कानपुर:- बेसिक शिक्षा परिषद के एक सर्वे ने साबित कर दिया है कि बिना पैसा लिए विभाग में आसानी से काम नहीं होता है। हालांकि कानपुर में 170 शिक्षकों के बीच हुए सर्वे में केवल आठ फीसदी ने ही पैसा लेकर अवकाश की शिकायत की। 92 फीसदी ने कहा कि अवकाश में कोई लेन-देन नहीं होता है। नगर के 88 फीसदी से अधिक शिक्षक अब मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से अवकाश लेते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ जाती है।
स्कूल महानिदेशक के स्तर से एक सर्वे पूरे प्रदेश में कराया गया था जिसमें कानपुर नगर और कानपुर देहात कम दागदार निकले। मानव संपदा पोर्टल की शुरुआत का पूरे प्रदेश पर असर पड़ा है। इससे अवकाश का पारदर्शी सिस्टम बन गया है जिसमें अवकाश मांगने और देने वाले दोनों पर नजर रखी जा सकती है। अवकाश स्वीकृत करने के दिवस भी तय कर दिए गए हैं। अवकाशन देने के पीछे स्पष्ट कारण भी बताना होगा। ऐसा नकरने पर स्वतः संज्ञान के तहत एक्शन लिया जा सकता है।
कानपुर नगर में कुल 8293 शिक्षक हैं, जिनमें से 192 को फोन किया गया। आईवीआरएस के माध्यम से हुए इस सर्वे में 170 ने कॉल रिसीव की। इनमें से 14 ने कहा कि अवकाश लेने में अधिकारी या कर्मचारी के माध्यम से धनराशि मांगी जाती है। कानपुर देहात में कुल 6750 शिक्षकों में से 165 को सेलेक्ट कर जानकारी ली गई। इनमें से 134 ने जवाब दिए। 102 मानव संपदा पोर्टल का इस्तेमाल कर रहे 32 नहीं। 10 ने माना धनराशि मांगी जाती है लेकिन 124 का कहना था कि ऐसा नहीं होता है।
अब अवकाश का यह है नियम : स्कूल महानिदेशक के अनुसार चार कैजुअल लीव हेड के स्तर से और इससे अधिक होने पर बीईओ के स्तर से स्वीकृत किया जाएगा। हेड के सभी अवकाश बीईओ के स्तर से स्वीकृत होंगे। मेडिकल आदि के अवकाश बीईओ व बीएसए के स्तर से होंगे लेकिन दो दिन के अंदर निर्णय देना होगा।