वर्तमान में उत्तर प्रदेश में गतिमान 69000 शिक्षक भर्ती में योग्य और योग्यतम की लडाई में अंततः योग्यतम हार गया।

🙏 *समस्त साथियों को आशीष पटेल का नमस्कार* 🙏

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वर्तमान में उत्तर प्रदेश में गतिमान 69000 शिक्षक भर्ती में योग्य और योग्यतम की लडाई में अंततः योग्यतम हार गया।

अब मैं आपको सिलसिलेवार इस मुद्दे को बताता हूँ…

👉 उत्तर प्रदेश में 25 जुलाई 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 137000 शिक्षमित्रों का समायोजन रद्द करते हुए 2 साल के अंदर इन खाली पदों को भरने का आदेश सरकार को दिया और साथ ही ये भी कहा कि यदि सरकार चाहे तो शिक्षामित्रों को आयु में छूट के साथ साथ, भारांक, के साथ अग्रिम दो भर्तियों में मौका दे सकती है।

© – *आशीष पटेल*

👉 उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के अंतर्गत शिक्षक भर्तियां सम्पन्न की जाती है जिसमे समय समय पर मांग के अनुरूप संसोधन किया जाता है। अब तक नियमावली में 24 संसोधन हो चुके है।

👉 उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के पूर्व नियमावली में 21 संसोधन हो चुके थे और तब तक भर्ती Tet अर्थात “अध्यापक पात्रता परीक्षा” मात्र पास करने और एकेडमिक ( हाई स्कूल का 10%, इंटर का 20%, स्नातक का 40% और प्रशिक्षण कोर्स अर्थात बीटीसी में ग्रेडिंग के आधार पर कुल 24 पॉइंट ) की मेरिट के आधार पर होती थी।

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👉 जैसे ही योगी सरकार बनी उसने नियमावली में 22 वाँ संसोधन करके TET के साथ साथ एक “सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा” कराने का निर्णय लिया और इस बार उसने एकेडमिक प्रक्रिया में बदलाव करके उसने हाई स्कूल का 10% , इंटर का 10%, स्नातक का 10% , प्रशिक्षण कोर्स अर्थात बीटीसी का 10% के साथ साथ भर्ती परीक्षा में प्राप्त अंकों का प्रतिशत का 60% लेने का निर्णय किया और फाइनल में इन सब प्रतिशत अंकों को जोड़कर एक गुणवत्ता अंक बनने के बाद इसी को मेरिट मानते हुए भर्ती कराने का प्रस्ताव पारित किया।

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👉 साथ ही शिक्षामित्रों को इन दो भर्तियों में मौका देने के साथ साथ अनुभव के आधार पर 2.5 गुणवत्ता अंक प्रति वर्ष अधिकतम 10 वर्ष अर्थात कुल 25 अंक तक देने का नियम पारित किया। और ये 25 अंक अंतिम मेरिट में जुड़ेंगे जिसका सीधा कैलकुलेशन किया जाए तो 25 गुणवत्ता अंक = भर्ती परीक्षा के 63 अंक थे।

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👉 गौर करने की बात ये है कि संसोधन के उपरांत ये परीक्षा पूर्णतया लिखित परीक्षा थी अर्थात हस्त लिखित और इसमें पासिंग मार्क्स जनरल व ओबीसी के लिए 67 अंक तथा एससी व एसटी के लिए 60 अंक रखे गए। मतलब कहने का कि ये परीक्षा पास करने के बाद ही आप भर्ती के लिए अर्ह होंगे। और शिक्षामित्रों का भारांक तभी प्रभावी होगा जब वो इस परीक्षा को पास कर लेंगे।

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👉 इन दो भर्तियों के प्रथम चरण में 68500 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी। औऱ यह भर्ती कोर्ट की शरण से होते हुए 5 सितंबर 2018 को सम्पन्न हुई।

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👉 उपर्युक्त भर्ती कोर्ट में जाने का मुख्य कारण ये था कि भर्ती का जियो जनवरी 2018 में आया था और परीक्षा 27 मई को आयोजित होनी थी। जनवरी के जियो में पासिंग मार्क्स 60-67 अंकित किये गए थे जैसा आपको मैंने पहले ही बताया था। इसके उपरांत परीक्षा होने के 6 दिन पूर्व इसे घटाकर 45-49 अंक कर दिया गया।

👉 स्वाभाविक था कि पासिंग मार्क्स कम होने से जनरल वर्ग को नुकसान था, कैसे था आपको बताता हूं क्योंकि कम पासिंग मार्क होने से ज्यादा से ज्यादा शिक्षमित्र पास होते और वो 25 गुणवत्ता अंक के साथ वो सीधा जनरल की सीट में कब्जा करते। जनरल को राहत बस ये थी कि ये 25 गुणवत्ता अंक परीक्षा पास करने के बाद जुड़ने थे।

👉 जनरल वर्ग के अभ्यर्थी कोर्ट गए और उन्होंने वहां से लड़कर पुराने पासिंग मार्क्स को प्रभावी करवा दिया। यहां से कोर्ट से ये बात निकल कर आयी कि “खेल शुरू होने के बाद खेल के नियम नही बदले जा सकते”

🔴 *69000 भर्ती का खेल शुरू होता है अब यहां से* 🔴

👉 69000 भर्ती के लिए परीक्षा का विज्ञापन 1 दिसम्बर 2018 को जारी किया गया और परीक्षा 6 जनवरी 2019 को सुनिश्चित हुई। इस बार इसमें कुछ बदलाव जैसे कि परीक्षा को लिखित न करके के ऑब्जेक्टिव कर दिया गया और सबसे बड़ा बदलाव या यह कह लीजिये बेवकूफी भरा कृत्य ये था कि इस परीक्षा में कोई भी पासिंग मार्क्स नही रखा गया।

© – *आशीष पटेल*

👉 जब इस सम्बन्ध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार से मुलाकात करके के ये पासिंग मार्क्स की बात बतायी गयी तो उन्होंने जवाब दिया वो आपकी टेंसन नही है उसे हम पेपर होने के बाद लगा देंगे। गौर करने की बात ये है कि पिछली भर्ती में स्प्ष्ट हो चुका था कि खेल शुरू होने के बाद खेल के नियम नही बदले का सकते।

👉 कहने को तो IAS अधिकारी थे पर लड़के भी समझदार थे उन्होंने परीक्षा की तैयारी करने के दौरान ही एक धरने के माध्यम से भी इस बात को शाशन को समझाया परन्तु शाषन अपनी तानाशाही में अड़ा रहा।

© – *आशीष पटेल*

👉 0 अंक पासिंग मार्क्स होने से सीधा फायदा शिक्षामित्रों को था क्योंकि वो 50 अंक लाकर भी पास हो जाते और अपने 25 गुणवत्ता अंकों ( परीक्षा में 63 अंक) के साथ फाइनल मेरिट में अपनी जगह सुनिश्चित करते।

👉 6 जनवरी को परीक्षा सम्पन्न हुई, 4 लाख 10 हजार बच्चो ने परीक्षा में भाग लिया। अब अभ्यर्थी जान रहे थे कि पासिंग मार्क्स है नही तो बीटीसी/ बीएड अभ्यर्थी का अहित था। वो लगातार शासन की तरफ पासिंग मार्क्स निर्धारित करने की टकटकी लगाए थे।

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👉 अग्रिम कड़ी में 7 जनवरी को शाम को सरकार के विशेष सचिव ने भर्ती के लिए जनरल के लिए 97 अंक व समस्त आरक्षित वर्गों के लिए 90 अंक सुनिश्चित किये।

👉 योग्यतम अभ्यर्थियों को जहाँ इस खबर से राहत मिली वही उनको पता चल गया कि ये मामला अब शिक्षमित्र न्यायालय की शरण में ले जाएंगे।

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👉 क्योंकि शिक्षमित्रों के लिए ये पासिंग मार्क्स अब गले की हड्डी बन गया था। अब उनके 25 गुणवत्ता अंक तभी जुड़ते जब वो परीक्षा में 90- 97 अंक लाते।

👉 इलाहाबाद व लखनऊ खंडपीठ में धड़ाधड़ लगभग 500 रिट इस मामले से जुड़ी फ़ाइल हुई। और उत्तर प्रदेश के टॉप 30 सीनियर एडवोकेट इस मामले की पैरवी में लग गए।बस बात उनमें यही रखी गयी कि खेल 1 दिसम्बर से शुरू हुआ था तो 7 जनवरी को खेल के नियम बदलकर पासिंग मार्क्स 0 से बदलकर 90-97 कैसे कर दिया गया।

👉 लखनऊ खंडपीठ में माननीय राजेश चौहान की बेंच ने 17 जनवरी को पहली ही सुनवाई में स्टे दे दिया।

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👉 अब सरकार की तरफ से बचाव करने के साथ साथ बीटीसी/ बीएड अभ्यर्थियों ने 90-97 के बचाव में लाखों चंदा इकठ्ठा करके वकील खड़ा किया।

👉 लगभग 1 महीने की लगातर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 22 फरवरी को आर्डर रिजर्व कर लिया।

👉 29 मार्च को जजमेंट डिलीवर हुआ और न्यायालय ने 90-97 पासिंग मार्क्स के जियो को रद्द करते हुए 60-67 पासिंग मार्क्स रखने का आदेश दे दिया।

© – *आशीष पटेल*

👉 अब सोंचने वाली बात ये थी कि जिस प्रकार 90-97 पासिंग मार्क्स परीक्षा के बाद अवैध था उसी प्रकार परीक्षा के बाद 60-67 अंक भी अवैध था। 60-67 करने का आधार ये था कि पसिंग मार्क्स पहले नही बताये गए तो पूर्व परीक्षा में रखे गए पासिंग मार्क्स 60-67 ही इस भर्ती में प्रभावी होंगे।

👉 अब आपका ध्यान बेसिक शिक्षा नियमावली के 22 वे संसोधन में ले जाते है उसमे स्प्ष्ट लिखा गया है कि ” सरकार एक भर्ती परीक्षा आयोजित करेगी जिसका एक उत्तीर्णांक होगा और उत्तीर्णांक निर्धारित का अधिकार सरकार के पास होगा। और सरकार इसे समय समय पर हर परीक्षा के लिए अलग अलग रख सकती है।”

© – *आशीष पटेल*

👉 अब योग्य और योग्यतम की लड़ाई में योग्यतम हार गया। क्योंकि अब शिक्षमित्र 60 अंक लाकर 25 गुणवत्ता अंक अर्थात 63 अंक के साथ (60+ 63= 123) टॉप में रहेगा व परीक्षा में एपियर हुए 43000 शिक्षमित्र एक साथ जनरल/ ओबीसी की सीट में कब्जा करेंगे।

👉 इस भर्ती में एक आम अभ्यर्थी जो कि अपनी मेहनत से मात्र एक महीने में 14 विषय पढ़कर 90-120 तक अंक अपनी मेहनत से अर्जित किये थे वो 60 अंक लाने वाले शिक्षमित्र से अब भी पीछे था क्योंकि अभ्यर्थियों को कोई भी अलग से भारांक नही मिल रहा था।

👉 अब जो अभ्यर्थी 120 लाया है वो चिंतित है और 60 अंक लाने वाला शिक्षमित्र खुश नजर आ रहा है क्योंकि उसका सिलेक्शन पक्का है।

© – *आशीष पटेल*

अब सर आप ही बताइये कि जहां एक ओर योगी सरकार शिक्षा के लिए योग्यतम अध्यापक का चयन कर रही है वही एक IAS अधिकारी के साथ साथ तमाम अधिकारियों की लापरवाही से 120 अंक लाने वाला अभ्यर्थी परेशान है। उसका सिलेक्शन नही हो रहा। मेरा मानना है कि न्यायालय व शिक्षा के इतिहास में इससे बड़ा काला दिन नही होगा। सर आप ही बताइये इसमें हमारी क्या गलती थी कि हमारा सेलेक्शन नही हो रहा हमने तो अपना 100% दिया पर्याप्त नम्बर भी लाये।
अगर यही 90-97 उत्तीर्णांक 1 दिसम्बर के जियो में ही लिख देते तो कोई समस्या ही नही होती परन्तु जानबूझकर इस भर्ती को न्यायालय की शरण में ले जाया गया और योग्यतम अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया।

देखते है सत्य जीतता है या हारता है, लड़ाई आगे भी लड़ेंगे जब तक जान रहेगी।

© – *आशीष पटेल*
निवासी- फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
मो. – 8948360133

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