शिक्षामित्र ” समस्या या समस्या का समाधान , पर हो रही योगी सरकार परेशान

दरअसल प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती का शासनादेश जारी होने के बाद इसके बदले नियम चर्चा में हैं. इसमें कट आॅफ हटा दिया गया है. इन बदले नियमों से सबसे ज्यादा खुश शिक्षामित्र दिख रहे हैं.
पिछले कई सालों से उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की समस्या किसी भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती रही है. इस समस्या ने उस समय और विकराल रूप ले लिया, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी में 1 लाख 35 हजार शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद से बाहर कर दिए गए. शिक्षामित्रों ने आंदोलन छेड़ दिया जो लगातार जारी है. अब योगी सरकार ने शिक्षामित्रों को कानूनी तौर पर पुख्ता ढंग से नौकरी देने की तैयारी की है. इसके लिए आम भर्ती में नियमों में कुछ ऐसा बदलाव किया गया, जो सीधे-सीधे शिक्षामित्रों को फायदा दे रहा है.
दरअसल जुलाई 2017 में जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हुआ था तभी यह घोषणा की गई थी कि आने वाली 2 शिक्षक भर्तियों में शिक्षामित्रों को भारांक दिया जाएगा. यह भारांक अधिकतम 25 अंक तक होगा. मई 2018 में बेसिक शिक्षा विभाग ने सहायक अध्यापक के 68500 पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराई लेकिन उसमें न्यूनतम कटऑफ अंक रखे गए. इसकी वजह से बड़ी संख्या में शिक्षामित्र भर्ती के उस चरण तक ही नहीं
पहुंच पाए, जहां उनको इस भारांक का फायदा दिया
जाना था.
यही नहीं हजारों बीटीसी के भी ऐसे अभ्यर्थी थे, जो न्यूनतम कटऑफ घटाने की मांग कर रहे थे. नतीजतन भर्ती न सिर्फ विवादों में फंसी बल्कि उसमें करीब 27 हजार पद खाली भी रह गए.
अब इस बार 6 जनवरी, 2019 को शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन होना है. इसका जो शासनादेश जारी किया गया है, उसमें से न्यूनतम कटऑफ के प्वॉइंट को हटा दिया गया है. इससे शिक्षामित्रों को बढ़ी राहत मिली है. उन्हें उम्मीद है कि इससे शिक्षामित्रों को भर्ती ज्यादा से ज्यादा सीटों पर हो सकेगी

मान लीजिए एक तरफ वह अभ्यर्थी होगा जिसकी मेरिट बिना भारांक के 60 अंक बनेगी लेकिन दूसरी तरफ सिर्फ 40 अंक वाला शिक्षामित्र 25 अंक का भारांक मिलने से 65 अंक पर पहुंच जाएगा और उसकी भर्ती हो जाएगी
लेकिन बीटीसी और बीएड अभ्यर्थियों ने शुरू किया विरोध
वैसे इसी कारण से  जहां शिक्षामित्रों में खुशी हैं, वहीं दूसरी तरफ बीटीसी और बीएड अभ्यर्थियों में विरोध शुरू हो गया है. उनका कहना है कि ऐसा होने से अधिकतर सीटों पर शिक्षामित्रों की ही भर्ती हो जाएगी और बाकी अभ्यर्थियों के लिए नाम मात्र की सीटें बचेंगी.
अभ्यर्थियों ने ​पिछले दिनों अपर मुख्य सचिव से इस संबंध में मुलाकात भी की और लखनऊ में जीपीओ पर प्रदर्शन भी किया. अभ्यर्थियों ने साफ किया है कि अगर शासन ने कटऑफ लागू करने की उनकी मांग पूरी नहीं की तो वह कोर्ट का रास्ता पकड़ेंगे.

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