क्या 69000 कटऑफ में होगा फेरबदल , आगे क्या? जानिए AG की कलम से

69000 कटऑफ खतरे में, आगे क्या? जानिए AG की कलम से

1) 69000 भर्ती की 90/97 कटऑफ खतरे में आ गयी है। प्रयागराज में 23 याचिकाएं जिसमें एक से एक सीनियर है सुनवाई के लिए 21.01.2019 को आइटम 12 पर कोर्ट 18 में लगी हैं। लीडिंग याचिका Writ A – 713/19 Reena Singh है जिसका ऑर्डर संलग्न है।
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2) इसी प्रकार लखनऊ में समस्या और गम्भीर हैं। वहां लीडिंग याचिका SERS 1188/19 MOHD RIZWAN के नाम से है इसका भी ऑर्डर संलग्न है। यहां भी 5 सीनियर कटऑफ के विरुद्ध खड़े हैं।
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3) आगे बढ़ने से पहले बता दें जो लोग कटऑफ बचाना चाहते हैं वो हमसे अवश्य जुड़े।इस लिंक का प्रयोग करें👉https://www.facebook.com/1539413262801965/posts/2008776049199015/
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4) जो लोग अंग्रेजी जानते हैं वो संलग्न ऑर्डर को पढलें और जो नहीं जानते हैं किसी जानकार से पढ़वा लें। कटऑफ विरोधियों ने आपका ब्रेन वाश कर डाला है कि सरकार बचा लेगी। ऑर्डर में क्या है आगे बताएंगे। पहले सरकारी वकीलों का बॉयोडाटा जान लीजिए।
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5) बीजेपी सरकार आने के बाद सरकारी वकील उन लोगो को बनाया गया है जो बीजेपी कार्यकर्ता रहे हैं और राम मंदिर मुद्दे में भी कोर्ट में लड़े थे। जरूरी नहीं है कि सिविल मैटर के एडवोकेट सर्विस मैटर में निपुण हो।
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6) यदि आप लोग ये सोच रहे हैं कि सरकारी वकील AG राघवेंद्र, AAG रमेश कुमार सिंह और मनीष गोयल या CSC श्री प्रकाश सिंह या अडिशनल CSC रणविजय सिंह आपको बचा लेंगे तो मूर्खता है।
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7) ये लोग 30/33 नहीं बचा पाए जबकि वो एग्जाम से पहले बदली गयी यहां तो एग्जाम से पहले कोई कटऑफ ही नहीं रखी गयी और उसके एक दिन बाद 07.01.2019 को रखी गयी यहां भले ये सरकारी वकील कैसे बचा लेंगे।
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8) जब सरकारी वकीलों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम तो यही कहेंगे कि खेल शुरू ही नहीं हुआ है अभी तो विज्ञापन आना बाकि है और इसलिये खेल के बाद नियम बदलने का सवाल ही नहीं है। ये एक दम वाहियात तर्क है कोई भी वो ग्राउंड्स सुनने के लिए तैयार नहीं है जो कटऑफ को बचा सकते हैं।
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9) शासन स्तर से जब अपर मुख्य सचिव और PNP सचिव से मिला गया तो उन्होंने भी यही बातें दोहराई। मतलब साफ है सरकार पर छोड़ा गया तो कटऑफ नहीं बचेगी।
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10) वहीं स्तिथि प्रयागराज में भी है। वहां खरे, ओझा, एच इन सिंह आदि ने कोर्ट को लखनऊ के केस के स्टेटस quo के बारे में बताकर प्रयागराज में भी 21 को सुनवाई के लिए लगवा लिया।
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11) मैटर मुख्य यही है कि खेल के नियम खेल शुरू होने के बाद बदले नहीं जा सकते इसी को आधार बनाया गया है जबकि हम पिछली पोस्ट में बता चुके हैं कि यह मैटर सुप्रीम कोर्ट में 5 जजेस की संवैधानिक पीठ को decide करना है और आर्टिकल 141 के अंतर्गत हाई कोर्ट इसपर निर्णय नहीं दे सकती लेकिन जज साहब तक सरकारी वकील ये बात नहीं पहुंचा रहे हैं।
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12) अभी तक वो केवल डेट ले रहे हैं। पहले दिन कहा कि सरकार से इंस्ट्रक्शन ले लें। अगले दिन यानी 18 जनवरी सुबह 10:30 पर भी उनका यही रवैया रहा और बोला कि 12:15 पर AAG आएंगे और उनके पास भी बचाने के तथ्य नहीं थे तो हम लोगो ने केस को रिक्वेस्ट करके मंडे लगवाया।
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13) सरकारी वकील इसी बात पर अड़े हैं जो हमने पहले बताई वो उन 4 ऑर्डर्स का और आर्टिकल 141 को इग्नोर कर रहे हैं जो ग्राउंड्स हमने पिछली पोस्ट में बताए हैं।
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14) शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट के आनंद कुमार यादव ऑर्डर को भी कोर्ट में रखा है और बोला है कि यह हमारे पास अंतिम अवसर है और 01 दिसंबर 2018 को इन्होंने कोई कटऑफ नहीं रखी। एग्जाम से पहले भी किसी GO द्वारा कोई कटऑफ नहीं रखी गयी।
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15) एग्जाम कराने के बाद कटऑफ लगा कर हमें बाहर कर दिया गया जबकि हम टेट पास करके आये हैं। ये केवल बीएड बीटीसी को लुभाने के लिए किया गया है।
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16) उन्होंने 01 दिसंबर 2018 के सर्कुलर के क्लॉज़ 7 पर फोकस किया कि कटऑफ के बारे में कहीं नहीं लिखा गया।
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17) 1981 नियमावली के नियम 2(1)(x) के अनुसार सरकार समय समय पर कटऑफ निर्धारित कर सकती है जब उन्होंने 01 दिसंबर में कटऑफ निर्धारित नहीं की तो सभी ने यही माना कि कटऑफ इस बार नहीं रखी गयी है।
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18) और इसलिए ये अनुमान लगाया गया कि कटऑफ हुई भी तो 40/45% से अधिक नहीं रहेगी। इस पर जज साहब ने यह कहकर स्टेटस quo को आगे बढ़ा दिया कि ये अधिकारी भर्ती कराने के नियम ही नहीं जानते परीक्षा ही निरस्त कर देनी चाहिए।
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19) अब मुख्य बिंदु यही है कि सरकार को जिस एंगल पर बहस करनी चाहिए उस पर नहीं कर रही है। बहस तेज प्रकाश पाठक केस पर होनी चाहिए वहीं उनका इरादा ये कहने का है कि खेल शुरू ही नहीं हुआ है।
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20) स्थिति गम्भीर है। कटऑफ के समर्थन में कोर्ट के सामने केवल 4 लोग हैं जबकि कटऑफ विरोध में 800 से ऊपर लोग याची हैं।
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21) अब कटऑफ समर्थक यदि अधिक होंगे तभी कोर्ट में हमारे अधिवक्ता को बोलने का अवसर मिलेगा सरकारी वकील चाहे AG, AAG, CSC, ACSC कोई भी हो वो वाहियात तर्को के साथ कोर्ट में बचाने उतरेंगे जबकि कोई बच्चा भी बता देगा कि खेल 01 दिसम्बर 2018 को शुरू हो चुका था।
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22) ऐसा नहीं हो सकता है कि क्रिकेट में मैच होने के बाद बताया जाए कि चौके की बाउंड्री वहां से शुरू थी या गोल करने के बाद बताया जाए कि गोल पोस्ट तो इधर था।
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23) समस्या गम्भीर है मंडे को कमसेकम 500 कटऑफ समर्थको के साथ IA डालनी होगी और अपने एडवोकेट्स से तेज प्रकाश पाठक के ग्राउंड्स को कोर्ट में रखना होगा। सरकार लुटिया डुबो देगी। याद रखियेगा। इसलिए ऊपर लिंक से फॉर्म भरिये ताकि कोर्ट में IA डालकर आप भी अपना पक्ष रख सकें।
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24) आप खुद आकर कोर्ट में देख सकते हैं कि सरकारी वकील कैसे अजीबोग़रीब निराधार बातें कोर्ट में कह रहे हैं। 21 जनवरी को कोर्ट में आके अपने आप देख लीजिए पता चल जाएगा कि बाबा जो चाहेंगे वोही होगा का अनुसरण कोर्ट में कितना बढ़िया हो रहा है।
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25) काउन्सलिंग कराने में कितना किराया लग जाता है, टेट और 69000 फॉर्म भरने में कितना पैसा लगता है, एग्जाम देने सेंटर पर जाने में कितना पैसा लग जाता है? सब कूड़े में जायेगा यदि कटऑफ नहीं रही। इसलिए सभी लोग सहयोग करिये और याची बनिये और जो अभी आर्थिक सहयोग नहीं कर सकता है वो भी फॉर्म भरके याची बन जाइये। पैसों के कारण संख्या कम नहीं दिखनी चाहिए। धन्यवाद।
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~AG
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PS : सभी लोगो को शेयर करें कोई भी कटऑफ समर्थक छूट न जाये। पेपर लीक को लेकर भी अनुराधा तिवारी के नाम से याचिका दाखिल की गई है जिसमें परीक्षा से 30 मिनट पहले पेपर लीक के सबूत दिए गए हैं। SSC CGL 2017 का मैटर सबके सामने हैं। यहां भी उदासीन रवैया रहा और जज साहब का दिमाग ठनका तो परीक्षा रद्द होते देर नहीं लगेगी।

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