बेसिक शिक्षा विभाग :- कक्षा 1 से 8 तक के छात्र छात्राओं की कक्षोंन्नति के सम्बंध में।
Category: Basic shiksha parishad,
मृतक आश्रित में नियुक्ति हेतु आवेदन प्रपत्र के साथ लगने वाले जरूरी कागजात And download from
मृतक आश्रित में नियुक्ति हेतु आवेदन प्रपत्र के साथ लगने वाले जरूरी कागजात
👉 उत्तराधिकार प्रमाण पत्र
👉 मृत्यु प्रमाण पत्र
👉 परिवार के सभी सदस्यों के शपथ पत्र अलग-अलग ₹100 के स्टांप पेपर पर मय फोटो सहित
👉 मृतक का नियुक्ति आदेश, शैक्षिक प्रमाण पत्र व प्रशिक्षण प्रमाण पत्रो की प्रमाणित छायाप्रति
👉 आवेदक की शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र
👉 पुलिस द्वारा निरुद्ध/ न्यायालय द्वारा न दंडित होने का शपथ पत्र आवेदक द्वारा
👉 माता/ पिता (जो लागू हो) का सेवा में न होने का शपथ पत्र
👉 आइडी – आधार कार्ड व पेनकार्ड
मंहगाई भत्ता बढ़ने से 1 जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों को मिल सकता है ज्यादा वेतन, जानिए कितनी बढ़ेगी सैलरी?
मंहगाई भत्ता बढ़ने से 1 जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों को मिल सकता है ज्यादा वेतन, जानिए कितनी बढ़ेगी सैलरी?
फर्रुखाबाद:- 69000 शिक्षक भर्ती में शपथ पत्र के नाम पर पैसे BSA ऑफिस में वसूली
शर्मनाक:- जिलाधिकारी रायबरेली द्वारा बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट में प्रशिक्षण मतदान एवं मतगणना के दौरान किसी भी शिक्षक की करोना से मौत ना होने की बनाई आख्या
दुखद:- सरकारी कर्मचारियों का 18 माह का DA रोक कर विधायकों को पेंशन देने हेतु सरकार को 75000 करोड़ का मिला लाभ
सरकारी कर्मचारियों का 18 माह का DA रोकने से सरकार को 75000 करोड़ का मिला लाभ
सरकारी कर्मचारियों का 18 माह का DA रोकने से सरकार को 75000 करोड़ का मिला लाभ
*जब सरकारी कर्मचारियों का महँगाई भत्ता DA बढ़ता था तो न्यूज़ चैनलों एवं समाचार पत्रों की हेडलाइंस होती थी:*
1. सरकारी कर्मचारियों की बल्ले बल्ले,
2.सरकारी कर्मचारियों की चाँदी,
3.सरकारी कर्मचारियों को तोहफा,
4.होली से पहले दीवाली,
5.इससे राजस्व पर 25000 करोड़ का बोझ पड़ेगा।
*वगैरह….* *वगैरह…* *वगैरह….*
इस प्रकार की न्यूज़ से व्यापारियों को बहुत ईर्ष्या होती थी,जबकि सरकार कर्मचारियों को कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं देती थी,जो उनके हक का होता था उससे भी कम देती थी ।
*क्या अब कोई न्यूज़ चैनल इसपर चर्चा करेगा कि सरकारी कर्मचारियों का 18 माह का DA रोकने से सरकार को 75000 करोड़ का लाभ *होगा!*
क्या यह अखबारों के पहले पन्ने पर छपेगा!!
क्या ये माना जायेगा कि कोरोना महामारी के चलते सरकारी कर्मचारियों ने भारत सरकार को 75000 करोड़ *दान* में दिए!
वह भी तब जबकि सारी जनता अपने अपने घरों में बैठी है और सरकारी कर्मचारी दिनरात एक करके काम में लगे हैं ताकि आमजनों तक आवश्यक चीजें, सेवा और सुविधा पहुँच सके!
वह भी अपनी जिंदगी और अपने परिवार का भविष्य तक दांव पर लगा कर!
और… सरकारी अमले के मनोबल पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? उनकी कार्य निष्पादन क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ेगा? कितना नकारात्मक होगा यह प्रभाव?
किसे फुर्सत है सोचने की?
शायद किसी को नहीं!!!!
बेसिक शिक्षा को छोड़कर अन्य सभी शिक्षण संस्थाओं में 20 तारीख से ऑनलाइन शिक्षण प्रारम्भ करने का आदेश.!!
स्कूली शिक्षा महानिदेशक द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं पर क्रियान्वयन हेतु निम्नांकित अधिकारियों को कार्य का आवंटन
गोरखपुर :- वेतन नहीं मिला तो गूगल फॉर्म भरे समस्या होगी दूर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जी ने जारी किया शिक्षकों की समस्याओं को झटपट दूर करने का अनोखा तरीका, अन्य जनपदों के शिक्षकों ने भी की वाहवाही
पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा ना करवाए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की धमकी
पंचायत चुनाव में सर्वाधिक कुर्बानी देने वाले बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा ना करवाए जाने पर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने दी आंदोलन की धमकी
सचिवालय व राज्य कर्मियों पर सरकार मेहरबान, जबकि पंचायत चुनाव में सर्वाधिक मुख्य भूमिका निभाने वाले शिक्षक स्वास्थ्य बीमा का पैसा देने को तैयार, फिर भी अधिकारी नहीं करवा रहे शिक्षकों का स्वास्थ्य बीमा
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश (प्राथमिक संवर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष अजीत अजीत सिंह जी ने कहा कि बेसिक का शिक्षक क्यों नहीं हो सकता राज्य कर्मचारी। उन्होंने यह भी कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में ही भेदभाव पूर्ण दोहरी व्यवस्था क्यों? इससे यह सिद्ध होता है कि अधिकारी कैसे चालाकी से अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं?
प्रदेश महामंत्री भगवती सिंह जी ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद का मुख्य उद्देश्य है विद्यालय संचालन के द्वारा आम जनमानस के बच्चों को शिक्षित करना। बेसिक शिक्षा परिषद के उद्देश्यों को अमलीजामा पहनाने की मुख्य जिम्मेवारी शिक्षक व विद्यालय स्टाफ की होती है। विद्यालय संचालन में मदद करने हेतु अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। अब यहीं पर खेल शुरू होता हैं। हमारा शिक्षक परिषदीय कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें न्यूनतम सुविधाएं दी जाती है। जबकि विभाग में शिक्षकों की सेवा व मदद हेतु स्थापित कार्यालयों में नियुक्त अधिकारी, बाबू, अनुचर को राज्य कर्मचारी कहा जाता है और उन्हें कैशलेस चिकित्सा, विभिन्न प्रकार के भत्ते, वाहन, आवास तथा अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यदि इन अधिकारियों, बाबू व अनुचरों को भी परिषदीय कर्मचारी ही बनाए रखा जाता तो क्या दिक्कत थी। अब कोई बताए परिषद में शिक्षकों के साथ ही सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है।
*यह मांग करते हुए प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा इस मांग की पैरवी लगातार की जा रही है पर अधिकारियों द्वारा लगातार शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाया जा रहा है। यदि संगठन की इस मांग को शीघ्र ही ना माना गया तो राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश कोरोना काल में भी जमीनी आंदोलन करने को विवश होगा। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।