस की कटौती से करदाता के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी हो जाता है। बेशक उसकी आमदनी कर योग्य हो या न हो। यानी सरकार ने आयकर से छूट नहीं बल्कि रिफंड लेने के झंझट से करदाताओं को राहत दी है।

 

News from – nbt (delhi edition)

बजट- 2019:: नहीं, सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय कर-मुक्त नहीं की है, टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, ध्यान से पढ़े यहां पूरी जानकारी।।

केंद्रीय वित्त मंत्री पियूष गोयल ने 1 फरवरी को लोकसभा में, असंगठित क्षेत्र और मध्यम-वर्ग के लिए महत्वपूर्ण प्रस्तावों के साथ, 2019 का अंतरिम बजट पेश किया। सरकार द्वारा घोषित सर्वाधिक चर्चा में रही रियायतों में से एक, मध्यमवर्गीय करदाताओं के लिए प्रस्तावित रियायत थी। इसे, 5 लाख रुपये तक की आय को ‘कर-मुक्त’ श्रेणी में आ जाने के साथ, टैक्स स्लैब में परिवर्तन के रूप में समझा गया।

जबकि, वर्तमान टैक्स स्लैब में परिवर्तन का कोई प्रस्ताव नहीं है।

अंतरिम बजट में टैक्स के बारे में क्या कहा गया है?
वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा — “अभी के लिए, आयकर की वर्तमान दर वित्त वर्ष 2019-20 में जारी रहेगी। मैं निम्नांकित परिवर्तन प्रस्तावित करता हूँ — 5 लाख रुपये तक की कर-योग्य आमदनी रखने वाले व्यक्तिगत करदाताओं को पूरी कर रियायत मिलेगी।” – (अनुवादित)

मिलेगी।” – (अनुवादित)

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| “Individual taxpayers having annual income upto Rs 5 lakh will get full tax rebate”: @PiyushGoyal in speech

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इसका मतलब है कि सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आमदनी करने वाले करदाताओं को “कर-मुक्त” श्रेणी में शामिल करके टैक्स स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव नहीं किया है। इसमें, वास्तव में, जमा कर दिए गए करों पर उन्हें पूरी रियायत देने का प्रस्ताव है।

अभी के टैक्स स्लैब के अनुसार (जो वित्त वर्ष 2019-20 में जारी रहने वाला है), 2.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ता है।

जब कुल आय 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो, लेकिन 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो, तब करदाताओं को 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर 5% की दर से कर देना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी कर-योग्य आय 3.5 लाख रुपये है, तब आपको 1 लाख रुपये पर 5% का कर देने की जरूरत है।

यदि कुल वार्षिक आय 5 लाख रुपये से अधिक है, लेकिन 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तब कर देनदारी 12,500 रुपये तथा 5 लाख रुपये से ऊपर पर 20% बनती है। इसका मतलब है कि यदि आप वार्षिक 7 लाख रुपये की आय करते हैं, तब आपको कर के रूप में 52,500 रुपये (12,500 + 2,00,000 का 20%) देने की जरूरत है।

जहां कुल आय 10 लाख रुपये से ज्यादा होती है, वहां कर देनदारी 1,12,500 रुपये तथा 10 लाख से ऊपर की राशि पर 30% की बनती है।

ऊपर वर्णित टैक्स स्लैब अपने वर्तमान स्वरूप में बने रहेंगे, जबकि सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को पूरी रियायत देने का प्रस्ताव किया है।

उपर्युक्त स्लैब वर्तमान में भी जारी रहेगा, जबकि सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को पूर्ण छूट देने का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार द्वारा केवल 5 लाख रुपये से अधिक की आय पर कर लगाया जाएगा। 7 लाख रुपये कमाने वाले व्यक्ति को अभी भी 4.5 लाख रुपये पर कर का भुगतान करना होगा क्योंकि भारतीय कर प्रणाली केवल 2.5 लाख रुपये तक की कर छूट की अनुमति देती है।

कर रियायत का क्या मतलब है और यह कर-मुक्त से अलग कैसे है?

कर-मुक्त का मतलब, वह आय, खर्चे और निवेश हैं, जिन पर कोई कर नहीं लगता है। भारतीय कर प्रणाली के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोग कर भुगतान से मुक्त हैं।

दूसरी तरफ, कर रियायत दिए गए कर में से वापसी (refund) के रूप में करदाताओं को दी जाने वाली रियायत है। आयकर अधिनियम की धारा 87A, जिन व्यक्तियों की आय 3.5 लाख रुपये से ज्यादा न हो, उन्हें, 2500 रुपये या जमा करने योग्य कर (जो भी कम हो) की रियायत प्रदान करती है।

सरकार ने धारा 87A में परिवर्तन का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री पियूष गोयल ने 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय अर्जित करने वाले करदाताओं को पूर्ण रियायत का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब है कि करदाता 12,500 रुपये (2.5 लाख रुपये का 5%) की कर रियायत पा सकते हैं।

अपने भाषण में, वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि 6.5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले किसी व्यक्ति को कोई कर देने की जरूरत नहीं होगी।

6.5 लाख रुपये तक कर आकलन

आयकर अधिनियम की धारा 80C, जीवन बीमा, प्रोविडेंट फण्ड, एलआईसी म्यूच्यूअल फण्ड, सुकन्या समृद्धि अकाउंट आदि जैसे कर-मुक्त निवेशों पर 1.5 लाख रुपये तक की अधिकतम राशि की कटौती की अनुमति देती है। कर कटौती, करदाताओं की कुल आय में से कटौती हैं, ताकि कर के अधीन राशि कम हो।

यदि कोई व्यक्ति 6.5 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाते हैं, तो वे 5 लाख रुपये पर कर रियायत पा सकते हैं और बाकी 1.5 लाख रुपये कर-मुक्त निवेश के विकल्पों में निवेश कर सकते हैं।

हालांकि, आयकर अधिनियम, धारा 80C से और अधिक कटौती की अनुमति देता है। इसके अलावा, सरकार ने मानक कटौती सीमा को 50,000 रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी किया है।

मानक कटौती, वेतनभोगी व्यक्तियों की आय से उनके रोजगार संबंधी किए गए खर्चों के लिए एक सपाट कटौती (standard deduction) की अनुमति देता है। यह आयकर की धारा 16 के तहत आता है। 2018 में, यह 40,000 रुपये तय था और अब 10,000 रुपये की वृद्धि प्रस्तावित की गई है।

नए प्रस्तावों के बाद कुल कटौतियां क्या होगी?

धारा 80C के तहत कटौती (1.5 लाख रुपये) की अनुमति व प्रस्तावित मानक कटौती (50,000 रुपये) के अलावा, करदाता, आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अन्य कटौतियों का भी लाभ उठाता है।

धारा 80CCD(1B) में कहा गया है, “धारा 80CCD(1B) के अनुसार, 80CCD(1) में निर्दिष्ट कर-निर्धारिती को उसकी आय की गणना में, अधिसूचित पेंशन योजना के तहत अथवा जैसा केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, पिछले वर्ष में अपने खाते में भुगतान या जमा की गई पूरी राशि की कटौती, जो कि 50,000 रुपये से अधिक नहीं होगी, की अनुमति दी जाएगी।”

धारा 80D, स्वयं और/या परिवार के सदस्यों के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से संबंधित कटौती की अनुमति देता है। कटौती की अधिकतम राशि 25,000 रुपये है और परिवार में वरिष्ठ नागरिक के मामले में, यह सीमा 50,000 रुपये है।

अंत में, धारा 80TTA, बचत खाते में जमा (परिपक्वता वाली जमा नहीं) पर अर्जित ब्याज आय पर 10,000 रुपये की (गैर-वरिष्ठ नागरिकों को) अधिकतम कटौती प्रदान करता है।

इकोनॉमिक्स टाइम्स के एक विश्लेषण के अनुसार, 7.75 लाख रुपये तक की आय वाले वेतनभोगी व्यक्ति शून्य कर का भुगतान करेंगे, यदि वे उपरोक्त कटौतियों और छूट का लाभ उठाते हैं।

टैक्स स्लैब में परिवर्तन नहीं

अंतरिम वित्त बजट, कर स्लैब में किसी बदलाव का प्रस्ताव नहीं करता है, बल्कि, कर रियायत (2,500 रुपये से 12,500 रुपये) और मानक कटौती (40,000 रुपये से 50,000 रुपये) का विस्तार करता है।

Budget 2019:: कल पेश होगा मोदी सरकार का अंतरिम बजट ,UP को मिल सकता है बड़ा तोहफा

सुबह 10 बजे से शुरु होगी बजट की कार्यवाही, पीयूष गोयल पेश करेंगे मोदी सरकार का अंतरिम बजट। बजट में बेरोजगारों के लिए हो सकती हैं कई योजनाएं ,  टैक्स की लिमिट में मिल सकती है छूट और भी लोकलुभावन वादों का हो सकता है एलान।।

 

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पिछले 45 साल में 2017-18 में सबसे ज्यादा रही बेरोजगारी, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी. अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है. दिसंबर महीने में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा मंजूरी मिलने के बाद भी इस रिपोर्ट को जारी नहीं किया गया. इसके बाद आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन सहित दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया. सरकार के अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले ही यह रिपोर्ट सामने आई है, ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले काफी विवाद हो सकता है. विपक्षी दल रोजगार के आंकड़ों को लेकर लगातार सरकार को निशाना बना रहे हैं.

दस बड़ी बातें

  1. रिपोर्ट के मुताबिक 1972 के बाद देश में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है. इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट का खुलासा किया है.
  2. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2 फीसदी थी. नौजवान बेरोजगार सबसे ज्यादा थे, जिनकी संख्या 13 से 27 फीसदी थी.
  3. श्रमबल की भागीदारी दर पिछले सालों की तुलना में कम होने के कारण अधिक लोग कार्यबल से हट रहे हैं.
  4. श्रमबल की भागीदारी दर पिछले सालों की तुलना में कम होने के कारण अधिक लोग कार्यबल से हट रहे हैं.
  5. नवंबर 2016 में नोटबंदी के ऐलान के बाद एनएसएसओ का यह पहला वार्षिक घरेलू सर्वेक्षण था. नवंबर 2016 में पीएम मोदी ने 500 और 2000 रुपए के पुराने नोट बंद कर दिए थे.
  6. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के चेयरपर्सन पीसी मोहनन सहित दो सदस्यों के इस्तीफा दिए जाने के बाद यह रिपोर्ट सामने आई है, जिससे विवाद पैदा हो सकता है.
  7. पीसी मोहनन ने एनडीटीवी से बात करते हुए पुष्टि की थी कि उनके इस्तीफा देने की वजहों में से एक वजह यह भी है कि इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा मंजूरी दिए जाने बाद भी जारी नहीं किया गया.
  8. साथ ही पीसी मोहनन ने बताया था कि वह और जेवी मिनाक्षी (जो गैर-सरकारी सदस्य थे) आयोग में साइडलाइन महसूस कर रहे थे और हमें गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था.
  9. बाद में सरकार ने सफाई देते हुए कहा था कि कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 तक की अवधि के लिये तिमाही आंकड़ों का प्रसंस्करण कर रहा है. इसके बाद रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी.
  10. साथ ही मंत्रालय ने कहा कि भारत के मजबूत जनसांख्यिकीय लाभ तथा करीब 93 प्रतिशत असंगठित कार्यबल को देखते हुए रोजगार के मानकों को प्राशासनिक सांख्यिकी के जरिये बेहतर करना जरूरी हो जाता है. कहा गया, ‘इसी दिशा में मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना जैसी बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्यों और नये अंशदाताओं का अनुमान जारी करना शुरू किया है.

बजट /वित्त मंत्रालय ने साफ किया- इस बार पूर्ण नहीं, अंतरिम बजट ही पेश किया जाएगा

  • इस तरह की चर्चा थी कि सरकार परंपरा के विपरीत पूर्ण बजट पेश कर सकती है
  • अंतरिम बजट पेश होने की स्थिति में नई सरकार के गठन के बाद अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा

नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय ने साफ किया कि 2019-20 के लिए सरकार पूर्ण बजट नहीं, बल्कि अंतरिम बजट पेश करेगी। इस बात की चर्चाएं थीं कि सरकार परंपरा के विपरीत पूर्ण बजट पेश करने जा रही है। अंतरिम बजट पेश होने की स्थिति में नई सरकार के गठन के बाद जुलाई में शेष वित्त वर्ष के लिए अनुपूरक बजट पेश करना होगा। हालांकि, यह तय नहीं कि बजट अरुण जेटली पेश करेंगे या पीयूष गोयल। जेटली इलाज के लिए अमेरिका में हैं। उनकी जगह गोयल वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं।

Budget Session 2019 live: 2014 से पहले देश में निराशा का दौर था, अब नई आशा का संचार हुआ: राष्ट्रपति कोविंद

संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है. 13 फ़रवरी तक चलनेवाले इस सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी. कल अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. ये मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आख़िरी बजट होगा.

नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है. 13 फ़रवरी तक चलनेवाले इस सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी. कल अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. ये मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आख़िरी बजट होगा. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाले इस बजट सत्र पर सबकी निगाहें होंगी. लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पहले से चली आ रही परंपराओं का पालन करते हुए एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेगी. माना जा रहा है कि इस बजट में किसानों और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुये कुछ घोषणायें की जा सकती हैं. अंतरिम बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने की उम्मीद नहीं है. सूत्रों के अनुसार इसमें आयकर छूट सीमा बढ़ाने, गरीबों के लिये न्यूनतम आय योजना और किसानों के लिये सहायता पैकेज सहित कई तरह की लोक लुभावन घोषणायें की जा सकती हैं. हालांकि, आगामी बजट सत्र के दौरान नई सरकार के सत्ता संभालने तक चारमाह के खर्च के लिये लेखानुदान को ही मंजूरी दी जायेगी.  आम चुनाव के बाद मई में चुनकर आने वाली नई सरकार ही जुलाई में पूर्ण बजट पेश करेगी और उससे पहले आर्थिक सर्वेक्षण पेश संसद में पेश किया जायेगा. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह अंतिम बजट होगा. वित्त मंत्रालय का कामकाज देख रहे अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल यह बजट पेश करेंगे.

राष्ट्रपति कोविंद ने संबोधन में कहा:

  1. गरीबों के लिए मुफ्त डायलिसिस की सेवा उपलब्ध कराई गई
  2. इंद्र धनुष योजना शुरू की गई
  3. सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं, जिला अस्पतालों को अपग्रेड किया जा रहा है
  4. 600 जिलों में औषधि केंद्र खोले गए
  5. कई शहरों में नए एम्स का निर्माण काम किया जा रहा है.
  6. कुपोषण के लिए पोषण मिशन
  7. शहरों में अपना घर बनाना सामान्य परिवार के लिए आसान हुआ
  8. रेरा कानून के लाखों लोगों को फायदा पहुंचा

साल 18 हजार से

  1. ज्यादा गांव बिजली से दूर थे, आज लगभग सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है.
  2. 6 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन दिए गए
  3. मध्यम परिवार पर इलाज का खर्च कम से कम हो
  4. गरीबों के लिए शुरू की आयुष्मान योजना
  5. सिर्फ 1 रुपये के प्रीमियम और 90 पैसे प्रति दिन के प्रीमियम के जरिए 21 करोड़ लोगों को जीवन बीमा की सुविधा

राष्ट्रपति कोविंद ने सदन को संबोधित किया. संबोधन के दौरान क्या-क्या कहा:

  1. सरकार ने देश की साख बढ़ाई
  2. देश के लिए यह साल बेहद आम रहा
  3. 4 साल में नई आशा का संचार हुआ
  4. नागरिक का दर्द समझने वाली सरकार
  5. 9 करोड़ से ज्यादा शौचालय बने
  6. 2014 से पहले देश में निराशा का दौर था
  7. ग्रामीण स्वच्छता का दायरा बढ़ा