कर्मचारी की मृत्यु के बाद कदाचार का दोषी ठहरा परिलाभ में कटौती गलत, हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला। 

कर्मचारी की मृत्यु के बाद कदाचार का दोषी ठहरा परिलाभ में कटौती गलत, हाईकोर्ट ने दिया महत्वपूर्ण फैसला
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुशासनिक नियमावली कर्मचारी को गलती का दंड देने के लिए है। इसे कर्मचारी के वारिसों पर लागू नहीं किया जा सकता। कर्मचारी की मौत के बाद विभागीय कार्यवाही स्वत: समाप्त हो जाएगी। वैधानिक उत्तराधिकारियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी की मौत के बाद जांच कर सेवानिवृत्ति परिलाभों से उसकी देनदारी की वसूली नहीं की जा सकती। फंडामेंटल रूल्स 54बी के तहत मृत कर्मचारी को कदाचार का दंड नहीं दिया जा सकता। विभागीय कार्यवाही कर्मी के जीवनकाल में पूरी होनी चाहिए। मरने के बाद जवाबदेही दिखाकर उसके फंड, ग्रेच्युटी, पारिवारिक पेंशन आदि से कटौती नहीं की जा सकती।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कर्मी की विधवा (मृतक) राजकिशोरी देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने खाद्य आपूर्ति विभाग वाराणसी के मार्केटिंग इंस्पेक्टर के वारिस को मिलने वाले परिलाभों से वसूली पर रोक लगा दी है। वित्त नियंत्रक/मुख्य लेखाधिकारी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति लखनऊ को दो माह के भीतर सात प्रतिशत ब्याज के साथ काटी गई राशि वापस करने का निर्देश दिया है।
मालूम हो कि वैद्यनाथ पांडेय वाराणसी में मार्केटिंग इंस्पेक्टर थे। सेवानिवृत्त होने के दो दिन पहले उन्हें निलंबित करके उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई। वैद्यनाथ पर चार लाख 60 हजार 243 रुपये का विभाग को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया। अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देने से पहले वैद्यनाथ की मृत्यु हो गई। इस पर विभाग ने जांच में उन्हें दोषी करार देते हुए उनके चार लाख छह हजार 236 रुपये की सेवानिवृत्ति परिलाभों से कटौती का आदेश हुआ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.