हरदोई। जिले के करीब पांच लाख परिषदीय बच्चों को विषयों के कठिन बिंदुओं को शिक्षण अधिगम सामग्री (टीएलएम) से आसानी से समझाया जा सकेगा। शासन स्तर से जनपद के लिए 36 लाख रुपये इसके लिए जारी कर दिए गए हैं।
जिले में करीब 3500 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें 12289 शिक्षक तैनात हैं। प्रत्येक शिक्षक अपने-अपने विषयों में कठिन पाठों व बिंदुओं को उदाहरण देकर या फिर उससे संबंधित कोई यंत्र, चीज या पोस्टर दिखाकर बच्चों को समझाने का प्रयास करता है। परिषदीय विद्यालयों में दो से तीन साल पहले 500 रुपये प्रति शिक्षक जारी किया जाता रहा है लेकिन पिछले दो सालों में टीएलएम को लेकर कोई राशि जारी नहीं हुई है। इस बार प्रति शिक्षक तीन सौ रुपये जारी हो रहे हैं।
जिसके माध्यम से शिक्षक अपने विषय की शिक्षण सामग्री खरीदकर बच्चों को समझाने का प्रयास करेंगे। जिला समन्वयक प्रशिक्षण राकेश शुक्ला ने बताया कि जिले के 122289 शिक्षकों के लिए 36 लाख 86 हजार सात सौ रुपये जारी किए गए हैं। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को शिक्षकों को प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं।यह है टीएलएमशिक्षा जगत में ऐसे उदाहरणों व उत्पादों को जिनकी मदद से बच्चों को विषय सीखने में आसानी हो या उनमें सीखने की ललक पैदा हो, उन्हें शिक्षण अधिगम सामग्री यानी टीएलएम कहते हैं।
यह भी हैं शामिल
जिला समन्वयक प्रशिक्षण ने बताया कि अधिगम सामग्री तो शून्य निवेश से भी जुटाई जाती है। इनमें पुराने रंगीन कागजों का प्रयोग, पत्थर के टुकड़े, रिफिल, पुराने पेन, तीलियां, बीज, पुराने कपड़े आदि शामिल हैं। इनकी मदद से भी छोटा बड़ा, समूह बनाना, चित्र बनाना व तह लगाना आदि सिखाया जा सकता है। इसके अलावा सांप सीढ़ी, राष्ट्रीय प्रतीक, फल फूलों के कार्ड, रेलवे के टिकट, कविता पोस्टर्स सहित कई सामग्री ऐसी हैं जो कुछ रुपयों में आ सकतीं हैं। इनकी मदद से बच्चों को काफी कुछ सिखाया जा सकता है। इसके अलावा जैसे थर्माकोल आदि जिसके माध्यम से उभरते हुए अक्षर, अंक आदि को भी समझाया जा सकता है।
कंचे, तीलियां व गेंद भी सिखाती है गणितसुनने में भले ही अटपटा लगे पर नौनिहालों को गणित ऐसे भले ही न समझ आए पर कंचों व गेंदों को गिनकर गिनती सिखाई जाए तो उनको जल्द समझ आ जाती है। एआरपी अभय यादव ने बताया कि गणित किट में चांदा, पटरी, पेंसिल, रबर, कटर, ठोस आकृतियां, नेपियर पट्टी, गिनतारा, डिस्क आदि टीएलएम हैं। पर शिक्षक स्वयं से चार्ट पेपर, फ्लैश कार्ड आदि बना सकता है जो बच्चों को सिखाने के काम आती है।यह है पर्यावरण से संबंधित पैमानाजिला समन्वयक ने बताया कि घड़ी, मानक पैमाना, तापमापी, कमानीदार तुला आदि मॉडल पर्यावरण अध्ययन को समझाने के लिए बच्चों के काम आ सकतीं हैं। इनमें विभिन्न देशों के झंडे, राष्ट्रीय प्रतीकों के मॉडल भी शामिल हैं।