परिषदीय शिक्षकों / शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी एवं GPF आदि के समय से भुगतान न होने पर ब्याज की देयता के सम्बन्ध में वित्त नियंत्रक का समस्त BSA व FAO को पत्र।

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PF TRANSFER है फायदे का सौदा, बनाता है आपको PENSION का हकदार, पढ़ें ये काम की खबर

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प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी भी ईपीएफओ की ईपीएस स्कीम का फायदा उठा सकते हैं। दरअसल इसके लिए उन्हें जॉब बदलने पर अपने पीएफ खाते के पैसे को निकालने के बजाय उसे पुरानी कंपनी से नई कंपनी के खाते में ट्रांसफर कराना होगा। पीएफ ट्रांसफर से ईपीएफ के सदस्य ईपीएस (एम्पलॉइज पेंशन स्कीम) के सदस्य बन सकते हैं। खास बात ये है कि पीएफ ट्रांसफर की रकम पर इन्कम टैक्स की छूट भी मिलती है। यदि कोई कर्मचारी 5 साल की समयसीमा से पहले पीएफ का पैसा खाते से निकाल लेता है तो उस रकम पर उसे टैक्स देना होगा।

पेंशन और रोजगार की मांग को लेकर शिक्षक-छात्र मिलकर बुलंद करेंगे आवाज

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पेंशन के लिए शिक्षकों का प्रदर्शन, विधान सभा घेरने जा रहे शिक्षकों के नेताओं की पुलिस से झड़प:- इको गार्डन पहुंचकर शिक्षकों ने हंगामा किया

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75 हजार पेंशन, फिर भी 15 हजार का मोह, सेवानिवृत्त होने के बावजूद संविदा पर पढ़ा रहे कई अध्यापक

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वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 112 पदों में से 78 पद रिक्त चल रहे हैं। व्याकरण, धर्म शास्त्र, मीमांसा, जैन दर्शन विभाग में एक भी अध्यापक नहीं हैं। इसे देखते हुए सेवानिवृत्त शिक्षकों को 15 हजार रुपये मासिक मानदेय पर रखा गया है। खास बात यह है कि सेवानिवृत्त अध्यापक करीब 75 हजार रुपये मासिक पेंशन पाने के बावजूद 15 हजार रुपये में पढ़ाने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। इसके चलते बेरोजगार युवकों को पढ़ाने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
सेवानिवृत्त अध्यापकों को मानदेय पर नियुक्ति करने के बावजूद तमाम विभागों में अब भी पद रिक्त हैं। इन रिक्त पदों पर संविदा पर नियुक्ति के लिए अतिथि व्याख्याताओं का साक्षात्कार 13 से 20 अगस्त तक कुलपति आवास पर होगा। विवि में संविदा पर पढ़ाने वाले अध्यापक सशंकित हैं। वर्षो से संविदा पर पढ़ाने के बाद अब विश्वविद्यालय से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है। संविदा पर कार्यरत शिक्षकों का कहना है कि यदि संविदा को आगे बढ़ाना होता तो विश्वविद्यालय फिर सभी पदों पर साक्षात्कार नहीं बुलाता। उन्होंने विश्वविद्यालय पर अपने चहेते की नियुक्ति संविदा पर करने का आरोप लगाया है। यही नहीं उन्होंने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, यूजीसी, कुलाधिपति व मुख्यमंत्री से भी की है।

संविदा पर अध्यापकों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार की तिथि :

13 अगस्त : वेद, ज्योतिष, व्याकरण

14 अगस्त : साहित्य, संगीत (गायन, सितार, तबला), पुराणोतिहास, प्राचीन राजशास्त्र- अर्थशास्त्र।

17 अगस्त : न्याय वैशेषिक, सांख्य योगतंत्रगत, वेदांत, तुलनात्मक धर्म दर्शन, बौद्ध दर्शन, जैन दर्शन, पालि व थेरवाद, संस्कृत विद्या,

20 अगस्त : शिक्षा शास्त्र, विज्ञान, आधुनिक भाषा के तहत (भाषा विज्ञान, जर्मन, रूसी, नेपाली, हंिदूी, फ्रेंच, तिब्बती व अंग्रेजी)।

कर्मचारी की मृत्यु के बाद कदाचार का दोषी ठहरा परिलाभ में कटौती गलत, हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला। 

कर्मचारी की मृत्यु के बाद कदाचार का दोषी ठहरा परिलाभ में कटौती गलत, हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुशासनिक नियमावली कर्मचारी को गलती का दंड देने के लिए है। इसे कर्मचारी के वारिसों पर लागू नहीं किया जा सकता। कर्मचारी की मौत के बाद विभागीय कार्यवाही स्वत: समाप्त हो जाएगी। वैधानिक उत्तराधिकारियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी की मौत के बाद जांच कर सेवानिवृत्ति परिलाभों से उसकी देनदारी की वसूली नहीं की जा सकती। फंडामेंटल रूल्स 54बी के तहत मृत कर्मचारी को कदाचार का दंड नहीं दिया जा सकता। विभागीय कार्यवाही कर्मी के जीवनकाल में पूरी होनी चाहिए। मरने के बाद जवाबदेही दिखाकर उसके फंड, ग्रेच्युटी, पारिवारिक पेंशन आदि से कटौती नहीं की जा सकती।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कर्मी की विधवा (मृतक) राजकिशोरी देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने खाद्य आपूर्ति विभाग वाराणसी के मार्केटिंग इंस्पेक्टर के वारिस को मिलने वाले परिलाभों से वसूली पर रोक लगा दी है। वित्त नियंत्रक/मुख्य लेखाधिकारी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति लखनऊ को दो माह के भीतर सात प्रतिशत ब्याज के साथ काटी गई राशि वापस करने का निर्देश दिया है।
मालूम हो कि वैद्यनाथ पांडेय वाराणसी में मार्केटिंग इंस्पेक्टर थे। सेवानिवृत्त होने के दो दिन पहले उन्हें निलंबित करके उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई। वैद्यनाथ पर चार लाख 60 हजार 243 रुपये का विभाग को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया। अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देने से पहले वैद्यनाथ की मृत्यु हो गई। इस पर विभाग ने जांच में उन्हें दोषी करार देते हुए उनके चार लाख छह हजार 236 रुपये की सेवानिवृत्ति परिलाभों से कटौती का आदेश हुआ।

प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ पर 0.1 फीसदी ब्याज घटा

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