नवाचार शिक्षण पद्धतियां INNOVATIVE TEACHING PRACTICES : प्रोजेक्ट विधि एवं केस स्टडी विधि पर विशेष ज़ोर

नवाचार शिक्षण पद्धतियां INNOVATIVE TEACHING PRACTICES : प्रोजेक्ट विधि एवं केस स्टडी विधि

नई पीढ़ियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी शिक्षकों के लिए नवीन शिक्षण एक आवश्यकता है। हालांकि, अभिनव शिक्षण के लिए शिक्षकों की योग्यता नवीन शिक्षण प्रदर्शन को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है।

वर्तमान समय में शिक्षा पूर्णतया निःशुल्क एवं बालकेन्द्रित है। हमारी सरकार के द्वारा विद्यालय को सभी भौतिक सुविधायें उपलब्ध करायी जा चुकी हैं, जैसे -विद्यालय भवन, विद्युत व्यवस्था, पाठ्यपुस्तकें, स्कूल यूनीफार्म, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृत्ति, शिक्षण अधिगम सामग्री के लिए धनराशि आदि।

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कक्षा के लिए 7 प्रभावी शिक्षण रणनीतियाँ:-

दृश्य। दृश्य और व्यावहारिक सीखने के अनुभवों के साथ जीवन के लिए शैक्षणिक अवधारणाओं को लाओ, अपने छात्रों को यह समझने में मदद करें कि उनकी स्कूली शिक्षा वास्तविक दुनिया में कैसे लागू होती है।

सहकारी शिक्षा।

पूछताछ-आधारित निर्देश।

भेदभाव।

कक्षा में प्रौद्योगिकी।

व्यवहार प्रबंधन।

व्यावसायिक विकास।

इन सभी सुविधाओं से विद्यालयों में छात्र नामांकन संख्या में अति वृद्धि हुई है। परन्तु गुणवत्तापरक शिक्षा में अभी भी आशानुरूप सफलता नहीं मिली है। जहॉं संख्यात्मक वृद्धि (quantity) होती है, वहां गुणात्मक वृद्धि (quality)में कमी आ जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए आवश्यक है कि कक्षा में रूचिपूर्ण शिक्षण पद्धति अपनाई जाये जैसे- भ्रमण विधि, खेल विधि, कहानी विधि, प्रदर्शन विधि, करके सीखना, प्रोजेक्ट विधि, केस स्टडी विधि तथा विभिन्न  प्रकार की अन्य शैक्षिक गतिविधियांॅ आदि।

खेल विधि:-

खेल, बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य है कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें।

वाइगोत्स्की के अनुसार – जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं। खेल में बच्चे की नई विकासमान दक्षताएँ पहले उभर कर आती हैं। खेल-नाटकों में बच्चा अपने आन्तरिक विचार के अनुसार काम करता है और मूर्त रूप में दिखने वाली वस्तुओं से बँधा नहीं रहता। यहीं से उसमें अमूर्त चिन्तन व विचार करने की तैयारी होने लगती है। यह लेखन की भी तैयारी होती है क्योंकि लिखित रूप में शब्द वस्तु जैसा नहीं होता, उसके विचार का प्रतीक होता है।

प्रोजेक्ट विधि:- 

एक परियोजना पद्धति के वातावरण में छात्रों को अपनी इंद्रियों के माध्यम से अपने पर्यावरण का पता लगाने और अनुभव करने की अनुमति दी जानी चाहिए और एक अर्थ में, अपने व्यक्तिगत हितों द्वारा अपनी खुद की शिक्षा को निर्देशित करना चाहिए। बहुत कम पाठ्यपुस्तकों से पढ़ाया जाता है और जोर रटे और याद रखने के बजाय अनुभवात्मक सीखने पर होता है। एक परियोजना विधि कक्षा “उद्देश्यपूर्ण” समस्याओं को हल करने के लिए लोकतंत्र और सहयोग पर केंद्रित है।

केस स्टडी विधि:-

शिक्षा तकनीकि के आर्विभाव तथा विकास के साथ शिक्षा की प्रक्रिया में अनेक परिवर्तन हुए तथा नये आयामों का विकास हुआ। पिछले 25 वर्षो के अन्तराल में कक्षा शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए है। छात्रों की उपलब्धियों में स्थान, कक्षा-शिक्षण के स्वरूप, प्रक्रिया, अनुदेशन प्रक्रिया को प्राथमिकता दी गयी है क्योंकि छात्रों की उपलब्धियों इन्हीं पर आश्रित होती है। शिक्षक छात्रों की व्यक्तिगत भिन्नता को शिक्षण में महत्व देते है। व्यक्तिगत भिन्नता को जानते हुए व्यक्तिगत अध्ययन की आवश्यकता होती है।

बालक की भिन्नताओं के होते हुए भी प्रकृति तथा स्वभाव संबंधी सामान्य विशेषताए होती है। बालक के द्वारा अनुभव किये जाने योग्य अमूर्त वस्तुओं के अध्ययन के लिए कतिपय प्रविधियां विकसित की गयी है। इनमें से केस स्टडी प्रमुख है।

प्रदर्शन विधि:- 

प्रदर्शन विधि वह भी दी है जिसमें किसी संरचना ,कार्य प्रणाली तथ्य तथा रस को स्पष्ट किया जाता है ।इस विधि में छात्र इंद्रियों की सहायता से जटिल प्रक्रिया का सरलता से भूत करते हैं इस विधि द्वारा शिक्षा दूर करने पर मूर्त से अमूर्त शिक्षण का अनुसरण किया जाता है परदर्शन विद ने अध्यापक ने चार्ट मॉडल का आयोजन करके संबंधित विषय का वस्तु विषय का स्पष्टीकरण करता है।

शिक्षा में नवाचार केे उदाहरण स्वरूप अगर को कोई अध्यापक किसी पौधे का जैसे सरसों के पौधे के जड़ तना फूल पत्ती आदि के बारे में छात्रों को प्रदर्शन विधि द्वारा वर्णन कर सकता है इससे छात्रों में पौधे के विभिन्न भागों का समझने में आसानी और सुगमता होती है।

INNOVATIVE TEACHING PRACTICES : प्रोजेक्ट विधि एवं केस स्टडी विधि

दिनेश कुमार

शिक्षा क्षेत्र ऐरायां फतेहपुर

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