प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के 700 शिक्षकों की बर्खास्तगी तय, फर्जी डिग्री के आधार पर पाई नौकरी

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन 71 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन रिपोर्ट विशेष अनुसंधान दल काे सौंप चुकी है।
वाराणसी । सूबे के परिषदीय विद्यालयों में करीब 700 शिक्षकों की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है। इनका चयन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री के आधार पर हुआ है। इनके प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर विश्वविद्यालय प्रशासन ने रिपोर्ट विशेष अनुसंधान दल को सौंप दी है। ऐसे में माना जा रहा कि फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों की दो माह में बर्खास्तगी हो सकती है।

बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में बड़ी संख्या में संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी शिक्षक नियुक्त हैं। चयन के समय विभाग ने इन शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया था। रिपोर्ट में व्यापक हेराफेरी की शिकायत मिली थी। इसमें एक शिक्षक का पहले फर्जी फिर बाद में उसका प्रमाणपत्र वैध घोषित कर दिया गया था। इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी थी। वहीं व्यापक पैमाने पर सत्यापन में हेराफेरी को देखते हुए शासन ने जांच एसआइटी को सौंपी। एसआइटी ने नए सिरे से शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया है।

तीन वर्ष से जारी एसआइटी की जांच
तीन सालों में करीब 15 से अधिक बार एसआइटी की टीम विश्वविद्यालय का दौरा कर चुकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन उसे अंकचिट, टीआर सहित तमाम दस्तावेजों को उपलब्ध भी करा चुका है। प्रमाणपत्रों के वहीं जल्द सत्यापन के लिए एसआइटी का विश्वविद्यालय पर दबाव था। जिसका असर रहा कि 75 में 71 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की सत्यापन रिपोर्ट एसआइटी को मिल चुकी है। वहीं दो जिलों की रिपोर्ट इस माह के अंत तक भेजने का निर्णय लिया गया है। सत्यापन में करीब सात सौ में शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी निकले हैं। ऐसे इनकी बर्खास्तगी तय मानी जा रही है।

दस वर्ष के प्रमाणपत्र जांच की जद में
मुख्य रूप से संस्कृत विवि से जारी दस साल के प्रमाणपत्र जांच की जद में हैं, जिन शिक्षकों ने वर्ष 2004 से 2014 तक का अंकपत्र, प्रमाणपत्र लगाया था एसआइटी ने उन्हीं के प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन कराया। इसमें पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा, (इंटर), शास्त्री (स्नातक), बीएड के प्रमाणपत्र शामिल हैं।
फर्जी डिग्री मिली है
फर्जीवाड़े की जांच अब अंतिम चरण में है। संस्कृत विवि ज्यादातर जिलों की सत्यापन रिपोर्ट सौंप चुका है। जिसमें सूबे के 700 से अधिक शिक्षकों की डिग्री फर्जी मिली है। कुछ जिलों की सत्यापन रिपोर्ट का इंतजार है। विवि जैसे ही हर जिले की रिपोर्ट सौंप देगा एक सप्ताह में कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति कर दी जाएगी। – विनोद कुमार सिंह, इंस्पेक्टर, विशेष अनुसंधान दल
अंकपत्रों का प्रमाणपत्रों का सत्यापन चुनौती थी
75 जिलों के करीब चार-पांच हजार शिक्षकों के अंकपत्रों का प्रमाणपत्रों का सत्यापन चुनौती थी। एक जिले से 50-50 शिक्षकों के अंकपत्रों का सत्यापन करना था। रिपोर्ट सावधानी से तैयार कराई गई है। रिकार्ड से मिलान कराया ताकि चूक न हो। दो जिलों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन लंबित है। उसकी रिपोर्ट सप्ताहभर में मिलेगी। – प्रो. राजाराम शुक्ल, कुलपति, संविवि
डिग्री की जांच
● 75 जिलों के शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन होना था● 71 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन पूर्ण● 15 बार संविवि का दौरा किया एसआइटी ने सत्यापन को लेकर● 10 वर्ष यानी 2004-14 तक के प्रमाणपत्रों का हुआ सत्यापन

10 शिक्षको का रोका वेतन एक शिक्षिका निलंबित।

फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रही शिक्षिका पर केस

बेसिक के फर्जी शिक्षकों के खिलाफ तेज होगा अभियान, बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा- फर्जी शिक्षकों को जाना होगा जेल, होगी वेतन वसूली

प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा कि परिषदीय विद्यालयों में फर्जी शिक्षकों पर व्यापक पैमाने पर कार्रवाई हो रही है। अब तक 1701 फर्जी शिक्षक बर्खास्त किये जा चुके हैं। जितने भी फर्जी शिक्षक होंगे उन्हें जेल भेजा जाएगा। उनसे वेतन वसूली की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।  उन्होंने गुरुवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश में बसपा व सपा शासनकाल में फर्जी शिक्षकों की भर्ती हुई। प्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही फर्जी शिक्षकों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। 

श्री द्विवेदी ने कहा कि आगरा विश्वविद्यालय की फर्जी लगातार शिक्षक बनने वाले चार हजार शिक्षकों को चिह्नित किया गया है। इनके विरुद्ध कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में अब तक 50 हजार शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है लेकिन एक भी शिकायत नहीं हुई। कस्तूरबा विद्यालय में अनामिका शुक्ला प्रकरण आने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी शिक्षकों का सत्यापन शुरू हो गया है। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में संविदा पर तैनात होने वाले शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का बोर्ड एवं विश्वविद्यालयों से सत्यापन भी अब अनिवार्य होगा।
ऑनलाइन पढाई बनी संकट मोचनउन्होंने कहा कि कोरोना संकट काल में परिषदीय शिक्षकों ने ऑनलाइन पढ़ाई में सक्रिय सहभागिता की है। ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से ही बच्चों की शिक्षा में अवरोध नहीं उत्पन्न हुआ। बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों द्वारा उनके घरों पर निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए यूनिफार्म के साथ मॉस्क भी देने पर विचार किया जा रहा है। लॉक डाउन के समय का मिडडे मील का खाद्यान्न व परिवर्तन लागत बच्चों को उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षण और विभागीय कार्यो को सहज व पारदर्शी बनाने के लिए पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन किया जा रहा है। 
मानव सम्पदा पोर्टल पर सभी शिक्षकों व छात्रों का विवरण दर्ज हो रहा है। इससे फर्जीवाड़ा पकड़ में आ रहा है।  उन्होंने कहा कि शैक्षिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा एप लांच किया गया है। इसके लिए शिक्षकों को टैबलेट उपलब्ध कराया जाएगा। शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए अत्याधुनिक पैटर्न पर कार्यक्रमों से परिषदीय विद्यालयों की शैक्षिक व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है।  बेसिक शिक्षा मंत्री ने सर्किट हाउस में मंडल व जिला के शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए उन्हें स्कूल खुलने से पहले बच्चों को किताबें घरों पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने लॉकडाउन अवधि को लेकर मिडडे मील के अन्तर्गत खाद्यान्न व परिवर्तन लागत के वितरण की प्रगति का जायजा लिया। 
अभिभावकों ने दिया ज्ञापनगोरखपुर के दर्जन भर अभिभावकों ने बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी को स्कूल द्वारा फीस के लिए बनाये जा रहे दबाव सम्बंधी ज्ञापन दिया। साथ ही अभिभावकों ने समस्या बतायी की कोरोना काल में व्यापार, नौकरी सब ठप है। ऐसे में हम फीस कैसे जमा करें। 

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