सभी मंत्रालय विभागों एवं सरकारी निकाय में सरकार ने सरकारी नौकरी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
आगे से सरकारी पद पर कोई भर्ती नहीं होगी केंद्र सरकार ने नोटिस जारी कर दिया है।
1 जुलाई 2020 के बाद जो भी आवेदन लिए गए हैं वह भी रद्द करने की घोषणा कर दी है।
Month: September 2020
बेसिक शिक्षा विभाग:- समस्त कार्यालय की तरह covid-19 के चलते 50% कर्मचारियों की उपस्थिति के अनुसार ही चलेंगे विद्यालय, अर्थात 2 सितंबर का आदेश विद्यालयों पर भी होगा लागू
SCHOOL reOPEN: 21 सितंबर से स्कूल-कॉलेज खोलने की तैयारी पर कहीं असमंजस तो कहीं है पूरी तैयारी, जानें किस राज्य में क्या है स्थिति?
School Reopen: 21 सितंबर से स्कूल-कॉलेज खोलने की तैयारी पर कहीं असमंजस तो कहीं है पूरी तैयारी, जानें किस राज्य में क्या है स्थिति?
झारखंड, हरियाणा समेत कई राज्य सरकारें चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोलने की तैयारी जुट गई हैं, तो कुछ सरकारें अभी इसको लेकर असमंस में दिख रही हैं.
नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच अनलॉक-4 में केंद्र सरकार ने देशभर के स्कूल-कॉलेज खोलने की अनुमति दे दी है. 21 सितंबर से स्कूल-कॉलेज खोलने की केंद्र की गाडइडलाइंस के बाद अब राज्य सरकारें भी स्कूल खोलने के लिए नियम-कायदे बनाने में जुट गई हैं. केंद्रीय दिशानिर्देश के तहत 9वीं से 12वीं क्लास तक के बच्चे अपने माता-पिता से लिखित परमिशन लेकर स्कूल जा सकते हैं. झारखंड, हरियाणा समेत कई राज्य सरकारें चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोलने की तैयारी जुट गई हैं, तो कुछ सरकारें अभी इसको लेकर असमंजस में दिख रही हैं.
हरियाणाहरियाणा सरकार ने 21 सितंबर से स्कूल खोलने की योजना बना ली है. हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल सिंह गुज्जर का कहना है कि प्रदेश एक बार फिर स्कूल खोलने को लेकर तैयार है. स्कूलों को सैनिटाइज करने के लिए बजट आवंटित किया जा चुका है. हालांकि राज्य सरकार ने करनाल और सोनीपत जिले में पहले सिर्फ क्लास 10 और 12 के छात्रों लिए स्कूल खोलने की बात कही है.
झारखंडझारखंड सरकार भी महामारी के बीच स्कूल खोलने के पक्ष में है. गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए यहां पहले क्लास 10वीं और 12वीं की पढ़ाई शुरू होगी. झारखंड के शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ महतो का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया, ‘एक सर्वे से हमें पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में ऑनलाइन क्लास का महज 27 फीसदी छात्र ही लाभ ले पा रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में तो यह आंकड़ा और भी खराब है. कुछ बच्चों के पास मोबाइल कनेक्शन भी नहीं है.’
आंध्र प्रदेशआंध्र प्रदेश में भी 21 सितंबर से स्कूल खुल रहे हैं. यहां 50 फीसदी टीचिंग और 50 फीसदी नॉन टीचिंग स्टाफ को स्कूल में बुलाया जा सकता है. क्लास 9 से 12 तक का कोई भी छात्र अपने पैरंट्स की लिखित अनुमति के बाद स्कूल जा सकता है और पढ़ाई कर सकता है.
उत्तर प्रदेशउत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर स्कूल-कॉलेज खोले जा सकते हैं. हालांकि यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में 15 सितंबर तक कोरोना की स्थिति पर नजर रखी जाएगी, इसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा कि स्कूल खोले जाएंगे या नहीं.
फिलहाल अभी 10वीं, 12वीं के लिए दूरदर्शन यूपी और 9वीं, 11वीं क्लास के लिए स्वयंप्रभा चैनल के माध्यम से क्लासेज चल रही है. हर हफ्ते क्लास का टाइमटेबल तय किया जाता है. वहीं 8वीं तक के बच्चों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप या अन्य किसी माध्यमों से क्लास चलाई जा रही हैं.
दिल्ली में बंद रहेंगे स्कूलदिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के कारण 30 सितंबर तक सभी स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया है. दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अनुसार, सभी स्कूलों को 30 सितंबर तक बंद रखा जाएगा. कंटेंमेंट जोन के बाहर सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं क्लास तक के छात्रों को स्वैच्छिक आधार पर स्कूल जाने की अनुमति दी जा सकती है. हालांकि छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लास और टीचिंग एक्टिविटी हमेशा की तरह जारी रहेंगी.
उत्तराखंड सरकार की गाइडलाइंसकोरोना महामारी के मद्देनजर उत्तराखंड में स्कूल, कॉलेज 30 सितंबर तक बंद रहेंगे. राज्य सरकार ने पूरी तरह से स्कूल खोलने की अभी अनुमति नहीं दी है. दरअसल, उत्तराखंड में कुल 28 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आ चुके हैं. इनमें से करीब नौ हजार लोग अभी भी बीमारी से संक्रमित हैं, इनका ईलाज चल रहा है.
इन राज्यों के अलावा तमिलनाडु सरकार भी अभी स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं है. छत्तीसगढ़ में स्कूल खोलने पर कोई विचार नहीं हुआ है, फिलहाल ऑनलाइन क्लास और यूनिक ऑफलाइन क्लासेज पर जोर देने कोशिश की जा रही है. बिहार में अभी इसपर चर्चा नहीं हुई है. हालांकि हिमाचल प्रदेश में केंद्र की गाइडलाइंस के आधार पर स्कूल खोले जा सकते हैं.
प्रदेश में एमकेपीआई फॉर्मूले से तय होगी पक्की नौकरी, कर्मचारियों के प्रदर्शन व दक्षता का हर छह माह में होगा मूल्यांकन , पहले से चल रही चयन प्रक्रिया भी दायरे में
लखनऊ। समूह ‘ख’ ब समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में पांच साल तक संविदा नियुक्ति के दौरान कर्मचारियों के प्रदर्शन व दक्षता के मूल्यांकन के लिए एमकेपीआई यानी मिजरेबल की परफॉर्मेंस इंडिकेटर फॉर्मूला तय किया जा रहा है। इसी आधार पर कर्मचारियों को पांच साल बाद मौलिक नियुक्ति यानी पक्की नौकरी दी जाएगी। समूह ‘ख’ व “ग’ संवर्ग के पदों पर नियुक्त लोगों का संबिदा अवधि में इसी आधार पर उनके प्रदर्शन व संतोषजनक कार्य का प्रत्येक 6 माह में मूल्यांकन होगा।
पहले से चल रही चयन प्रक्रिया भी दायरे में : प्रस्तावित नियमावली लागू होने के पहले पदों पर चयन के लिए विज्ञापन कर दिया गया हो अथवा चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई हो, तो विज्ञापन व परीक्षा परिणाम के आधार पर चयनित संबंधित व्यक्ति से घोषणा पत्र लिया जाएगा। उसे घोषणा करनी होगी कि जह इस नियमावली के अधीन शर्तों को स्वीकार करेंगे। इसके बाद ही उनकी नियुक्ति की जाएगी।
कर्मचारियों के प्रदर्शन व दक्षता का हर छह माह में होगा मूल्यांकन
1. समूह ख व ग संवर्ग के पदों पर नियुक्त लोगों का संविदा अवधि में ‘मिजरेबल की परफार्मेंस इंडीकेटर’ (एमकेपीआई) के आधार पर उनके प्रदर्शन व संतोषजनक कार्य का प्रत्येक 6 माह में मूल्यांकन होगा। एमकेपीआई का फार्मूला भी तय किया जा रहा है।
2. संविदा अवधि के 4 वर्ष पूर्ण होने के बाद एमकेपीआई के आधार पर चयनित व्यक्तियों को समय का अनुपालन करने, अनुशासित रहने, देशभक्ति एवं नैतिकता का मापांक रखते हुए 5 वें वर्ष में विभागों द्वारा छह माह का इस संबंध में अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाएगा।
3. संविदा के दौरान संबंधित पद की संगत सेवा नियमावली में उल्लिखित पदनाम के पहले सहायक पद नाम से नियुक्ति की जाएगी।
4. संविदा अवधि में प्रत्येक वर्ष एमकेपीआई के आधार पर कार्य कर रहे कुल व्यक्तियों में से 2 छमाही के प्राप्तांक का योग 60 प्रतिशत से कम होने पर सेवा समाप्त कर दी जाएगी।
5. संविदा कर्मी के कार्य को देखते हुए नियमावली के साथ निर्धारित एमकेपीआई अंकित कर नियुक्त प्राधिकारी चयन प्रस्ताव भेजेंगे। छमाही समीक्षा केवल इन्हीं एमकेपीआई पर की जाएगी ताकि पारदर्शिता रहे। यह एमकेपीआई नियुक्ति पत्र का भी अंश होंगे।
6. एमकेपीआई के आधार पर छमाही समीक्षा की कार्यवाही नियुक्ति पदाधिकारियों (कार्यालयाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष व शासन) के स्तर पर आधारित समितियां करेंगी।
7. समीक्षा समिति द्वारा प्रत्येक छमाही के बाद प्रदर्शित किए गए अंक को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा बंद लिफाफे में रखा जाएगा।
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अब 5 वर्ष की संविदा से शुरू हो सकती है सरकारी नौकरी, समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी में प्रदेश सरकार
लखनऊ। प्रदेश सरकार समूह ‘ख’ व समूह ‘ग’ की भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद कर्मचारियों को शुरुआती पांच वर्ष तक संविदा के आधार पर नियुक्त करने की योजना है। इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे। पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे, उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी। शासन का कार्मिक विभाग इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष बिचार के लिए लाने की तैयारी कर रहा है।
इस प्रस्ताव पर विभागों से राय मशबिरा शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में सरकार अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया से चयन के बाद संबंधित संवर्ग की सेवा नियमावली के अनुसार एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति देती है। इस दौरान कर्मियों को नियमित कर्मी की तरह बेतन व अन्य लाभ दिए जाते हैं। वे वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं। नियमित होने पर वे नियमानुसार अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। पर, प्रस्तावित पांच वर्ष की संविदा भर्ती और इसके बाद मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही से समूह ‘ख’ ब ‘ग’ की पूरी भर्ती प्रक्रियः ही बदल जाएगी। नई व्यवस्था में तय फॉर्मूले पर इनका छमाही मूल्यांकन होगा। इसमें प्रतिवर्ष ७0% से कम अंक पाने बाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। जो तय शर्तों के साथ पांच वर्ष की सेवा पूरी कर सकेंगे, उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी। इसे सरकारी विभाग समूह ‘ख’ एवं ‘ग’ के पदों पर नियुक्ति (संबिदा पर) एवं विनियमितीकरण नियमावली, 2020 कहा जाएगा।
पीसीएस, पीपीएस व पीसीएस-जे ही बाहर
प्रस्तावित नियमावली सरकार के समस्त सरकारी विभागों के समूह “ख’ व समूह “ग’ के पदों पर लागू होगी। यह सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 पर भी लागू होगी। इसके दायरे से केवल प्रादेशिक प्रशासनिक सेवा ( कार्यकारी एवं न्यायिक शाखा ) तथा प्रादेशिक पुलिस सेवा के पद ही बाहर होंगे।
नियुक्त कर्मियों को नियत वेतन
संविदा पर नियुक्त व्यक्ति को समूह ‘ख’ व ‘ग’ के संबंधित पद का राज्य मरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति आधारित नियत वेतन दिया जाएगा। 5 वर्ष की संविदा अवधि निर्धारित शर्तों पर पूर्ण होने पर संबंधित व्यक्ति को संगत सेवा नियमावली में स्थान देते हुए मौलिक नियुक्ति दी जाएगी।
- हर 6 माह में मूल्यांकन, हर वर्ष में 60% से कम अंक तो नौकरी से बाहर
- पांच वर्ष की कठिन संविदा प्रक्रिया में छंटनी से बचे तभी पक्की नौकरी की सौगात
पक्ष में तर्क: कर्मियों की दक्षता बढ़ेगी, देशभक्ति के भाव का होगा विकास
नई व्यवस्था के पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि इससे राज्य कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने, नैतिकता, देशभक्ति एवं कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास करने में मदद मिलेगी। वित्तीय व्ययभार कम होगा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतम बुद्धनगर:- covid-19 को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में 50% उपस्थिति हेतु दिशा निर्देश हेतु लिखा गया पत्र
बेसिक शिक्षा में दी जाने वाली बुनियादी शिक्षा में फिसड्डी 15 जिलों की होगी जांच , टीमें गठित
बेसिक शिक्षा में 15 जिलों की प्रगति बहुत खराब है। विभिन्न मानदण्डों पर इन जिलों के काम संतोषजनक नहीं है लिहाजा महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने इन जिलों की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर व सिद्धार्थनगर की जांच महानिदेशक खुद करेंगे। जांच के लिए अधिकारियों को जिलों का दो दिवसीय दौरा करना होगा। जांच 15 दिन में पूरी कर 30 सितम्बर को रिपोर्ट सौंपनी होगी।
जाँच अधिकारी जिलों में जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। बीएसए द्वारा हर महीने की जा रही समीक्षा की रिपोर्ट चेक करेंगे। उसकी नियमितता व गुणवत्ता की रिपेार्ट लेंगे और जिला स्तर पर कंट्रोल रूम की सक्रियता परखेंगे। ऑपरेशन कायाकल्प के दौरान अंतरविभागीय कन्वर्जेंस की रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा एक कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का निरीक्षण करेंगे। दो स्कूलों का स्थलीय निरीक्षण कर एमडीएम खाद्यान्न वितरण व कन्वर्जेंस कॉस्ट, यूनिफार्म व पाठ्यपुस्तक वितरण और ई-पाठशाला की समीक्षा करेंगे। जांच की जिम्मेदारी राज्य परियोजना कार्यालय के अधिकारियों व सलाहकारों को सौंपी गई है।मथुरा व उन्नाव के लिए रोहित त्रिपाठी, राजीव नयन व रवि, मुजफ्फरनगर के लिए समीर कुमार, बलविंदर सिंह, सुल्तानपुर व मिर्जापुर के लिए कमलेश प्रियदर्शी, तरुणा सिंह, अमित राय, बलिया व कुशीनगर के लिए माधव तिवारी, संजय शुक्ला, सविता सिंह, गाजीपुर के लिए कमलाकर पांडे, जीवन सिंह ऐरी, नीलम सिंह, महोबा व आगरा के लिए राजेंद्र प्रसाद, राजेश कुमार शाही, रंजीत सिंह, ललितपुर के लिए उदय भान, नीलम, आरएन सिंह, कानपुर देहात व बहराइच के लिए आनंद कुमार पांडे, शिखा शुक्ला और पीएम अंसारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के स्कूलों में 1 लाख 41 हजार शिक्षकों के पद खाली
बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश के स्कूलों में 1 लाख 41 हजार शिक्षकों के पद खाली Teacher Vacancy
यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद के 158914 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों के 1.41 लाख से अधिक पद खाली हैं। परिषदीय शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले के आंकड़ों से पता चलता है कि ये पद 69000 सहायक अध्यापक भर्ती को छोड़कर हैं। यदि इनमें 69000 रिक्त पद भी जोड़े जाएं तो खाली पदों की संख्या 2.10 लाख से अधिक हो जाएगी। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार यूपी के 113289 परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक और प्रधानाध्यापक के 160533 पद और उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापकों के कुल अनुमन्य पदों में से 50088 खाली हैं।
उच्च प्राथमिक स्कूलों में सीधी भर्ती पर रोक
प्रदेश सरकार ने परिषदीय 45625 उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों की सीधी भर्ती पर रोक लगा दी है। इससे पूर्व 2013 में विज्ञान और गणित के 29334 सहायक अध्यापकों की सीधी भर्ती शुरू हुई थी जिसके सभी पद भरने का मामला अब तक सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। उसके बाद सरकार ने सीधी भर्ती पर रोक लगाते हुए पदोन्नति से भरने का निर्णय लिया था। इसलिए इनमें खाली सहायक अध्यापकों के 48205 पदों पर भर्ती के कोई आसार नहीं है | प्रधानाध्यापकों के 1883 पद रिक्त हैं।
प्राथमिक स्कूलों में अनुमन्य पदों से अधिक प्रधानाध्यापक
113289 परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में अनुमन्य पदों की तुलना में दोगुने से अधिक प्रधानाध्यापक हैं। आरटीई मानक के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में 150 से अधिक बच्चे होने पर ही प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति होनी चाहिए | हालांकि जिन स्कूलों में पहले से प्रधानाध्यापक हैं उन्हें नहीं हटाने का आदेश सरकार ने कर रखा है। इस लिहाज से प्रधानाध्यापकों के 22444 पद अनुमन्य हैं लेकिन वर्तमान में 68191 प्रधानाध्यापक कार्यरत हैं।
NEW Education Policy : वर्ष 2022 से होगी सीखने सिखाने वाली पढ़ाई, मार्कशीट न बनेगी परिवार की प्रतिष्ठा
वर्ष 2022 से होगी सीखने सिखाने वाली पढ़ाई, मार्कशीट न बनेगी परिवार की प्रतिष्ठा
नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को साफ किया कि साल 2022 से छात्रों की पढ़ाई नई शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहे पाठ्यक्रम से ही होगी। शिक्षा व्यवस्था की मौजूदा समस्याओं का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि एक बड़ी समस्या यह भी है कि हमारे देश में सीखने पर आधारित शिक्षा की जगह मार्क्स और मार्कशीट वाली शिक्षा व्यवस्था हावी है। सच्चाई यह है कि मार्कशीट अब मानसिक प्रेशर शीट और परिवार की प्रेस्टीज शीट बन गई हैं यानी इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया गया है।
प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी में स्कूल शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के दो दिवसीय सम्मेलन को वचरुअल रूप से संबोधित करते हुए कहा कि पढ़ाई से मिल रहे तनाव से अपने बच्चों को निकालना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि परीक्षा इस तरह होनी चाहिए कि छात्रों पर बेवजह का दबाव न पड़े। साथ ही कोशिश यह भी होनी चाहिए कि केवल एक परीक्षा से छात्रों का मूल्यांकन न किया जाए, बल्कि उनके विकास के अलग-अलग पहलुओं से जुड़ा मूल्यांकन हो। यही वजह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को मार्कशीट की जगह उनके सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक रिपोर्ट कार्ड का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें छात्र की विशिष्ट क्षमता, योग्यता, रवैया, प्रतिभा, स्किल (कौशल), क्षमता शामिल होगा।
पीएम ने कहा ‘जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे तो छात्र इस नए पाठ्यक्रम के साथ नए भविष्य की तरफ कदम बढ़ाएंगे।’ यह पाठ्यक्रम दूरदर्शी, भविष्य निर्माण करने वाला और वैज्ञानिक होगा। वहीं मातृभाषा में पढ़ाई पर सवाल खड़ा करने वालों को भी पीएम ने जवाब दिया और कहा कि यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि भाषा शिक्षा का माध्यम है। भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। किताबी पढ़ाई में फंसे-फंसे कुछ लोग यह फर्क भूल जाते है।
एजुकेशन इन 21 फर्स्ट सेंचुरी” कॉन्क्लेव में पूरे देश के शिक्षा मंत्रियों एवं शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने वाली साबित होगी।