लोक-लुभावन बजट का खामियाजा स्वास्थ्य के साथ शिक्षा को भी उठाना पड़ा। सामान्य वर्ग को आरक्षण, सातवें वेतनमान के अनुरूप भत्ते एवं बढ़ी हुई फेलोशिप के चलते खर्च में भारी-भरकम बढ़ोतरी होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बजट में मात्र 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल शिक्षा के लिए 85,010 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, वह इस साल 93.84 हजार करोड़ हो गया है। ऐसे में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट की राह देख रहे शिक्षाविदों को जरूर निराशा होगी।
स्कूली शिक्षा बजट को इस साल 56,386.63 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल 50 हजार करोड़ रुपये था। स्कूली शिक्षा बजट का आधा से अधिक हिस्सा यानी 36,322 करोड़ रुपये समग्र शिक्षा अभियान के लिए रखा गया है। यह योजना पिछले साल सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, शिक्षक शिक्षण एवं वयस्क शिक्षा कार्यक्रम को मिलाकर बनाई गई थी। वहीं, स्कूल में बच्चों को नि:शुल्क भोजन मुहैया कराने वाली ‘मिड डे मील’ योजना के लिए बजट में 11 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। पिछले साल इस योजना के लिए 10,500 करोड़ दिए गए थे। केंद्रीय विद्यालय संगठन को इस साल 4862 करोड़ रुपये दिए गए हैं। पिछले साल बजट में इसके लिए 4425 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। हालांकि, संशोधित बजट में इसे बढ़ाकर 5006.75 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
उच्च शिक्षा के लिए वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने 37,461.01 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले साल उच्च शिक्षा के लिए 35,010 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसमें से 6143.02 करोड़ रुपये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटीज) के लिए आवंटित किए गए हैं। पिछले साल आईआईटी के लिए 5613.00 करोड़ रुपये का बजट था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए 6604.46 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह पिछले साल के 6445.23 करोड़ रुपये के बजट से मामूली बढ़ोतरी है।