हाथरस।पूर्व माध्यमिक विद्यालय सासनी के प्रभारी प्रधानाध्यापक संजय कुमार शर्मा को एमडीएम की कन्वर्जन कॉस्ट हड़पने के आरोप पर बीएसए ने निलंबित कर दिया है। आरोप है कि फर्नीचर मद के 4,54,920 रुपए को विद्यालय प्रबंध समिति के खाते से संजय कुमार शर्मा इंप्रअ एवं उक्त विद्यालय में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महावीर के साथ मिलकर रुपए हड़प लिए।
22 जुलाई को दो खंड शिक्षा अधिकारियों की जांच समिति गठित कर जांच कराई गई। जांच में पाया गया कि संजय कुमार ने सितंबर में संबंधित खाते में धनराशि को जमा करने के बाद 15 सितंबर को आरटीजीएस द्वारा 4,47,244 रुपए का भुगतान संबंधित फर्म को किया है।
लेकिन फर्नीचर मद की धनराशि को निकाल कर अपने निजी हक में खर्च करने एवं संबंधित फर्म को भुगतान के लिए दिए चार बार चेकों के खाते में धनराशि के अभाव में बाउंस हो जाने व अन्य के संबंध में नोटिस दिया गया, जिसका उत्तर नहीं दिया गया। जांच को भ्रमित करने के उद्देश्य से विद्यालय में कंप्यूटर सिस्टम, दो गैस सिलिंडर व गैस चूल्हा, एक एसी 1.5 टन के चोरी होने संबंधित कूट रचित कथन अंकित किया गया।
जबकि ये विद्यालय नगर पंचायत सासनी में होने के कारण पिछले सात सालों से एनजीओ द्वारा एमडीएम का वितरण किया जाता है। ऐसी स्थिति में गैस सिलिंडर व गैस चूल्हा और विद्यालय में 1.5 टन किस अधिकारी की अनुमति से किस उद्देश्य से क्रय कर लगाई, इस बारे में नहीं बताया गया।
खंड शिक्षा अधिकारी सासनी ने बताया कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय सासनी में नामांकित विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में एमडीएम कन्वर्जन कॉस्ट की धनराशि नहीं भेजी गई। इसकी जानकारी एमडीएम खाते का बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर हुई। छात्रों के अभिभावकों के खाते में 76 दिन, 49 दिन, 124 दिन की कन्वर्जन कॉस्ट की धनराशि नहीं भेजी गई।
इस धनराशि 17 जून 2021 से 13 अगस्त 2021 तक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक संजय कुमार शर्मा द्वारा स्वयं 3,82,000 एवं अजय तोमर अनुदेशक द्वारा 70,500 रुपए व महावीर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी द्वारा 1,10,000 रुपए कुल धनराशि 5,62,500 रुपए निकलवा कर हड़प कर लिए।
विद्यालय के खाते से नियम विरुद्ध आहरित कराकर गबन करने एवं अन्य आरोपों को लेकर बीएसए ने संजय कुमार शर्मा को निलंबित किया है। आरोपों की जांच के लिए उदित कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी सिकंदराराऊ एवं विपिन कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी सहपऊ को संयुक्त रूप से जांच अधिकारी नामित किया जाता है। निलंबन अवधि में संजय कुमार शर्मा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय सिकंदराराऊ से संबद्ध किया गया है।
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प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के 700 शिक्षकों की बर्खास्तगी तय, फर्जी डिग्री के आधार पर पाई नौकरी
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन 71 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन रिपोर्ट विशेष अनुसंधान दल काे सौंप चुकी है।
वाराणसी । सूबे के परिषदीय विद्यालयों में करीब 700 शिक्षकों की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है। इनका चयन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री के आधार पर हुआ है। इनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर विश्वविद्यालय प्रशासन ने रिपोर्ट विशेष अनुसंधान दल को सौंप दी है। ऐसे में माना जा रहा कि फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों की दो माह में बर्खास्तगी हो सकती है।
बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में बड़ी संख्या में संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी शिक्षक नियुक्त हैं। चयन के समय विभाग ने इन शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया था। रिपोर्ट में व्यापक हेराफेरी की शिकायत मिली थी। इसमें एक शिक्षक का पहले फर्जी फिर बाद में उसका प्रमाणपत्र वैध घोषित कर दिया गया था। इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी थी। वहीं व्यापक पैमाने पर सत्यापन में हेराफेरी को देखते हुए शासन ने जांच एसआइटी को सौंपी। एसआइटी ने नए सिरे से शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है।
तीन वर्ष से जारी एसआइटी की जांच
तीन सालों में करीब 15 से अधिक बार एसआइटी की टीम विश्वविद्यालय का दौरा कर चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन उसे अंकचिट, टीआर सहित तमाम दस्तावेजों को उपलब्ध भी करा चुका है। प्रमाणपत्रों के वहीं जल्द सत्यापन के लिए एसआइटी का विश्वविद्यालय पर दबाव था। जिसका असर रहा कि 75 में 71 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की सत्यापन रिपोर्ट एसआइटी को मिल चुकी है। वहीं दो जिलों की रिपोर्ट इस माह के अंत तक भेजने का निर्णय लिया गया है। सत्यापन में करीब सात सौ में शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी निकले हैं। ऐसे इनकी बर्खास्तगी तय मानी जा रही है।
दस वर्ष के प्रमाणपत्र जांच की जद में
मुख्य रूप से संस्कृत विवि से जारी दस साल के प्रमाणपत्र जांच की जद में हैं, जिन शिक्षकों ने वर्ष 2004 से 2014 तक का अंकपत्र, प्रमाणपत्र लगाया था एसआइटी ने उन्हीं के प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन कराया। इसमें पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा, (इंटर), शास्त्री (स्नातक), बीएड के प्रमाणपत्र शामिल हैं।
फर्जी डिग्री मिली है
फर्जीवाड़े की जांच अब अंतिम चरण में है। संस्कृत विवि ज्यादातर जिलों की सत्यापन रिपोर्ट सौंप चुका है। जिसमें सूबे के 700 से अधिक शिक्षकों की डिग्री फर्जी मिली है। कुछ जिलों की सत्यापन रिपोर्ट का इंतजार है। विवि जैसे ही हर जिले की रिपोर्ट सौंप देगा एक सप्ताह में कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति कर दी जाएगी। – विनोद कुमार सिंह, इंस्पेक्टर, विशेष अनुसंधान दल
अंकपत्रों का प्रमाणपत्रों का सत्यापन चुनौती थी
75 जिलों के करीब चार-पांच हजार शिक्षकों के अंकपत्रों का प्रमाणपत्रों का सत्यापन चुनौती थी। एक जिले से 50-50 शिक्षकों के अंकपत्रों का सत्यापन करना था। रिपोर्ट सावधानी से तैयार कराई गई है। रिकार्ड से मिलान कराया ताकि चूक न हो। दो जिलों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन लंबित है। उसकी रिपोर्ट सप्ताहभर में मिलेगी। – प्रो. राजाराम शुक्ल, कुलपति, संविवि
डिग्री की जांच
● 75 जिलों के शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन होना था● 71 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन पूर्ण● 15 बार संविवि का दौरा किया एसआइटी ने सत्यापन को लेकर● 10 वर्ष यानी 2004-14 तक के प्रमाणपत्रों का हुआ सत्यापन