Breaking news : यूपीटेट-2017 का निस्तारण कराए बिना उत्तर प्रदेश सरकार नही आयोजित कर सकेगी शिक्षक भर्ती परीक्षा – हाईकोर्ट

यूपीटेट-2017 का निस्तारण कराए बिना उत्तर प्रदेश सरकार नही आयोजित कर सकेगी शिक्षक भर्ती परीक्षा-हाई कोर्ट

*उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को दिखाया आईना*

SPECIAL ORDER- TET 2017

विगत डेढ़ वर्ष से यूपीटेट-2017 का मामला कई न्यायालयों की चौखट पर दस्तक दे चुका। आज तक पूर्ण रूप से निस्तारित ही न हो सका। *इस मामले को प्रारम्भ से ही टीम रिज़वान अंसारी अपने विद्वान अधिवक्ता श्री अमित भदौरिया जी के साथ लीड कर रही है।*
मा0 सुप्रीम कोर्ट की वृहद पीठ ने 26 अक्टूबर 2018 को यूपीटेट-2017 के उस ऑर्डर को रद्द कर दिया जिसे सरकार ने आंशिक रूप से जीत लिया था। टीम और टीम के अधिवक्ता इस मामले पर प्रॉपर रिलीफ के लिए प्रयासरत थे। अंततः प्रयास 22 दिसम्बर 2018 को सफल हुआ। मा0 चीफ जस्टिस के आदेश से स्पेशल बेंच गठित की गई जिसमें सिर्फ *यूपीटेट 2017 की स्पेशल अपील (SPLA-672/2018) की स्पेशल सुनवाई करीब 2 घण्टे 30 मिनट तक “मा0 जस्टिस डी0 के0 उपाध्याय और मा0 जस्टिस अत्तू रहमान मसूदी” की खण्डपीठ में हुई।*

मा0 कोर्ट ने प्रत्येक मुद्दे को बड़ी बारीकी से सुना और ऑर्डर में निहित किया। आर्डर में वो सारे तथ्य शामिल है जो हमे अंततः लाभ दिलवाएंगे।
कोर्ट ने अपने आर्डर में महत्वपूर्ण बात लिखी की….

“`We can not appreciate such callous attitude of State-
authorities towards the appellants and other Shiksha-Mitras who have a
right to be considered for recruitment in next two consecutive
recruitments for Assistant Teachers in terms of the judgment of Supreme
Court, dated 25.07.2017.“`
*{अर्थात मा0 सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई 2017 के अनुक्रम में कोर्ट कतई ये सहन नही कर सकती है कि सरकार याचियों/शिक्षामित्रों के प्रति इतना निर्दयी रवैया अपनाए। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सिर्फ 2 मौके दिए।}*

उपरोक्त तथ्य से आप सभी समझ ही सकते कोर्ट सरकार पर किस तरह से आगामी भविष्य में हावी होने वाली है।

अब उनके लिए जवाब जो 6 जनवरी की परीक्षा को अटल सत्य मान के चल रहे। उनके लिए कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर ऑपरेटिंग में लिखा कि…

“`On the next date, prayer for grant of interim relief made by the
appellants shall be considered and it may not be open to the State-
authorities to submit on the next date that they will not be able to make
suitable arrangements for holding examination on 06.01.2019.“`
{अर्थात 02 जनवरी की सुनवाई में सरकार इस मामले को ये कहकर कतई नही टाल सकेगी कि 06 जनवरी की परीक्षा की व्यस्तता के कारण वो इस टेट 2017 के मामले को अभी पेंडिंग में रखेगी। यदि सरकार ऐसी हीलाहवाली करती है तो याचियों को कोर्ट निश्चित तौर अंतरिम रिलीफ देगा।}

कोर्ट का ऑर्डर सीधे सीधे ये कहता है बिना टेट-2017 का निस्तारण कराए अब कोई भी शिक्षक भर्ती परीक्षा नही होने वाली। अब भी कोई अगर ये कहे स्थगन नही है तो ऐसे ज्ञानियों को बताते चले के ये एक ऐसा नासूर स्टे है कि जिसका इलाज सिर्फ आपरेशन से सम्भव है। टीम ने हारी हुई बाज़ी एक बार फिर से जीतकर स्थिति पूर्णतया अपने नियंत्रण में कर ली। ये सब लड़ाई एक रणनीति के तहत ही नियंत्रित हुई,इसलिए तो कहते हैं कि…

 

 

हारा वही जो लड़ा नहीं।

 

टीम रिज़वान अंसारी।।

 

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टेट 2018: हाईकोर्ट के डबल बेंच में किया गया चैलेंज, अभ्यर्थियों ने कसी कमर,सुनवाई 3 जनवरी 2019 को

टेट 2018: हाईकोर्ट के डबल बेंच में किया गया चैलेंज, अभ्यर्थियों ने कसी कमर,सुनवाई 3 जनवरी 2019 को

टेट 2018: हाईकोर्ट के डबल बेंच में किया गया चैलेंज,
अभ्यर्थियों ने कसी कमर, सुनवाई 3 जनवरी 2019 को
*आपत्ति में निम्न प्रश्नों के समान अंक मिलना तय।*
इन प्रश्नों पर होगी दोबारा आपत्ति
1- कोहलर यह सिद्ध करना चाहता था।
2- निम्न में से कौन संवेग का तत्व नहीं है।
3- निम्न में से शिक्षण सूत्र नहीं है।
4- कौन स्वर ह्रस्व नहीं होता है।
5- निम्न में से पुलिंग शब्द का चयन कीजिए। (पहिया और पखावज)
6- सामान्य मनुष्य के शरीर का ताप 37 डिग्री सेल्सियस फॉरेनहाइट पैमाने पर।
7- वर्तमान में आयोग की अध्यक्ष
Out of syllabus
8- क्रिया प्रसूत अनुबंधन का दूसरा नाम।
इसकी सुनवाई 3/01/2019 को होगी

गलत जिला आवंटन में आज की कोर्ट में हुई सुनवाई का सार…

कोर्ट में आज गलत जिला आवंटन पर बहस पूरी नही हो पाई , आज 2 घण्टे बहस चली लेकिन पूरी नही हो पाई क्योकि बिंदुवार जवाब कोर्ट में देने पर समय लगता है। आज बहस 4 बजे रोक दी गई है, परसो लंच बाद शेम बिंदु के आगे बहस होंगी.

जिला आवंटन केस / शिखा सिंह व् अन्य

आज केस फाइनल हियरिंग के लिए 3 बजे फिक्स हुआ ।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अशोक खरे , श्री राधा कान्त ओझा , व् श्री एम् डी सिंह तथा 6127 की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एच एन सिंह , श्री पी एन सक्सेना व् शैलेन्द्र श्रीवास्तव अपीयर हुए ।

अशोक खरे ने बहस की शुरुवात नियमावली के 20 वें संसोधन से की और रूल 14(1)a को पढ़ा और कहा कि 68500 का शासनादेश 9 जनवरी को जारी हुआ है और उस समय नियम के अनुसार आवेदन सम्बंधित जिले से विहित प्रशिक्षण अहर्ता रखने वाले अभ्यर्थियों से लिए जाने का प्रावधान था । उसके बाद 22 वां संसोधन पढ़ा जिसमे सम्बन्धित जिले से प्रशिक्षण अहर्ता रखने वाले अभ्यर्थियों से ही आवेदन लेने की बाध्यता ख़त्म कर दी गयी है । बाबूजी द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि पूरी चयन प्रक्रिया नियम विरुद्ध है क्योंकि विज्ञापन जिले के बीएसए को जारी करना था और चयन सूची जनपदीय चयन समिति को बनानी थी किन्तु समस्त प्रक्रिया स्टेट लेवल पर की गयी है ।

जिस पर जज साहब ने पूछा कि क्या आप पूरी चयन प्रक्रिया को चैलेन्ज कर रहे है , तो बाबू जी ने यू टर्न लेते हुए कहा कि हम इसे प्रेस नहीं कर रहे ।

उसके बाद बाबू जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 9 जनवरी को 68500 पदों को अधिसूचित किया गया था किंतु जब लिखित परीक्षा में 41556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए तो पदों को कम करते हुए 41556 कर दिया ।

जज साहब ने इस पर पूछा कि पदों को कम करने के निर्णय को आपने आवेदन करने से पहले चैलेन्ज किया ?

बाबूजी द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया जिस पर 6127 की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एन सिंह द्वारा कहा गया कि इनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया ।जिस पर जज साहब ने कहा कि फिर आप कैसे 68500 पदों पर आवंटन की बात कर सकते है ?

  1. बाबूजी ने तुरंत बात को घुमाते हुए जनपद विकल्प,विज्ञापन , अलॉटमेंट लिस्ट की ओर बहस शुरू कर दी और कोर्ट को बताया कि प्रथम सूची में आरक्षित वर्ग के उच्च गुणांक अभ्यर्थियों को सामान्य में रख दिया और निचली वरीयता के जनपद आवंटित कर दिए जबकि पहली सूची के आरक्षित वर्ग के कम गुणांक के अभ्यर्थियों को आरक्षित वर्ग में रखा और उन्हें ऊपर की वरीयता के जनपद आवंटित किए जो नियम विरुद्ध है और इनके समर्थन में दो तीन जजमेन्ट पढ़े ।

जिस पर जज साहब ने सरकारी वकील से पूछा कि आपने इस पर कॉउंटर फाइल किया तो उनके द्वारा बताया गया कि कॉउंटर राधा कान्त ओझा जी की याचिका शुभ्रा अवस्थी में फाइल किया गया है । जिसे जज साहब को दिया गया ।तब तक कोर्ट का समय पूरा हुआ और परसों आगे की बहस 2 बजे से होगी ।चूँकि याचिकाकर्ताओं ने बहस की शुरुवात सेल्फ गोल से की है इस लिए अब ये केस किसी भी हद तक जा सकता है ।लीगल टीम की ओर से तीन IA और तीन कॉउंटर फाइल किये गये है ।जिन्हें आज रात तक अपलोड कर दिया जायेगा

 

 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को कालेजों में खाली पदों को भरने का निर्देश दिया है और कहा है कि बोर्ड 909 विज्ञापित पदों से कम पर चयन नहीं कर सकता।

कोर्ट ने बोर्ड को तीन माह में विज्ञापित पदों को भरने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने संजय कुमार व 15 अन्य की याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड विज्ञापित पदों को घटा नहीं सकता। नियम 12 (8) के तहत बोर्ड 25 फीसद तक ज्यादा चयन कर सकता है, परंतु कम नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा है कि चयनित होने से किसी को नियुक्ति का अधिकार नहीं मिल जाता। इस तर्क को सही नहीं ठहराया जा सकता है कि तदर्थ अध्यापकों को नियमित करने के कारण चयनित अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग नहीं हो पाती, इसलिए 25 फीसद तक कम चयन किया जाए, ताकि चयनितों का उत्पीड़न न हो सके।

याची के वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना था कि नियम 12 (8) का हनन नहीं किया जा सकता। सभी पदों पर चयन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बोर्ड को एलटी ग्रेड अध्यापक की भर्ती में पदों को घटाने का विवेकाधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यदि बोर्ड को चयन के समय जिला विद्यालय निरीक्षक से रिपोर्ट मंगानी पड़ी तो चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकेगी। पद खाली होने की स्थिति का चयन सूची से कोई सरोकार नहीं है। बोर्ड चयन सूची तैयार करें।

BTC की तरफ से 69000 शिक्षक भर्ती में कटऑफ लगाने की याचिका हुई दायर