UP Board High School Result 2021माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) कोरोना संक्रमण की वजह से हाईस्कूल की परीक्षा न कराने की दिशा में प्रयासरत है। सीबीएसई सहित देशभर के कई शिक्षा बोर्ड इस ओर पहले ही कदम बढ़ा चुके हैं।
प्रयागराज : वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण ने विश्व में अनके जगह का भूगोल ही बदल कर रख दिया। भारत में भी लम्बा लॉकडाउन चला तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में तो इतिहास ही रच दिया गया। यहां पर सौ वर्ष के इतिहास में पहली बार हाईस्कूल में सौ प्रतिशत छात्र-छात्राएं पास हो रहे हैं। वर्ष 2020-21 के लिए हाईस्कूल में पंजीकृत सभी 29.94 लाख छात्र-छात्राओं को इस बार प्रोन्नति मिलेगी। इससे पहले का सर्वाधिक सफलता का परिणाम प्रतिशत 87.66 फीसद तक रहा है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड के सौ वर्ष के इतिहास में पहली बार हाईस्कूल की परीक्षा निरस्त करने की तैयारी है, वहीं परीक्षा के लिए पंजीकृत सभी छात्र-छात्राओं को कक्षा 11 में प्रोन्नति मिल सकती है। इसकी प्रक्रिया के लिए बोर्ड प्रशासन की वेबसाइट पर नौवीं कक्षा के विषयवार अंक अपलोड होना शुरू हो गए हैं। इस क्रम में गुरुवार देर शाम तक करीब डेढ़ लाख परीक्षार्थियों के अंक अपलोड हो गए थे। आज भी काम जारी है। यह जरूर है कि इस पर अभी शासन की मुहर लगना बाकी है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) कोरोना संक्रमण की वजह से हाईस्कूल की परीक्षा न कराने की दिशा में प्रयासरत है। सीबीएसई सहित देशभर के कई शिक्षा बोर्ड इस ओर पहले ही कदम बढ़ा चुके हैं। उत्तर प्रदेश बोर्ड में देरी की वजह परीक्षा प्रणाली दुरुस्त न होना है। असल में, कई दिन तक उस फार्मूले की तलाश हुई, जिसमें परीक्षार्थियों को मिलने वाले विषयवार अंक निर्विवाद हों। सभी को अंक देना इसलिए भी जरूरी है कि आगे मेरिट से चयन में छात्र-छात्राओं को परेशानी न हो। हर किसी की जन्म तारीख का हाईस्कूल का प्रमाणपत्र अहम रिकॉर्ड भी है।
प्रदेश में नौवीं व ग्यारहवीं की वार्षिक परीक्षा के अंक बोर्ड मुख्यालय नहीं आते हैं। अब बोर्ड को रिकॉर्ड कालेजों से मांगना पड़ रहा है। इससे पहले हाईस्कूल की परीक्षा का सफलता प्रतिशत अधिकतम 87.66 फीसद तक रहा है, इसमें हर वर्ष उतार-चढ़ाव होता रहा है। इस बार प्रमोट करने में सभी छात्र-छात्राओं को सफल घोषित करने की तैयारी है। यानी पहली बार 100 फीसद उत्तीर्ण हो सकते हैं।
कालेज वार्षिक परीक्षा पर निरुत्तर: बोर्ड की ओर से नौवीं वार्षिक परीक्षा के विषयवार अंक मांगे जाने पर कई कालेजों ने 13 अप्रैल 2020 के शासनादेश का हवाला दिया था। उनका कहना था कि बीते वर्ष सभी प्रमोट हुए थे, लेकिन यह नहीं बता सके कि बीते वर्ष जब सत्र मार्च में ही खत्म हो रहा था और उस समय कोविड नियम लागू नहीं थे तो वार्षिक परीक्षा क्यों नहीं कराई। इंटर की प्रायोगिक परीक्षाओं के बाद व बोर्ड परीक्षा शुरू होने से पहले गृह परीक्षाएं होती रही हैं। क्या उन्हें यह पता था कि सरकार अप्रैल में प्रमोट करने का आदेश देगी। उन्होंने परीक्षार्थियों को प्रमोट भी किया है तो फिर किस फार्मूले का प्रयोग किया। हकीकत में स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं हुई थी लेकिन, प्रमोट करने का आदेश होने पर सभी उसकी आड़ ले रहे हैं।
बीते दस वर्ष के परिणाम
वर्ष हाईस्कूल
2010 70.79
2011 70.82
2012 83.75
2013 86.63
2014 86.71
2015 83.74
2016 87.66
2017 81.18
2018 75.16
2019 80.07
2020 83.31।